मल्लिका दुआ के वीडियो को रिपीट पर देखिए, उन्होंने कोई देशद्रोही बात नहीं कही है
देशभक्ति साबित करने के लिए सबपर नैतिक दबाव क्यों?
‘लोग तो रोज़ ही मरते हैं तो क्या पूरे साल शोक मनाएं?’
‘लोग पिज़्ज़ा भी बिना जंग की मांग किए ऑर्डर नहीं कर सकते क्या?’
‘ये सब बकवास है?’
ये सारी बातें पुलवामा हमले के कॉन्टेक्स्ट में कही गई हैं. कहा है मल्लिका दुआ ने. ऐसा कई न्यूज़ वेबसाइट और चैनल कह रहे हैं. इनती इनसेंसेटिव बात कहने के लिए पूरा देश मल्लिका दुआ को गालियां दे रहा है. न्यूज़ चैनल्स उनकी ऐसी की तैसी कर रहे हैं. इस बयान को देते ही मल्लिका के इंस्टाग्राम से 20 हज़ार फॉलोअर्स कम हो गए हैं.
सब कह रहे हैं कि मल्लिका ऐसी बात कैसे कह सकती हैं?
दरअसल मामला कुछ और ही है. देश गुस्से में है. पुलवामा हमले ने पूरे देश को झकझोड़ दिया है. कई लोग बदला लेना चाहते हैं. पाकिस्तान को बर्बाद कर देना चाहते हैं. ऐसे में लोगों की भावनाओं के साथ खेलना बहुत ही आसान है. और इसका फ़ायदा उठा रहे हैं कुछ लोग. जो बातें मल्लिका के बारे में कही जा रही हैं उनको बुरी तरह तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है. इसलिए कोई भी राय बनाने से पहले एक बार मल्लिका का वीडियो आप ख़ुद ही सुन लीजिए.
कहीं भी मल्लिका जवानो की मौत को छोटा या बेबुनियाद नहीं बता रही हैं. दरअसल वो जो कह रही हैं उसका मतलब ये है:
- ये नहीं की शहीदों के मरने का दुख नहीं है. सब दुख अलग तरीके से दिखाते हैं. दुख दिखाने का कॉन्टेस्ट नहीं चल रहा है.
- जंग की मांग करने वाले ख़ुद बॉर्डर पर लड़ने जाएंगे. वो ये फ़ैसला कैसे ले सकते हैं. ज़िन्दगी इस हादसे के बाद भी वैसे ही चलेगी जैसे पहले चलती थी.
- दूसरों को पाठ पढ़ाने वाले ख़ुद क्या वाकई कुछ कर रहे हैं? वो कौन होते हैं फ़ैसला लेने वाले कि हमारे जवानों को बॉर्डर पर चले जाना चाहिए. सोशल मीडिया पर बातें बोलना बहुत आसान है. सोशल मीडिया पर पाठ पढ़ाना बहुत आसान है. पर असल ज़िन्दगी में क्या?
ये तस्वीर मल्लिका ने फेसबुक पर डाली. और वो अपने वीडियो से भी यही समझाना चाहती थीं. कहते हैं न समझदार को इशारा काफ़ी. इसलिए समझ जाइए.
एक कमेंट हैं:
Her father is a journalist, was charged with molestation afterwards. Didn't have enough guts to question him. Aur army ke maamlo me aise gyaan dene ajaenge. I'm so sad that our soldiers died fighting for people like her.
— Shivanshi Dixit (@ShivanshiDixit) February 18, 2019
Among all outrage, @MallikaDua is giving long lectures. Nothing new, same posts all communists and left liberals are posting.
But trivializing a martyr to normal deaths in country, and saying its usual and daily stuff.??
Link: https://t.co/W8zMUp7V9v#PulwamaTerrorAttacks pic.twitter.com/RdzUJIWsDN
— The Bong Head (@TheBongHead) February 17, 2019
“हमारे जवानों की मौत को छोटा बताकर और उसे रोज़मर्रा की बात बताकर मल्लिका गंद फैला रही हैं.”
ऐसे और भी हैं. पढ़िए:
मल्लिका दुआ का पूछना था कि जो लोग शहीदों की मौत को इस्तेमाल कर रहे हैं, अपनी देशभक्ति दिखाने के लिए, वो क्या वाकई इससे दुखी हैं भी? इनमें से कई वो लोग हैं जो टैक्स नहीं भरते. करप्शन करते हैं. पर ऐसे मौके पर पाकिस्तान को तबाह करने का दावा करते हैं. क्या वो ख़ुद लड़ने जाएंगे? उस जंग के लिए भी जवानों को अपनी जान ही देनी होगी.
एक जगह मल्लिका कहती हैं कि ‘फिर तो सारे साल हमें शोक में रहना चाहिए न? हमारे नेता भी तो नॉर्मली जी रहे हैं. लोग एक-दूसरे को लेक्चर क्यों दे रहे हैं? सोशल मीडिया पर एक दूसरे को लेक्चर देना बंद करिए. ये बकवास है.”
इस बात पर भी काफ़ी बवाल मचा. वो इसलिए क्योंकि उनकी पूरी बात तो किसी ने सुनी ही नहीं. पूरी बात का अर्थ बस इतना था कि देश से प्रेम करिए. देश के लोगों से प्रेम करिए. पर उसका झूठा दिखावा न कीजिए.
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