मशहूर सिंगर बियॉन्से को प्रेग्नेंसी में हुई थी ये बीमारी,बच्चों की जान पर बन आई थी

इंडिया में भी कई औरतें इस बीमारी से ग्रसित हैं.

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
अप्रैल 18, 2019
बियॉन्से ने 2018 में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

बियॉन्से. नाम तो सुना ही होगा. नहीं सुना तो हम बता देते हैं. ये एक सिंगर हैं. बहुत मशहूर. अमेरिकन हैं. आजकल सोशल मीडिया पर इनके बहुत चर्चे हैं. इनपर बनी फ़िल्म ‘होमकमिंग’ हाल-फ़िलहाल में रिलीज़ हुई है. उसमें बियॉन्से ने अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में भी बात की है. बियॉन्से की प्रेग्नेंसी काफ़ी मुश्किल भरी रही थी. ख़तरनाक भी. उनके पेट में जुड़वा बच्चे थे. कई बार उनमें से एक बच्चे की धड़कन भी काफ़ी कमज़ोर हो गई थी. इसलिए इमरजेंसी में बियॉन्से को ऑपरेशन करवाना पड़ा. दरअसल उनको प्रीक्लेम्पसिया था. जिसकी वजह से उन्हें प्रेग्नेंसी में इतनी दिक्कत आ रही थी. ये एक तरह की कंडीशन होती है.

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प्रेग्नेंसी के दौरान जुड़वा बच्चों में से एक बच्चे की धड़कन भी काफ़ी कमज़ोर हो गई थी. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

नैशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ़ इंडिया द्वारा रिलीज़ किए गए हुए डेटा से पता चलता है कि हिंदुस्तान में आठ से 10 फ़ीसदी प्रेगनेंट औरतें इस कंडीशन से जूझती हैं.

तो क्या होता है प्रीक्लेम्पसिया? ये जानने के लिए हमने डॉक्टर माला श्रीवास्तव से बात की. वो सर गंगा राम हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं.

क्या है ये प्रीक्लेम्पसिया?

डॉक्टर माला श्रीवास्तव बताती हैं:

“अगर प्रीक्लेम्पसिया को आसान शब्दों में समझें तो इसका मतलब हुआ प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर होना. साथ ही प्रेग्नेंसी में या डिलीवरी के बाद पेशाब में प्रोटीन निकलना. इसका ये मतलब भी हुआ कि आपकी किडनी या लीवर में दिक्कत हो सकती है. प्रीक्लेम्पसिया ज़्यादातर प्रेग्नेंसी के 20वें हफ़्ते के बाद होता है. पर कुछ केसेज़ में ये उससे पहले या डिलीवरी के बाद हो सकता है.”

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प्रीक्लेम्पसिया का सबसे बेसिक इलाज है डिलिवरी. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)

क्यों होता है प्रीक्लेम्पसिया

इसकी सिर्फ़ कोई एक वजह नहीं है. डॉक्टर अभी भी पता करने की कोशिश कर रहे हैं. जो वजहें अभी तक देखी जा सकती हैं वो हैं:

-आपके जींस. नहीं वो पहनने वाले नहीं. वो जो आपको अपने माता-पिता से मिलते हैं. यानी genes.

-रक्त वाहिका यानी ब्लड वेसेल्स में दिक्कत.

-आपका इम्यून सिस्टम जिसका काम आपको बीमारियों से बचाकर रखने का है, वही आपके सेहतमंद सेल्स पर हमला करने लगे. गद्दार.

-पेट में एक से ज़्यादा भ्रूण होना.

-35 के बाद प्रेगनेंट होना.

-अपनी टीनएज में प्रेगनेंट हो जाना.

-पहली प्रेग्नेंसी.

-ओवरवेट होना.

-हाई ब्लड.

-डायबिटीज़.

-किडनी की बीमारी होना.

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प्रेग्गेंसी के दौरान बीपी को कंट्रोल करने की दवाइयां भी दी जाएंगीं. (फ़ोटो कर्टसी: Pixabay)

प्रीक्लेम्पसिया के क्या-क्या लक्षण हैं

डॉक्टर माला श्रीवास्तव कहती हैं:

“हो सकता है आप प्रीक्लेम्पसिया के कोई भी लक्षण नोटिस न करें. क्योंकि जो लक्षण हैं वो बहुत ही आम हैं. जैसे:

-सिर में दर्द.

-चेहरे और हाथों में बहुत सूजन होना.

-एकदम से वज़न बढ़ जाना.

-आंखों की रोशनी कमज़ोर होना.

-पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द रहना."

प्रीक्लेम्पसिया का क्या इलाज है

प्रीक्लेम्पसिया का सबसे बेसिक इलाज है डिलिवरी. यानी डिलीवरी के बाद ये दिक्कत होनी बंद हो जाती है. अगर आपकी प्रेग्नेंसी 37वें हफ्ते से ऊपर है तो डॉक्टर कुछ तरीकों की मदद से आपको लेबर में भेजेंगी. अगर आपकी प्रेग्नेंसी 37वें हफ़्ते से कम है तो ये आपकी डॉक्टर डिसाइड करेंगी कि आप कब डिलीवर करें. वो आपकी और आपके बच्चे की सेहत को ध्यान में रखेंगी. ये ध्यान में रखा जाएगा कि प्रीक्लेम्पसिया कितनी सीरियस स्टेज पर है.

इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान बीपी को कंट्रोल करने की दवाइयां भी दी जाएंगीं. ये दवाइयां हो सकता है एक इंजेक्शन की मदद से आपकी नसों में डाली जाए.

ज़रूरी है आप प्रेग्नेंसी के दौरान आप हेल्दी खाना खाएं. विटामिन वगैरह खाती रखिए. साथ ही हर कुछ हफ़्तों में डॉक्टर के पास भी जाती रहिए.

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