एक ऐसी प्रथा जिसमें लड़कियों को रेप से बचाने के लिए उनके स्तन जला दिए जाते हैं
गर्म पत्थर से किया जाता है मसाज.
पेप्पर स्प्रे. पॉकेट नाइफ. दुनियाभर में लड़कियां अपनी सेफ्टी के लिए कुछ ऐसी ख़तरनाक चीज़ें अपने पास रखती हैं. क्या करें? यौन शोषण या रेप से बचने का सारा दारोमदार उन पर ही होता है. पर हद तो तब हो गई जब हमें ‘वीमेन सेफ्टी’ के नाम पर एक प्रथा के बारे में पता चला. ये नई प्रथा नहीं है. सालों से चल रही है. पर हाल-फिलहाल ये यूनाइटेड किंगडम जैसी जगह पर छाई हुई है. पर आख़िर ये प्रथा है क्या?
इसका नाम है ‘चेस्ट आयरनिंग’. यानी स्तनों को ऐसे दबाना कि उनका उभार पता न चले. गर्म पत्थर की मदद से लड़कियों के ब्रेस्ट्स को दबाया जाता है ताकि वो उम्र के साथ बढ़ें नहीं. ऐसी प्रथा दुनिया के किसी छोटे और पिछड़े देश में नहीं, बल्कि ‘मॉडर्न’ यूके में ज़ोर पकड़ रही है. और ये काफ़ी शॉकिंग है.
एक अंग्रेजी अखबार ने इस बात का ख़ुलासा किया. तहकीकात करने पर पता चला कि हजारों लड़कियों और औरतों को इस दर्दनाक टॉर्चर से गुज़रना पड़ता है. दक्षिण लंदन में एक शहर है. क्रोय्डॉन. 15 से 20 केसेस तो अकेले वहां के हैं.
चेस्ट आयरनिंग’ अफ़्रीका के कई देशों में सालों से की जा रही है. फ़ोटो कर्टसी: Reuters (सांकेतिक तस्वीर)
‘ब्रेस्ट आयरनिंग’ करते कैसे हैं?
अक्सर मांएं, आंटियां, या दादी-नानी एक खौलते गर्म पत्थर से लड़कियों के ब्रेस्ट्स मसाज करती हैं. ताकि टिश्यू टूट जाएं और उनकी ग्रोथ रुक जाए. ऐसा हफ़्ते में एक से दो बार किया जाता है.
पर सबसे बड़ा सवाल. कोई अपनी ही बच्ची के साथ ऐसा क्यों करेगा?
जवाब है बचाव. बचाव यौन शोषण से. बचाव रेप से. बचाव मर्दों की लड़कियों में इंटरेस्ट से. पर ये प्रथा जेंडर वायलेंस के तहत आती है. और यूनाइटेड नेशंस का कहना है कि ऐसा दुनिया में कई जगह हो रहा है. बस इसकी शिकायत नहीं की जाती.
डॉक्टर बताते हैं कि ये प्रथा काफ़ी ख़तरनाक है. बेकार भी. ये अपने आप में शोषण है और इसका लड़कियों की हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है. सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं. मानसिक भी. ‘ब्रेस्ट आयरनिंग’ की वजह से उनको इन्फेक्शन, ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियां हो जाती हैं. साथ ही आगे जाकर उन्हें स्तनपान कराने में काफ़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
पत्थर से लेकर लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. पहले दोनों को आग पर गर्म किया जाता है. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर
'द गार्डियन' नाम के अखबार को दिए इंटरव्यू में एक मां ने बताया:
“जैसे ही मेरी बेटी को पीरियड्स शुरू हुए. मैंने उसकी ब्रेस्ट आयरनिंग करनी शुरू कर दी. मैंने एक पत्थर लिया. उसे गरम किया. फिर उस पत्थर से अपनी बेटी के स्तनों को मसाज करना शुरू किया.”
इससे पहले हम आगे कुछ बताएं, आप 10 सेकंड का ब्रेक लीजिए. सोंचिए. एक खोलता हुआ पत्थर कोई आपकी खाल पर रगड़े. उस दर्द का एहसास भी शायद हम नहीं लगा सकते. बस सोंच सकते हैं. और ये टॉर्चर क्यों? ताकि कोई पुरुष अपनी वासना पूरी करने के लिए उस बच्ची को शोषण का शिकार न बनाए. इससे बड़ी नाइंसाफी शायद ही दुनिया में कोई और होगी.
अजीब बात ये है कि ब्रिटिश पुलिस को इस प्रथा का इल्म है. पर वो फिर भी कुछ नहीं कर रही. इसलिए क्योंकि ‘ब्रेस्ट आयरनिंग’ कल्चर का हिस्सा है. ठीक वैसे ही जैसे औरतों का खतना. इसमें औरतों का क्लिटोरिस काट दिया जाता है ताकि उनका सेक्स करने का मन न करे.
हद है. दुनिया भर में लड़कियों को ऐसी दर्दनाक प्रथाओं से गुज़रना पड़ता है ताकि उनकी ‘इज्ज़त’ बची रहे. जैसे इज्ज़त कोई चीज़ है और उनके प्राइवेट पार्ट्स में रहती है.
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