नोएडा के चार पुलिसवाले गिरफ्तार हुए हैं, वजह जानकर सिर पकड़ लेंगे

जब पुलिसवालों को गिरफ्तार करने पुलिस थाने पहुंची पुलिस!

नोएडा पुलिस ने सोमवार यानी 10 जून को पुलिस एक ठग गैंग को पकड़ा है. ये गैंग पुलिस के सिपाही और चौकी इंचार्ज मिलकर चला रहे थे. ये गैंग राह चलते लोगों को झूठे आरोप में फंसाकर उनसे वसूली करता था. इसमें दो औरतें भी पुलिसवालों से मिली हुई थीं. टोटल 15 लोग इस गैंग में शामिल हैं.

कुछ दिनों पहले कुछ लोगों ने नोएडा के गौतमबुद्धनगर एसएसपी से शिकायत की. कहा कि पुलिस का कोई लूटेरा गैंग चल रहा है. इनमें से कुछ लोग इस गैंग के शिकार बन चुके थे. शिकायत के बाद जांच-पड़ताल शुरू हुई. 10 जून को नोएडा सेक्टर 44 पुलिस चौकी से तीन सिपाही और एक चौकी इंचार्ज को गिरफ्तार किया गया. ये लोग 50 हजार रुपये लेते हुये रंगे हाथ पकड़े गए हैं.

पूछताछ में पता चला कि पूरी गैंग में 15 लोग शामिल हैं. इनमें 3 सिपाही, 1 चौकी इंचार्ज, पुलिस पीसीआर पर तैनात 3 प्राइवेट ड्राइवर, 2 महिलाएं हैं. सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है.

कैसे काम करता था गैंग

एक लड़की सेक्टर 44 की पुलिस चौकी की तरफ जाने वाली रोड पर खड़ी होती. वहां से गुजर रहे किसी गाड़ी वाले को हाथ दिखाकर रोकती. इसके बाद कहीं तक छोड़ने की बात कहकर लिफ्ट मांगती. और कार में बैठ जाती. थोड़ा आगे जाकर महिला ऐसी जगह कार रुकवाती थी, जहां सेक्टर 44 पुलिस चौकी की पीसीआर खड़ी हो. इसके बाद महिला पीसीआर पर तैनात पुलिस कर्मियो से शिकायत करती कि जिस आदमी से उसने लिफ्ट मांगी उसने, उसके साथ रेप किया.

e7540de2-c087-4f41-9f8b-38c6f1a082e7_061119072001.jpgगिरफ्तार आरोपी पुलिसकर्मी और महिलाएं

इसके बाद पुलिसवाले लड़की और उस शख्स को पुलिस चौकी ले आते. गैंग में शामिल कुछ और लोग आते जो खुद को महिला के पक्ष का बताते. इसके बाद ट्रैप में फंसाए गए शख्स पर समझौता करने के लिए दबाव बनाया जाता था. चौकी इंचार्ज पैसे लेकर मौके पर ही मामला निपटाने की बात करते थे.

पुलिस ने नोएडा सेक्टर 44 के चौकी इंचार्ज सुनील शर्मा, तीन सिपाही मनोज, जयवीर, देवेन्द्र, पीसीआर के तीन प्राइवेट ड्राइवर के साथ दो महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया है. सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.

रेप अपने आप में ही एक गंभीर अपराध है. जिस औरत या लड़की के साथ रेप होता है वो उस ट्रॉमा से उबर ही नहीं पाती है. ऐसे में किसी पर रेप का झूठा आरोप लगाना, इसे धंधा बनाकर लोगों से वसूली करना किसी रेप विक्टिम के जख्म कुरेदने जैसा है. ऐसे दो-एक मामलों की वजह से असल में रेप का शिकार होने वाली महिलाओं की आवाज अनसुनी कर दी जाती है. और जब इसमें पुलिसवाले ही शामिल हों तो खाकी पर से भरोसा उठने लगता है. कि पुलिस ही ऐसी है तो इंसाफ के लिए किसका दरवाजा खटखटाएं?

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