सरोजिनी नायडू: उत्तर प्रदेश की पहली गवर्नर, महात्मा गांधी को मिकी माउस पुकारने वाली महिला

दिल्ली की हर लड़की 'सरोजनी' से सस्ते कपड़े खरीदती हैं, जनके नाम पे ये इलाका है वो कौन हैं?

हैदराबाद के निजाम को दुनिया उनकी अफरात दौलत के लिए जानती थी. कोई एक निजाम नहीं था. निजाम का मतलब होता है निजाम उल मुल्क. इसका रेफरेंस जब आता है तो इसका मतलब होता है असफ जाह वंश जिसने हैदराबाद पर शासन किया. उसके कई राजा/शासक हुए. जिनकी बात हम कर रहे हैं वो हैं मीर महबूब अली खान. इनके बाद आने वाले शासक आखिरी होने वाले थे. लेकिन इसका ख्याल लोगों को नहीं था. मीर महबूब अली खान ने एक फारसी नाटक पढ़ा. माहेर मुनीर. पढ़कर बड़े खुश हुए. पसंद आया उन्हें नाटक. जिसने भेजा था उनसे तारीफ की.

भेजने वाले थे डॉक्टर अघोर नाथ चट्टोपाध्याय. लिखने वाली थी उनकी सबसे बड़ी बेटी, सरोजिनी चट्टोपाध्याय.

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निजाम को वो नाटक इतना पसंद आया कि उन्होंने सरोजिनी की कॉलेज की पढ़ाई का खर्च उठाने की बात कही. और भेजा भी तो कहां? किंग्स कॉलेज, लंदन. स्कॉलरशिप पर पढ़ने गईं सरोजिनी अपने आप में एक बेहद ब्रिलियंट स्टूडेंट थीं. किंग्स कॉलेज से बदल कर उन्होंने गर्टन कॉलेज कैम्ब्रिज में नाम लिखवा लिया. 12 साल की उम्र में मद्रास  यूनिवर्सिटी की मैट्रिक परीक्षा पास की थी उन्होंने. इसी एक चीज़ ने उन्हें आस पास के इलाके में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में फेमस कर दिया था.

गांधी जी को मिकी माउस बुला लेने वाली स्वर कोकिला थीं कौन?

उनके पिताजी उनको मैथमटीशियन या साइंटिस्ट बनाना चाहते थे. लेकिन जब देखा कि सरोजिनी का इंटरेस्ट पोएट्री में है, तो उनको उसी में आगे बढ़ने को कहा. विदेश पढ़ने गईं, तो वहां डॉक्टर गोविंदराजुलु नायडू से मुलाक़ात हुई. दोनों एक-दूसरे को पसंद आ गए. उस टाइम में इंटरकास्ट शादी हुई जिसके लिए आज भी लोग मार दिए जा रहे हैं.  वहीं पर आर्थर सिमंस से मुलाक़ात हुई सरोजिनी की. वो भी कवि थे. उन्होंने सरोजिनी को प्रोत्साहित किया अपनी कविताएं छपवाने को. पहला संग्रह ‘The Golden Threshold’ के नाम से आया. उसके बाद और भी कई आए जिनको लोगों ने काफी पसंद किया. उनकी कविताओं की सबसे ख़ास बात ये थी कि उनको गाया जा सकता था. इस वजह से उनको भारत कोकिला के नाम से जाना जाने लगा. 

saro-4-750x500_021319084839.jpgतस्वीर: फेसबुक

1916 में महात्मा गांधी से मिलने के बाद वो आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गईं. 1925 में कांग्रेस का कानपुर अधिवेशन हुआ था. वहां पर उन्होंने अध्यक्षता की. जब 1930 में महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथों में ले लिया. 1942 में जब भारत छोड़ो आन्दोलन हो रहा था, तब उन्होंने महात्मा गांधी के साथ  21 महीने जेल में काटे थे. दोनों एक दूसरे को कई चिट्ठियां लिखा करते थे. सरोजिनी उन बेहद कम लोगों में से थीं जो गांधी के कद के सामने खुद को छोटा महसूस नहीं करते थे. ताउम्र सरोजिनी महात्मा की कट्टर समर्थक बनी रहीं. लेकिन हल्के पलों में वो उनके साथ मजाक भी कर लिया करती थीं. गांधी उन्हें मीराबाई कह देते, वो उनको मिकी माउस. ये सभी बातें उनकी चिट्ठियों में पढ़ने को मिलतीं. आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश की गवर्नर वही बनी थीं. ये पद पाने वाली वो पहली महिला थीं.

saro-5-750x500_021319084910.jpgतस्वीर: विकिमीडिया

आज उनके नाम पर दिल्ली में सरोजिनी नगर मार्केट है. हां वही. जहां हजार रुपए लेकर जाने पर महीने भर के कपड़े खरीदे जाते हैं ऐसा बताते लोग. जहां पर दिल्ली आने वाले कहीं और जाएं न जाएं, एक चक्कर ज़रूर लगा लेते हैं, वही जगह, जहां पर चैनलों के कैमरामैन सस्ते कपड़ों और डीयू के फैशन की अपडेट रिकॉर्ड करने जाते हैं. वही जगह, जहां दिल्ली के बाहर से आने वाली हर लड़की एक बार ज़रूर जाती है. उस मार्केट की एंट्रेंस पर एक तख्ती लगवा देनी चाहिए. इस तख्ती पर एक इबारत लिखनी चाहिए. ये इबारत, सरोजिनी नायडू की कही हुई बात होगी. वो, जो उन्होंने सालों पहले कही थी, लेकिन आज भी हर लड़की को याद रखनी चाहिए:

‘हम इस देश के असली बनाने वाले हैं. तुम नहीं. विकास के हर पड़ाव पर हमारे पूरे सहयोग के बिना तुम्हारी सभी कांग्रेसेज और कांफ्रेंसेज व्यर्थ हैं. अपनी महिलाओं को शिक्षित करो और देश अपने आप सुधर जाएगा. जो कल सच था वो आज भी उतना ही सच है और मानवता के अंतिम समय तक सत्य बना रहेगा. वो सत्य ये है कि जो हाथ पालना झुलाते हैं वही हाथ दुनिया भी चलाते हैं’.   

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