क्या शादी से इतना डर लगता है कि आप बीमार पड़ जाती हैं?
किसी भी तरह के कमिटमेंट से डर लगता है तो हो सकता है आपको ये फोबिया हो

निवेदिता को शादी के नाम से डर लगता था. शादी का नाम सुनकर उसका ऐसा हो जाता था जैसे अभी बीमार पड़ने वाली हो. हां, शादी का डर कई लोगों को होता है. पर निवेदिता की हालत इतनी ख़राब हो जाती थी कि उसे दवाइयों की ज़रुरत पड़ती थी. निवेदिता के पेरेंट्स ने अपनी बेटी को डॉक्टर को दिखाने का फ़ैसला किया. पता चला उसे गामोफ़ोबिया है. यानी शादी का कमिटमेंट का डर. ये असल में एक फ़ोबिया है और कई लोगों को होता है.
हमने बात की डॉक्टर शिवानी साधू से. वो साइकॉलजिस्ट और मैरिज काउंसलर हैं. एक्सप्रेस क्लिनिक, दिल्ली में.
क्या होता है गामोफोबिया?
डॉक्टर शिवानी कहती हैं-
‘आसान शब्दों में समझें तो गामोफोबिया का मतलब हुआ शादी का डर. हद से ज़्यादा. लगातार. और कंट्रोल के बाहर. कभी-कभी ये डर इतना ज़्यादा बढ़ जाता है कि आपको मेडिकल अटेंशन की ज़रुरत पड़ सकती है. और ये सिर्फ़ शादी का डर नहीं है. किसी भी तरह से सेटल होने का डर है. कमिटमेंट का डर है. जो लोग गामोफोबिया से ग्रसित होते हैं उन्हें मानसिक और फिजिकल लक्षण भी महसूस होते हैं. ये कभी-कभी इतने ज़्यादा होते है कि आपको पैनिक या एंग्जायटी अटैक पड़ सकते हैं.’
क्यों होता है गामोफोबिया
-किसी के छोड़ के जाने का डर
-अपने को लेकर असुरक्षित महसूस करना
-डिप्रेशन
-अपने माता-पिता से बहुत ज़्यादा लगाव होना
-ख़ुद को नुकसान पहुंचाने की आदत
लक्षण
-शादी के ख़याल से पैनिक करना
-एंग्जायटी
-नकारात्मक ख़याल आना
-कंट्रोल खो देना
-बहुत अधिक गुस्सा आना
-सीने में दर्द होना
-उल्टी
-चक्कर आना
-सांस न ले पाना
-किसी से इमोशनल तौर पर कनेक्ट न कर पाना
-अपने लिए ग़लत पार्टनर पसंद करना
इलाज
बाक़ी किसी भी और मानसिक बीमारी की तरह थेरपी या दवाइयों से इसका इलाज हो सकता है. डॉक्टर शिवानी कहती हैं कि गामोफोबिया का इलाज है. इसे जड़ से ठीक नहीं किया जा सकता.
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