वर्जिनिटी टेस्ट के ख़िलाफ़ समाज से लड़ने वाले लड़के ने जो कहा वो करके दिखाया
सुहागरात पर होने वाले वर्जिनिटी टेस्ट ने कई लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद की है.
विवेक तमाईचिकर ठाणे, मुंबई का रहने वाला है. जब वो 10 साल का था तो वो अपनी एक कज़िन की शादी में गया. उसकी बड़ी बहन की शादी थी. वहां उसने देखा कि उसकी बहन को लोग पीट रहे हैं. उस समय विवेक को ज़्यादा कुछ समझ में नहीं आया. बाद में पता चला कि मामला आखिर था क्या. विवेक कंजरभाट समुदाय से है. इनमें एक प्रथा है. विर्जिनिटी टेस्ट की.
जब भी किसी जोड़े की शादी होती है, तो बिस्तर पर सफ़ेद चादर बिछा दी जाती है. सुहागरात के समय पंचायत के लोग दुल्हन के कमरे के बाहर ही बैठे रहते हैं. उसके बाद बिस्तर पर बिछी सफ़ेद चादर उनको दिखाई जाते है. उसमें खून लगा होना चाहिए. उससे ही पता चलता है कि दुल्हन शादी के समय कुंवारी है. अगर ब्लीडिंग न हो तो शादी टूट जाती है. ऊपर से लड़की और उसके परिवार की बदनामी अलग. अगर लोगों को अपनी इज्ज़त और शादी बचानी है, तो उन्हें पंचायत को अच्छी-ख़ासी रकम देनी पड़ती है.
ज़रूरी है कि ये प्रथा खत्म की जाए. इसने कई लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद की है. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)
हालांकि इस बात का कोई मेडिकल प्रूफ़ नहीं है कि पहली बार सेक्स करते समय लड़की को ब्लीडिंग होनी चाहिए. पर फिर भी इस मिथक ने कई लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद की है. जैसे विवेक की बहन की हुई.
बड़े होकर विवेक ने इस प्रथा के ख़िलाफ़ लड़ने की ठानी. उसने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया. ‘स्टॉप द वी रिचुअल.’ इसके बाद विवेक कई लोगों के निशाने पर आ गया. कंजरभाट समुदाय के कई लोग उसके दुश्मन बन बैठे.
मई 2018 में 29 साल के विवेक ने 23 साल की ऐश्वर्या भट्ट से शादी की. इस शादी में लोगों से ज़्यादा तो पुलिसवाले थे. वजह? इस जोड़े को लोगों से बचाने के लिए.
‘द वाइस’ को दिए एक इंटरव्यू में विवेक कहते हैं:
‘ऐश्वर्या भी इस प्रथा के ख़िलाफ़ है. हम तीन साल से एंगेज्ड थे. उसके दादा कंजरभाट समुदाय के चेयरपर्सन हैं. जब मैंने उनसे कहा कि मैं ये वर्जिनिटी टेस्ट नहीं होने दूंगा, तो उन्होंने शादी से मना कर दिया. मेरे घरवालों को भी यही डर था कि समुदाय के बाकी लोग नाराज़ हो जाएंगे. बायकॉट कर देंगे. मेरे भाई-बहनों से कोई शादी नहीं करेगा. हमें उन्हें मनाने में 6 महीने लग गए.’
विवेक का वॉट्सऐप ग्रुप 2017 में बना था. इसके बारे में भी विवेक ने इंटरव्यू में बताया:
‘2017 में मैंने इस प्रथा के ख़िलाफ़ फेसबुक पर लिखा था. उसके बाद कई लोगों ने मुझे मैसेज किया. वो भी इस प्रथा के ख़िलाफ़ थे. तब मैंने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया. अब इसमें 52 लोग हैं.’
वर्जिनिटी टेस्ट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की इस मुहिम में भले ही विवेक के साथ ज़्यादा लोग न हों, पर वो काफ़ी हिम्मत का काम कर रहे हैं. ज़रूरी है कि ये प्रथा खत्म की जाए. इसने कई लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद की है.
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