ज़हरीली शराब क्या है जिसके बारे में जानते हुए भी इतने लोग मर जाते हैं?

ख़बरों में रात दिन पढ़ते हैं, अब जान भी लीजिए इतनी खतरनाक क्यों है ये शराब

जहरीली शराब पीने से 15 की मौत.

मध्य प्रदेश सरकार ने जहरीली शराब से हो रही मौतों पर जताई चिंता

गांव की औरतों ने देसी शराब के ठेकों के खिलाफ शुरू किया आंदोलन  

इस तरह की खबरें आए दिन अख़बारों में पढ़ने को मिलती रहती हैं. अब शराब पीना वैसे ही सेहत के लिए बुरा माना जाता है. डॉक्टर्स मना करते हैं. अगर पिएं भी तो बेहद कम मात्रा में पीने के लिए कहा जाता है. कहते ज्यादा पीने से उम्र घटती है. लीवर खराब होता है. और भी कई नुकसान. लेकिन ऐसा क्या हो जाता कि वो शराब जहरीली हो जाती? ऐसा क्या होता इस ‘जहरीली शराब’ में कि लोग पीते ही एकदम कम समय में मर जाते हैं?

hooch-1-750x500_021119075835.jpgसांकेतिक तस्वीर: ट्विटर

इसको समझने के लिए पहले ये समझना ज़रूरी है कि शराब बनती कैसे है?

शराब यानी एल्कोहल. दो तरह की शराब होती है.

1.वाइन/साइडर.

2.बियर/हार्ड ड्रिंक (जिसे स्पिरिट भी कहते).

इनमें क्या डिफ़रेंस है?

बस यही कि वाइन/साइडर फलों से बनता है. बियर/हार्ड ड्रिंक (स्कॉच, व्हिस्की, रम) अनाज से बनते हैं. अनाज में जौ और राई जैसे अन्न से बनती है शराब. इसे बनाने के लिए फल/अनाज को बैक्टेरिया/यीस्ट (खमीर) के साथ छोड़ दिया जाता है.  फर्मेंट होने के लिए. फर्मेंट होना यानी खमीर उठना. अब काफी टाइम तक जब ये खमीर उठता है तो एथनॉल और कार्बन डाई ऑक्साइड बनता है. एथनॉल एक तरह का अल्कोहल का टाइप है. यही वो टाइप है जो पीने वाली शराबों में नशा लाता है. अल्कोहल का यही टाइप है जो पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

लेकिन होता ये है कि जब एथनॉल बनता है तो उसके साथ कुछ मात्र में मेथनॉल भी बनता है. ये मेथनॉल जो टाइप है अल्कोहल का, ये जहरीला होता है. इसे पीना नहीं चाहिए. अब जो ब्रांडेड कम्पनियां शराब बनाती हैं, उनके पास इतने एपेरेटस होते हैं कि वो मेथनॉल को अलग कर सकते हैं. इसको डिस्टिलेशन कहते हैं. साइंस में इस प्रक्रिया का मतलब होता है गंदगियों को दूर करना. पानी को भी डिस्टिल किया जाता है. अब शराब को डिस्टिल करने का मतलब उसमें से मेथनॉल निकालना और उसे स्ट्रांग बनाना होता है. इससे उनकी शराब में ज़हर नहीं रहता. इसलिए महंगी शराब पीने वाले भी मरेंगे, लेकिन आराम से.

hooch-3-750x500_021119075859.jpgसांकेतिक तस्वीर: ट्विटर

अब जहरीली शराब का केस अधिकतर उन जगहों में मिलता है जहां देशी शराब बनाई जाती है. इसे कच्ची शराब भी कहते हैं. अब कई बार होता ये है कि फर्मेंटेशन के दौरान बीच में ही कच्ची शराब मांगने वालों को परोस दी जाती है. या फिर पैसे अधिक कमाने के लिए जानबूझकर इसमें मेथनॉल मिला दिया जाता है. जब ये मेथनॉल शरीर में जाता है, तो पेट दर्द, उल्टियां वगैरह सबसे पहले लक्षण दिखाई देते हैं. अगर समय पर ट्रीटमेंट न किया गया तो  मौत हो जाती है.

सन 2000 के बाद से जहरीली शराब पीने से सबसे ज्यादा मौतों का किस्सा 2008 में सामने आया था. कर्नाटक तमिलनाडु में एक साथ 180 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई थी. कई लोगों ने आंख की रौशनी जाने की बात भी कही.  2015 में मुंबई के लक्ष्मी नगर झुग्गी इलाके में 100 से ऊपर लोगों की मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हो गई थी. 2016 में बिहार में 16 लोगों की मौत इसी वजह से हुई. लोकल स्तर पर इस तरह की खबरें आए दिन न्यूजपेपर्स में आती रहती हैं. दो या तीन से लेकर पांच लोगों के मरने की खबर दिख जाना आम बात है. इस पर मेनस्ट्रीम मीडिया की नजर तब पड़ती है जब स्केल कुछ बढ़ जाए, या इसमें पॉलिटिक्स से जुड़े लोग इन्वोल्व हो जाएं. सबसे लेटेस्ट मामला उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड का है जहां अभी तक 97 मौतें हो चुकी हैं. ये आंकड़ा ख़बरों में बताया गया है. इससे ज्यादा भी हो सकता है. इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी और वहां पर मौजूद बीजेपी सरकार के बीच ठनी हुई है.

malvani-hooch-750x500_021119075945.jpgमालवानी इलाके में 100 से ज्यादा लोगों की जान जाने के बाद बहुत बवाल मचा था इसपर.

लेकिन सच जो है वो ये है कि जहरीली शराब का धंधा इन सरकारों की नाक के नीचे चलता  है और धड़ल्ले से चलता है. लेटेस्ट मामले में एक पिंटू नाम के लड़के की बात की जा रही है. कहा जा रहा है कि उत्तराखंड से वो शराब के पाउच लेकर आया था. उसको जानने वालों ने कहा कि वो ये अक्सर करता था. पुलिस भी उससे हफ्ता लेकर उसे ये सब करने देती थी, ख़बरों में ये भी लिखा गया है.

इस शराब को बनाने के धंधे में महिलाएं शामिल होती हैं. झुग्गियों में बैरल भर-भर कर देसी शराब बनाने के धंधे में महिलाएं अक्सर काम करती दिखती हैं. वहीं इनका विरोध करने में भी सबसे आगे महिलाओं के संगठन ही होते हैं. गुजरात और बिहार में इस वक़्त शराबबंदी हो रखी है. इसके पीछे कई महिला संगठनों की लगातार मेहनत और लोकल शराब के ठेकों को लेकर उनका विरोध शामिल है. लेकिन जहरीली शराब का बिजनेस मंदा होने का नाम नहीं ले रहा. 

malwani-slum-pti-750x500_021119080042.jpgजहरीली शराब पीकर मरने वालों के लिए मुआवजे की मांग होती है, लेकिन अक्सर ये मामला दबा दिया जाता है

हाल में हुई मौतें सिर्फ एक उदाहरण हैं. जहरीली शराब और कुछ नहीं बल्कि नफ़ा कमाने का एक धंधा है जिसमें लोगों की जान को एक फालतू सामान की तरह ट्रीट किया जाता है. ज्योंकि डिस्पोजेबल ग्लास हो. पीकर फेंक दिया. जब तक सिस्टम इसमें शामिल है, तब तक इसे ढंग से दूर करने की बात सोची भी नहीं जा सकती.

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