एक्सक्लूसिव: तापसी पन्नू ने कंगना की बहन के 'सस्ती कॉपी' कमेंट का मुंहतोड़ जवाब दिया है
अगली बार कोई भी तापसी पर फ़ालतू कमेंट करने से पहले दस बार सोचेगा.

तापसी पन्नू ने अपनी आने वाले फ़िल्म ‘सांड की आंख’ पर हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत की. साथ ही मीटू मूवमेंट और कंगना के मसले पर भी बोलीं.
आपकी फ़िल्म आ रही है ‘सांड की आंख’ . इसके टाइटल का क्या मतलब है? मछली की आंख नहीं, सांड की आंख क्यों?
हां. क्योंकि चंद्रो और प्रकाशी, जिनपर फ़िल्म बनी है वो 60 की उम्र पार कर चुकी हैं. पर उनमें कुछ नया सीखने के लिए बच्चों जैसी मासूमियत है. उनको ये सिखाया गया है कि शूट करते समय ‘बुल्स आई’ पर मारना होता है. उनके लिए ये बहुत नया है. उनका रिएक्शन भी बहुत प्यारा है. बहुत मासूम है. उनको बस ये पता है कि हमें ‘सांड की आंख’ पर मारना है. इसलिए फ़िल्म का नाम ‘सांड की आंख’ है.
सांड की आंख फिल्म का एक सीन. (फ़ोटो कर्टसी: YouTube)
हम आजकल देखते हैं कि एक्टर्स अपनी उम्र से छोटे रोल्स करना चाहते हैं. आप अपनी उम्र से बड़ी महिला का रोल प्ले कर रही हैं. आपको डर नहीं लगा?
नहीं, मुझे अपने करियर की इमेज का डर नहीं था. मुझे ये डर नहीं था कि उम्र में अपने से बड़ी औरत का रोल प्ले करना है. मुझे सिर्फ़ एक डर है, कि क्या हमारी ऑडियंस तैयार है, इतने बड़े एक्सपेरिमेंट के लिए? एक्टर्स को उम्र से बड़े रोल करते हुए देखने के लिए? बाहर तो एक्टर्स अलग-अलग ही रूप ले लेते हैं. कभी उनकी उम्र अलग हो जाती है. कभी वो अलग प्लेनेट के हो जाते हैं. और क्या हमारे देश में हम लोग तैयार हैं? इस बात के बारे में मैं ज़्यादा नर्वस हूं.
जब आपको एक बूढ़ी औरत के रूप में तैयार करते थे, तो आपको कितना वक़्त लगता था?
शुरुआत में लगभग तीन घंटे. उतारने में एक घंटा. मैं एक जगह पर टिक कर बैठने वाली नहीं हूं, तो मेरे लिए तो एक टेस्ट होता था.
'सांड की आंख' में तापसी के साथ भूमी भी हैं. (फ़ोटो कर्टसी: YouTube)
आपकी फिल्म का एक बड़ा हिस्सा गांव में शूट हुआ है. आपको कोई दिक्कत तो नहीं आई?
नहीं. सब कुछ काफी कंट्रोल में था. हम एक छोटे गांव में शूटिंग कर रहे थे. वहां लोग बहुत साथ देने वाले थे, मदद करने वाले थे. कभी अगर प्रोडक्शन में लोग कम पड़ते थे बिठाने के लिए, तो वहां के लोकल लोग आ जाते थे.
'सांड की आंख' फ़िल्म के लिए आपको कैसी ट्रेनिंग लेनी पड़ी?
फिल्म में हमने दिखाया है कि चंद्रो और प्रकाशी ने कैसे ख़ुद को तैयार किया है. हाथों में पानी का जग लेकर अपना बैलेंस बनाना, ईटों को हाथों में बांधकर ट्रेनिंग करना. फ़िल्म में ये सब है.
टीज़र में दिखाया गया है कि घूंघट हटाया, पर जब पुरुषों ने आंख दिखाई तो वापस डाल लिया. क्या फ़िल्म में घूंघट प्रथा के खिलाफ़ स्टेटमेंट है?
