शरीर पर तिल होने के पीछे असली वजह क्या है?
'पैर में तिल है तो इसका मतलब खूब घूमोगे' तो पढ़ लिया, अब साइंस क्या कहता है वो जान लीजिए.

आपने घर में कभी न कभी किसी को कहते हुए सुना होगा, ‘अरे पैर में तिल है, यानी खूब घूमोगे’. यही नहीं, तिल को लेकर और भी कई सारी बातें कही जाती हैं. जैसे चेहरे में यहां तिल है, तो बहुत सुन्दर माने जाओगे. या होठों पे तिल है तो उसका फलाना मतलब है. इस तरह की बातें बचपन से सुनने को मिलती थीं. हमें बचपन में ये बताते थे कि जिसने पिछले जन्म में जितनी चोरियां कीं, उतने ही इस जन्म में उसके शरीर पर तिल होंगे. इस पर हम बच्चे एक-दूसरे को चिढ़ाया करते थे. ठाकुर प्रसाद के कैलेण्डर में तो बाकायदा बताया गया है कि शरीर के किस हिस्से में तिल हो तो उसका क्या मतलब है. श्रृंगार में तो बाकायदा चेहरे पर तिल बना भी लेते थे लोग. खैर. हम यहां उसकी बात नहीं कर रहे.
बात ये कि आखिर शरीर में तिल होते क्यों हैं?
हमारी चमड़ी जो होती है, उसका रंग डिसाइड होता है मेलेनिन से. यानी किसी त्वचा कितने गहरे रंग की होगी, ये इस बात पे निर्भर करेगा कि उसके शरीर में मेलेनिन कितना बन रहा है. जो गहरे रंग की त्वचा वाले होंगे, उनमें मेलेनिन ज्यादा होगा. जो हल्के रंग की त्वचा वाले होंगे, उनका मेलेनिन का लेवल काफी कम होगा. ये मेलेनिन जो है, मेलानोसाइट्स कोशिकाओं द्वारा बनता है. जब ये कोशिकाएं यानी सेल्स समान रूप से फैले होने के बजाए एक जगह इकठ्ठा हो जाती हैं, तो वहां पर त्वचा का रंग काफी गहरा हो जाता है. इसकी वजह से तिल होते हैं.
सारे तिल तो एक जैसे नहीं होते?
ना जी. कुछ एकदम छोटे से होते हैं. कुछ साइज़ में बड़े. कुछ के ऊपर बाल भी आ जाते हैं. डॉक्टर ओमार अफरोज़ के अनुसार मेडिकल साइंस की दुनिया में इनको मुख्य रूप से इन कैटेगरीज में डाला जाता है:
डर्मल मेलनोसाइटिक नेवी- ये थोड़े से उभार वाले तिल होते हैं. रंग गहरा या त्वचा के रंग का भी हो सकता है. इन पर कभी-कभी बाल भी आ जाते हैं.
सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर
जंक्शनल मेलनोसाइटिक नेवी- ये दिखने में गोल होते हैं. सपाट होते हैं. अक्सर इनका रंग भूरा होता है.
सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर
डिसप्लास्टिक नेवी- ये चपटे या उभरे कैसे भी हो सकते हैं. इनका आकार गोल के अलावा फैला हुआ या फिर बेतरतीब भी हो सकता है.
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हालो नेवी– सिर के पीछे जो प्रभाक्षेत्र होता है, जो आम तौर पर देवी-देवताओं के सिर के पीछे दिखाया जाता है, उसे हालो कहते हैं अंग्रेजी में. इस वाले तिल में होता ये है कि जहां तिल होता है उसके आस-पास का रंग चला जाता है, वो हालो की तरह दिखाई देता है.
सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर
नेवी शब्द नेवस का बहुवचन है. नेवस यानी जन्म के समय शरीर पर बना बर्थमार्क या तिल. और भी कई कैटेगरीज हैं. लेकिन ये कुछ कैटेगरीज हैं जिनमें ज़्यादातर तिल देखने को मिलते हैं.
ये तिल कहीं भी हो सकते हैं. शरीर में 10 से लेकर 30 -40 तक तिल भी हो सकते हैं. लेकिन अगर आपके शरीर में काफी तिल हैं, तो आपको एक बार चेकअप करा लेना चाहिए. तिल खतरनाक नहीं होते. लेकिन अगर आपको तिल की जगह पर जलन, खुजली इत्यादि जैसी शिकायतें हो रही हैं, तो आपको जांच करवा लेनी चाहिए. अगर तिल बहुत सारे हों, लगातार बढ़ रहे हों, तो फ़िक्र वाली बात है. तिल वाली जगह से खून निकले तो टेंशन वाली बात है. तिल और मस्से में फर्क होता है. इनकी वजहें और इलाज अलग-अलग होते हैं. इन्हें एक दूसरे के साथ कन्फ्यूज करने की गलती न करें.
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