क्या जरूरी है कि पहली बार शारीरिक संबंध बनाते हुए लड़की को खून आए?
लड़कियों के अंदर 'झिल्ली' टूटने को लेकर क्या हैं गलतफहमियां.
पुणे में एक जगह है, विश्रंतवड़ी. 1 साल पहले, 18 साल की सुनीता की वहां शादी हुई. शादी की रात उसका विर्जिनिटी टेस्ट हुआ. सब ये जानने के लिए इच्छुक थे कि सेक्स के बाद उसकी वजाइना से खून निकला या नहीं. सबकी नज़र में ये उसके कुंवारी होने की निशानी थी. पर जब सेक्स हुआ, तो खून नहीं निकला. सुनीता की सास ने उसे खरी-खोटी सुनाई. बेइज्ज़त किया. फिर उसको उसके माता-पिता के घर छोड़ दिया. पर असल में सुनीता का शादी से पहले किसी के साथ शारीरिक संबंध नहीं था. तो फिर उसे खून क्यों नहीं निकला?
इसलिए क्योंकि हाइमन यानी वजाइना के अंदर जो झिल्ली होती है, वो सिर्फ़ सेक्स से नहीं फटती. और भी बहुत वजहें होती हैं. पर दुख की बात ये है कि हमारे देश में हाइमन को लेकर बहुत ग़लतफ़हमियां है. और उससे भी ज्यादा दुख की बात ये है कि किसी लड़की के हाइमन से उसके चरित्र का अंदाजा लगाया जाता है.
आइए, हाइमन से जुड़ी कुछ गलतफहमियां दूर करें.
1. हाइमन वजाइना के बाहरी हिस्से को ढंकता नहीं है
ज़्यादातर लोगो को लगता है कि एक झिल्ली वजाइना की ओपनिंग को ढक कर रखती है. जब पीनस अंदर जाता है तो ये झिल्ली फट जाती है. पर ये पूरी तरह सच नहीं है. आप ख़ुद सोचिए. अगर ऐसा होता तो क्या लड़कियां पीरियड के दौरान ब्लीड कर पातीं? आपने कभी डोनट देखा है? हाइमन एक टिश्यू होता है उसी आकार का. ये वजाइना के अंदर होता ज़रूर है, पर डोनट की तरह, इस में भी एक छोटा सा छेद होता है. उसी की बदौलत पीरियड में खून वजाइना के बाहर आ पता है.
2. सारे हाइमन एक जैसे नहीं होते
ज़्यादातर हाइमन के बीच में एक छोटा सा छेद होता है. 200 महिलाओं में सिर्फ एक ही औरत हाइमन में बिना किसी छेद के पैदा होती है. पर सारे हाइमन एक जैसे नहीं होते. कहने का मतलब है कि सबकी ओपनिंग एक जैसी नहीं होती. कुछ हाइमन मधुमक्खी के छत्ते जैसे होते हैं. मतलब इस झिल्ली में कई सारे छेद होते हैं.
3. हाइमन असल में टूटता नहीं है
हाइमन को एक प्लास्टिक की थेली समझिए. ये इलास्टिक की तरह खीचीं जा सकती हैं. फट सकती है. पर टूट नहीं सकती. ठीक वैसे ही हाइमन होता है. अगर आपको लगता है कि हाइमन पहली बार सेक्स करते ही गायब हो जाता है, तो आप गलत हैं. ये कहीं जादू से गायब नहीं होता. ये वहीं रहता है. बस वक़्त के साथ-साथ पतला होता जाता है. फिर खत्म हो जाता है.
4. हाइमन बदलता रहता है
जैसे के हमने आपको पहले भी बताया था, हाइमन एक टिश्यू होता है. जब लड़की पैदा होती है, तब उसका टिश्यूनुमा हाइमन काफ़ी मोटा होता है. पर जैसे-जैसे वो बड़ी होती है, हाइमन पतला होता जाता है. कई सारी वजाहों के चलते. जैसे: चलना, दौड़ना, खेल-कूद, और हस्तमैथुन. इन सारी वजाहों से हाइमन पतला होता जाता है और धीरे-धीरे ख़त्म हो जाता है. यही नहीं, उसकी जो ओपनिंग होती है, वो और चौड़ी होती जाती है. जब तक लड़की का शरीर सेक्स के लिए तैयार होता है, तब तक हाइमन काफ़ी पतला हो चुका होता है.
5. सेक्स के दौरान दर्द हाइमन की वजह से नहीं होता
सबको लगता है की पहली बार सेक्स करते टाइम, दर्द हाइमन फटने की वजह से होता है. ये पूरी तरह से सच नहीं है. दर्द कितना होगा, ये निर्भर करता है कि उसके हॉर्मोन उसका कितना साथ दे रहे हैं. हो सकता है किसी औरत को प्राइवेट पार्ट्स में पर्याप्त चिकनाई न मिल रही हो. इस वजह से पीनस को अंदर जाने में तकलीफ होती है. एक वजह और है: सेक्स का डर. ये औरत को मानसिक तौर पे डरा देता है. वो सहज महसूस नहीं करती. उसका सारा ध्यान दर्द पर होता है. जीवन में पहली बार सेक्स करने पर ऐसा महसूस करना आम है.
6. पहली बार सेक्स करते टाइम खून निकलना ज़रूरी नहीं है
काश ये बात दुनिया में सबको समझ में आ जाए. ज़रूरी नहीं है की हर औरत ब्लीड करे. वैसे भी, जो बचा-कुछा हाइमन होता है, उसके फटने से ज़्यादा खून नहीं निकलता. पर वजाइना के अंदर जो टिश्यू होते हैं, उसमें काफ़ी खून भरा होता है. तफ़सील में जाएं तो वहां रेड ब्लड सेल्स होते हैं. रेड ब्लड सेल्स आपके शरीर में ऑक्सीजन एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं. खैर, वजाइना के अंदर टिश्यू में ये काफ़ी मात्रा में होते हैं. पहली बार जब सेक्स होता है तो इन टिश्यू में रगड़ लग जाती है. चोट लगती है. और फिर खून निकलता है.
औरत 'वर्जिन' है या नहीं, इसको आप चेक नहीं कर सकते. और करना भी क्यों है? क्या लड़की की सभी अच्छाई-बुराई इस बात से तय होगी कि वो 'वर्जिन' है या नहीं?
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