बच्चे को दूध पिलाने से जुड़े 5 झूठ, आप तो इन्हें नहीं मानतीं?

बनी बनाई बातों को मानने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

उमा मिश्रा उमा मिश्रा
अगस्त 02, 2019
बच्चे को दूध पिलाती मां की सांकेतिक तस्वीर, फोटो कर्टसी: इंडिया टुडे.

वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक. हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाता है. नवजात बच्चे के लिए मां का पहला गाढ़ा दूध बेहद फायदेमंद होता है. जन्म के बाद छह महीने तक उसे मां का दूध ही पिलाना चाहिए. लेकिन हमारे आस-पास कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराना सही नहीं लगता है. ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े कई मिथक हैं, जो सालों से चल रहे हैं. और जिनपर लोग आज भी भरोसा करते हैं.

हमने अपोलो के गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत बेदी से बात की. आइये जान लेते हैं ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े कुछ मिथकों के बारे में और ये भी कि उन पर डॉक्टर पुनीत का क्या कहना है.

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1- दो-तीन साल के बच्चों को कराने से अस्थमा की समस्या?

स्नेहा की भाभी को लगता है कि अगर दो-तीन साल तक की उम्र तक बच्चे को फीडिंग करवाते रहे, तो उसे अस्थमा हो जाएगा, या उसे कोई सांस की प्रॉब्लम हो जाएगी. उन्हें ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि जब बच्चा ब्रेस्टफीडिंग करता है तो उसकी नाक दबती है, और वो सांस नहीं ले पाता.

डॉक्टर पुनीत ने इस पर कहा-

ऐसा सोचना मूर्खता है. लेकिन 2-3 साल तक बच्चे को दूध पिलाने की जरूरत ही क्या है. वह छह महीने तक सिर्फ दूध पीता है. उसके बाद उसे हल्का खाना देना शुरू कर देना चाहिए, वह नॉर्मल खाना नहीं खा पाता है. 15-18 महीने तक हल्का खाना और उसके बाद उसे सामान्य खाना खिलाना शुरू कर देना चाहिए.

2- मां का पहला दूध बच्चे के लिए हेल्दी नहीं होता

मीना का कहना है कि बच्चा दूध पचा नहीं पाएगा, क्योंकि मां का पहला दूध गाढ़ा होता है. एक दिन बीत जाने के बाद बच्चे को मां का दूध पिलाने की इजाजत दी जाती है. बच्चे को शहद चटाना चाहिए, वो हेल्दी होता है और शुभ भी. 

डॉक्टर पुनीत ने कहा- 

मां का पहला दूध बच्चे के लिए बहुत अच्छा होता है. बच्चे के हेल्दी रहने के लिए जरूरी है कि पैदा होने के एक घंटे के अंदर उसे मां का दूध पिलाया जाए. शहद चटाना बहुत गलत है. शहद बच्चों के लंग्स में फंस जाता है और कई बार इससे उनकी जान चली जाती है. पुरानी परंपरा की सबसे खराब बात यही है.

baby-750x500_080119055847.jpgसांकेतिक तस्वीर- pixabay

3-फिगर खराब हो जाता है

हर्षिता को लगता है कि उसने अगर ब्रेस्टफीडिंग करवाई तो उसका फिगर खराब हो जाएगा, इसलिए वो अपना दूध निकालकर फिर पिलाती है या फिर बोतल के दूध का सहारा लेती है.

इस पर डॉक्टर ने कहा-

फीगर पर कोई असर नहीं होता है. फीड न कराने से ब्रेस्ट का शेप ज्यादा खराब होता है. क्योंकि ये नैचुरल प्रॉसेस है.

 4- प्रेगनेंट होने पर फीडिंग करना बच्चे के लिए हानिकारक

कई लोगों का मानना है कि अगर मां पेट से है, प्रेगनेंट है और वो अपने पहले बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवा रही है, तो वो उस बच्चे के लिए सही नहीं होगा, जिसे फीड करवा रही है. क्योंकि उस समय मां का दूध हेल्दी नहीं होता है.

इस पर डॉक्टर पुनीत ने कहा-

अगर प्रेगनेंट लेडी फीडिंग करवाएगी तो उससे पेट में पल रहे बच्चे की सेहत खराब होगी. साथ ही मां की सेहत पर भी असर पड़ेगा. क्योंकि वो फीड भी करवा रही होगी और गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण भी उसी के शरीर से मिल रहा होगा. इसलिए कहा जाता है कि प्रेगनेंसी में फीड नहीं करवाना चाहिए. लेकिन जो बच्चा दूध पी रहा है उसको कोई नुकसान नहीं होगा.

baby-2-750x500_080119055906.jpgसांकेतिक तस्वीर- pixabay

5-अगर आप बीमार हो तो बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए

ऐसा भी मानना है कि अगर मां बिमार है, उसे बुखार या सर्दी है तो उसे ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए. क्योंकि उसका असर बच्चे को भी होगा. बच्चा भी बिमार हो जाएगा. साथ ही उसे अपने साथ भी नहीं रखना चाहिए.

इस पर डॉक्टर पुनीत ने कहा- 

ये महिला की बिमारी पर डिपेंड करता है. लेकिन साधारण बुखार और सर्दी से कुछ नहीं होता है. फीडिंग करवा सकते हैं.

तो इन सभी बातों से ये साफ है कि बच्चे के पैदा होने के तुरंत बाद से 6 महीने तक उसे सिर्फ मां का दूध देना चाहिए. फीडिंग कराने से फिगर खराब नहीं होता है लेकिन नहीं कराने पर बच्चे की सेहत जरूर खराब हो सकती है. तो इस तरह के या फिर और भी कई तरह बनी बनाई बातों को मानने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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