अच्छी फ़िल्म की पहचान ये है कि स्टेटमेंट डायरेक्ट नहीं दी जाती. हम आपको एक लाइफस्टाइल दिखाएंगे. उस लाइफस्टाइल में रहते हुए औरतों ने क्या किया, ये दिखाएंगे. आप क्या सीख लेते हैं ये आप पर निर्भर करता है, लेकिन घूंघट में रहना तब भी था और आज की तारीख में भी है. चंद्रो और प्रकाशी 80 की हो गई हैं. पर जब आज भी अपने जेठ के सामने जाती हैं, तो घूंघट ले लेती हैं. ये सब आपको पिक्चर में दिखेगा.
चंद्रो और प्रकाशी, जिनपर 'सांड की आंख' फिल्म फ़िल्म बनी है वो 60 की उम्र पार कर चुकी हैं. (फ़ोटो कर्टसी: YouTube)
देवरानी-जेठानी का रिश्ता सुनकर टीवी सीरियल दिमाग में आ जाता है. ये देवरानी-जेठानी का रिश्ता काफ़ी अलग है.
यहां भी देवरानी-जेठानी प्लॉटिंग कर रही हैं. पर सोसाइटी के जो नॉर्म्स हैं उनके खिलाफ़. साथ में मिलकर. इसके अंदर रहते हुए वो कैसे अपने दिल की इच्छा पूरी करें. इनका लक्ष्य था कि जिस तरह की लाइफ इन दोनों ने जी है, वैसी लाइफ इनकी बेटियों को न जीनी पड़े. सोसाइटी में रहते हुए उनकी नाक के नीचे क्या-क्या कर जाती हैं. स्टेटमेंट है इस पिक्चर में. हमेशा एक औरत, दूसरी औरत की दुश्मन नहीं होती. आदमी भी बिचिंग करते हैं. इन दोनों के बीच में बहुत अच्छी केमिस्ट्री है.
ऑफ़-कैमरा एक मेल को-स्टार के साथ काम करना और फीमेल को-स्टार के साथ काम करना कैसे अलग होता है?
मुझे ज़्यादा फ़र्क नहीं लगा. बस बाहर से ये बातें होती थीं, कि ये दो औरतें हैं. ये एक अलग बात है. अगर कोई लड़का भी होता है तो केमिस्ट्री नहीं बदलती.
ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि आप मिताली राज की बायोपिक में काम करने वाली हैं?
मैंने भी ऐसी रिपोर्ट्स तो पढ़ी हैं. पर जब तक मैं कोई ऐसी चीज़ साइन नहीं कर लेती, तब तक मैं उसके बारे में बात नहीं करती. मुझे बहुत डर लगता है, कि वो चीज़ मेरे हाथ से निकल न जाए. पर मुझे ये रोल करके बहुत अच्छा लगेगा.
मिताली राज की बायोपिक में होंगी तापसी. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)
मीटू मूवमेंट हमने देखा. औरतों ने हिम्मत करके अपनी बात बोली. जिन लोगों पर आरोप लगे, उनको काम वापस मिलने लगा है, पर जिन औरतों ने बोला उनके हाथ से काम जा रहा है. ऐसे में आगे क्या होगा?
सालों से औरतों को नहीं बोलने दिया गया. अचानक से एक मूवमेंट से ये चीज़ें नहीं बदलेंगी. बहुत ही प्रैक्टिकल सी बात है. रातों-रात ये नहीं बदलेगी, पर इसका ये मतलब नहीं कि आप हिम्मत छोड़ दो. आप हिम्मत मत छोड़ना, अपने लिए नहीं पर आगे आने वाली जनरेशन के लिए. एकदम से ये ठीक नहीं होगा. पर बोलना मत छोड़ना.
कंगना की बहन ने तापसी को 'सस्ती कॉपी' कहा था. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)
कंगना और रंगोली ने आपके बारे में काफ़ी-कुछ कहा है. सस्ती कॉपी बोला. कंट्रोवर्सी हुई. आपका क्या ओपिनियन है इसपर?
अगर सस्ती कॉपी की बात है तो मुझे नहीं पता था कि अपनी एक सच्ची राय रखना और घुंघराले बाल होने पर किसी का कॉपीराइट है. होता तो शायद मैं उसकी माफ़ी मांग लेती. पर घुंघराले बाल तो भगवान् और मां-बाप के हाथ में था. मैं उसका कुछ नहीं कर सकती. और सच्चे ओपिनियन के लिए तो किसी से नहीं माफ़ी मांगूंगी. कंगना कहती हैं कि वो हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस हैं इंडस्ट्री की, तो होंगी. मुझे तो नहीं मिलता है इतना पैसा. अब इसपर क्या ही बोलूं मैं.
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