पुजारी को हंसिया से काट डाला गया, तड़पा कर मारा गया, लेकिन किसी को कोई खबर नहीं है

खबर क्यों नहीं है, ये भी जान लीजिए.

तमिलनाडु.

थुथुकुड़ी नाम की जगह. एस एस मणिपुरम इलाका.

वहां एक मंदिर के बाहर लोगों को एक कटा हुआ सर मिला. शरीर के भी टुकड़े किए जा चुके थे. जिसका शरीर था, वो थी मंदिर की ट्रांसजेंडर पुजारी राजाथी. उम्र, 38 साल. ट्रांसजेंडर, जिसे हम आम भाषा में हिजड़ा कहते हैं. और जिन्हें अपमानित करना, अब्यूज करना अपना अधिकार समझते हैं. 

बात 15 फरवरी की है. मारियम्मन मंदिर में राजाथी पूजा कर रही थी. तभी मारुथु नाम का एक आदमी एक और साथी के साथ वहां आया. उसके हाथ में हंसिया थी. सूत्रों के अनुसार उसी हंसिया से पहले तो राजाथी का सिर काटा गया. फिर उसके शरीर के टुकड़े किए गए. उसके बाद उसके सिर को मंदिर के बाहर रख दिया गया.

rajathi-2-750_021919052543.jpgतस्वीर: ऑडनारी

मारुथु ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. लेकिन उसके साथी और एक और व्यक्ति को पुलिस ने पकड़ा. राजाथी की मौत के दो दिन के बाद भी इस मामले में जब एक्शन नहीं हो पाया था, तब मीडिया में ये खबर आई. ट्रांसजेंडर लोगों के हक़ के लिए काम करने वाली संस्था ट्रांस राइट्स नाउ कलेक्टिव की फाउंडर ग्रेस बानू ने इस मामले को हाईलाईट किया. अब जाकर चार दिन बाद इस मामले में इन्वोल्व हुए लोगों को कस्टडी में ले लिया गया है.

इस मामले में अभी तक तो जानकारी उपलब्ध हो पाई है. उसके मुताबिक़ राजाथी और मारुथु रिलेशनशिप में रह चुके थे. तब राजाथी ने उसकी बहुत मदद की. जिस मंदिर की वो पुजारन थी, उस मंदिर की जमीन मारुथु के परिवार वालों की थी. लेकिन मंदिर का ध्यान वही रखती थी. सूत्रों के अनुसार राजाथी को जब ये खबर मिली कि मारुथु का ब्याह किसी और से तय हो गया है, तब उसने मारुथु का साथ छोड़ दिया. इस चीज़ ने मारुथु को बेहद नाराज़ कर दिया. लगभग एक साल तक दोनों के बीच इसी बात को लेकर अनबन बनी रही.

पुलिस ने हमारे संवाददाता को ये भी बताया कि राजाथी ने मारुथु से बिना पूछे कोई बिजनेस डील भी कर ली थी. इस चीज़ से मारुथु ने अपना आपा खो दिया और राजाथी की जान ले ली.  

ग्रेस बानू ने द न्यूज मिनट को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि इस मामले में गांव के लोग भी काफी शांत रहे. अगर इस मामले में विक्टिम एक ट्रांसजेंडर की जगह कोई पुरुष या स्त्री होता तो लोग इतने चुप नहीं बैठते. लेकिन सिर्फ इसलिए कि राजाथी एक ट्रांसजेंडर थी, उसके मंदिर की पुजारिन होने और इस तरह मार दिए जाने का भी लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. वहीं अगर वो कोई 'सामान्य' औरत या पुरुष होती, तो इस पर बवाल मच जाता. 

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