एक बेटे को जन्म दिया, 26 दिन बाद फिर अस्पताल पहुंची तो डॉक्टर्स के होश उड़ गए
सुनकर किसी को भी कंपकंपी छूट जाए.
बांग्लादेश के ढाका से अजीब सी खबर आई है. ख़बरों के मुताबिक ढाका के श्यामालागाची गांव में आरिफा सुल्ताना ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. अब ये अपने आप में कोई खबर नहीं है. आप सोच रहे होंगे, इसमें नया क्या है? नया ये है कि भईसाब आरिफा जो हैं वो 26 दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दे चुकी थीं. 22 फरवरी को 20 साल की आरिफा को बेटा हुआ. घर के लोग खुश. उन्हें अस्पताल से घर ले आए. लेकिन आरिफा को फिर लेबर पेन होने लगे तो उन्हें भर्ती कराया गया. जांच हुई तो पता चला कि आरिफा अभी भी प्रेग्नेंट हैं.
ढाका के कुलना मेडिकल कॉलेज में हुई जांच के मुताबिक़ पता चला कि आरिफा के दो गर्भाशय हैं. एक से उसने बेटे को जन्म दिया. दूसरे से 26 दिन बाद जुड़वा बेटे और बेटी को. मीडिया में छपी ख़बरों के मुताबिक़ आरिफा की जांच कर रही डॉक्टर शीला पोद्दार ने बताया कि मां और बच्चे सभी सेफ हैं. उनका ध्यान रखा जा रहा है.
सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर
अब सवाल ये कि भई ऐसा कैसे हुआ? किसी महिला के दो गर्भाशय होने के पीछे का रीजन क्या है?
मेडिकल साइंस में इस कंडीशन को यूट्रस डिडेलफिस (Uterus Didelphys) कहा जाता है. ये तब होता है जब बच्चे के पेट में बनने के समय यूट्रस बनता है. उस समय दोनों तरफ की जो डक्ट्स होती हैं (ओवरीज से यूट्रस को जोड़ने वाली डक्ट्स) वो पूरी तरह से जुडती नहीं है. यानी फ्यूजन नहीं होता दोनों का. इस तरह दो अलग-अलग यूट्रस बन जाते हैं.
ऐसा दिखता है डबल यूट्रस
ये कंडीशन तब तक पता नहीं चलती जब तक जांच ना करवाई जाए. क्योंकि इसमें पीरियड्स वगैरह नॉर्मली आते रहते हैं. इस वजह से आम तौर पर चिंता नहीं होती. हालांकि इस तरह के केसेज बहुत रेयर होते हैं, फिर भी कुछ मामले सामने आते ही रहते हैं.
हमने इस कंडीशन के बारे में बात की डॉक्टर शिवानी चतुर्वेदी से. आगरा की मशहूर गाइनकॉलजिस्ट हैं. उन्होंने बताया,
डॉक्टर शिवानी ने इस कंडीशन के बारे में हमें तफसील से बताया
‘इस कंडीशन में भी दो तरह के यूट्रस होते हैं. एक में सिंगल सर्विक्स होता है, एक में दो सर्विक्स होते हैं. पहले वाले केस में तब पता चलता है जब कोई पेशेंट आती है कंसीव न कर पाने की प्रॉब्लम लेकर. तब हम एक टेस्ट करते हैं. HSG टेस्ट. इससे पता चल जाता है इस कंडीशन के बारे में. जब किसी औरत को ये कंडीशन होती है तो कई बार ऐसा होता है कि एक तरफ के यूट्रस में बच्चा ठहर जाता है, दूसरे वाले से पीरियड्स आते रहते हैं. इस तरह के केस महीने में एक तो आ ही जाता है.
हमने कई केसेज में यूट्रस में बच्चा ठहराया भी है. सक्सेसफुल डिलिवरी भी करवाई है. नॉर्मल डिलिवरी हो सकती है इसमें, लेकिन प्रेफर नहीं की जाती. प्रेगनेंट औरत को ज्यादा रेस्ट भी करना होता है इस कंडीशन में. प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन देना पड़ता कई बार. कई बार फाल्स पेन भी होते हैं क्योंकि यूट्रस की मसल्स इतनी मजबूत नहीं होतीं. ‘इसकी जानकारी टेस्ट करने के बाद ही हो सकती है. हालांकि प्रेगनेंट होने में थोड़ा ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है, लेकिन प्रेगनेंट होती हैं औरतें इस कंडीशन के साथ भी. बचपन से ही होती है ये कंडीशन. लेकिन इसमें यूट्रस को सर्जरी करके जोड़ा नहीं जा सकता. ये सेफ नहीं होता. वो खुल जाएगा वापस. इसलिए कोशिश यही होती है कि उसी में प्रेग्नेंसी ठीक से हो जाए’.
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