एक सांवली लड़की की कहानी जो अपने रंग से खुश है, लेकिन लोग उसे गोरा बनाना चाहते हैं
लोगों को ये बात हजम नहीं होती कि सांवली लड़की खुद से खुश भी हो सकती है.
नोट: ये लेख हमारी एक 29 साल की रीडर ने लिखकर भेजा है. उनकी इच्छा है कि उनकी पहचान न बताई जाए.
मैं पढ़ी-लिखी हूं. नौकरी करती हूं. सेल्फ डिपेंड हूं. अपने आसपास मौजूद लड़कियों की तरह ही खूबसूरत और कॉन्फिडेंट महसूस करती हूं. लेकिन हर इंसान के अंदर किसी न किसी चीज को लेकर कॉम्प्लेक्स होता है. मुझमें भी है. मेरे सांवले रंग को लेकर. ऐसे कई सिचुएशन रहीं जब कि लोगों ने मुझे ये महसूस कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि मेरा रंग, मेरी सबसे बड़ी समस्या है.
मुझे याद है कि मैं मां के साथ फ्रॉक लेने मार्केट गई थी. तब उस दुकान वाले ने उनसे कहा था कि मेरे रंग के हिसाब से हल्के रंग की फ्रॉक अच्छी लगेगी. मैं तब 12 साल की थी. वो पहली बार था जब मुझे पता चला कि मेरा रंग सांवला है.
तस्वीर : pixabay
इसके बाद ये बातें रुकी नहीं. कभी ताई, कभी मौसी और कभी मामी मेरे रंग को लेकर मां को सलाह दिया करती थीं. हल्दी लगाओ, मलाई लगाओ, चाय मत पिलाया करो, वगैरह. वो मम्मी से ये भी कहती थीं कि वो गोरी हो, मेरी दोनों छोटी बहनें भी गोरी हैं, फिर मैं किस पर हूं. जानती हूं कि मम्मी भी ये सब बातें सुनकर पक चुकी थीं. वो कई बार जवाब देतीं और कई बार कुछ नहीं कहती थीं.
खैर, ये सब चलता रहा. घरवालों ने शादी के लिए लड़के देखना शुरू कर दिए. मैं भाई-बहनों में सबसे बड़ी हूं. लड़के अपने परिवार के साथ घर आते और बताते हैं कहकर चले जाते. ज्यादातर ने कोई जवाब नहीं दिया. कुछ ने जवाब दिया कि बेटे को मैं पसंद नहीं आई.
किसी शादी या फंक्शन में मामी-मौसी की कानाफूसी सुनने को मिलती रहती कि लड़की गोरी-भूरी हो, तो दहेज भी कम देना पड़ता है. देखो वो (मेरी मां) कितनी परेशान हैं. धीरे-धीरे मेरे अंदर सांवले रंग को लेकर इन्सिक्योरिटी बढ़ती गई.
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एक बार मुझे देखने आए परिवार ने मेरी छोटी बहन को पसंद कर लिया. जाहिर है कि वो गोरी थी, मुझसे ज्यादा सुंदर थी. मेरे घरवालों ने शादी के लिए मना कर दिया, क्योंकि वो पहले मेरी शादी कराना चाहते थे.
इसके बाद से मुझे देखने कोई भी परिवार आता था, मेरी दोनों बहनों को कमरों में छुपा दिया जाता था. ताकि उस परिवार को सिर्फ मैं ही दिखूं. घर में कोई गोरी लड़की उन्हें नहीं नजर आए. ये आइडिया मामी का था. जिसने मेरे अंदर सेल्फ कॉन्फिडेंस को भी मार दिया.
मुझे पता है कि मैं सांवली हूं. और मुझे इस बात से कोई तकलीफ भी नहीं. लेकिन तकलीफ तब होती है, जब लोग मुझे गोरा करने वाले उपायों की सलाह देते हैं. मुझे सिंपथी देने की कोशिश करते हैं. ये जताने हैं कि सांवले लोग ज्यादा अट्रेक्टिव होते हैं. मुझे ब्लैक ब्यूटी कहकर नंदिता दास के उदाहरण देते हैं.
मैं जानती हूं कि मैं सुंदर हूं. मैं उतनी ही नॉर्मल हूं, जितनी कोई गोरी लड़की है. मुझे मेरी स्किन गोरी नहीं करनी. मैं किसी लड़की से किसी भी लिहाज से कमतर नहीं हूं. मैं कॉन्फिडेंट भी हूं. लेकिन जब तक लोगों की सलाहें और मुझे अच्छा फील कराने के लिए जबरदस्ती के कॉम्प्लिमेंट मिलते रहेंगे, तब तक मेरे मन में सांवले रंग को लेकर कॉम्प्लेक्स भी बना रहेगा.
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