लड़कियों के लिए पेशाब करने का सबसे सही तरीका ये है
इंडियन या वेस्टर्न: दोनों में से कौन सा टॉयलेट लड़कियों के लिए बेहतर है?

एकता अपनी दोस्तों के साथ हिमाचल घूमने गई थी. सब सुबह-सुबह निकल जाते और देर रात घूम-घामकर वापस आते. सब बढ़िया था. बस एक दिक्कत थी. टॉयलेट. अब पब्लिक टॉयलेट कितने साफ़ होते हैं, ये कोई बताने वाली बात नहीं है. खैर, छुट्टियां खत्म हुई और एकता घर आ गई. पर वापस आने के बाद उसको पेशाब में जलन शुरू हो गई. बुखार भी आ गया. जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला उसे यूटीआई हो गया था. यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन. इस तरह का इन्फेक्शन पेशाब के सिस्टम, यानी यूरिनरी सिस्टम में होता है. साथ में किडनी और ब्लैडर में भी होता है. ब्लैडर माने वो थैली, जिसमें शरीर के अंदर पेशाब स्टोर होती है.अब ये क्यों हुआ? क्योंकि एकता ने गंदे पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल किया था. जिस वजह से उसको इन्फेक्शन हो गया.
ये अकेले रश्मी की दिक्कत नहीं है. आमतौर पर लड़कियों को यूटीआई गंदे टॉयलेट इस्तेमाल करने की वजह से होता है.
हमनें डॉक्टर वंदना गावड़ी से बात की. ये फोर्टिस अस्पताल, मुंबई में स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. उन्होंने बताया:
“लड़कियों को इन्फेक्शन मर्दों के मुकाबले ज़्यादा आसानी से हो जाता है. इसकी वजह है हमारे शरीर की बनावट. हमें पेशाब बैठकर करना पड़ता है.”
देशभर में दो तरह के टॉयलेट बने हैं. इंडियन और वेस्टर्न. इंडियन में आपका शरीर सीट को छूता नहीं है. दूसरा है वेस्टर्न. ये सीटनुमा होता है. और ये इन्फेक्शन की बड़ी जड़ है.
यूटीआई की बड़ी वजह गंदे टॉयलेट इस्तेमाल करना होता है. फ़ोटो कर्टसी: Reuters
कौन सा टॉयलेट बेहतर है?
डॉक्टर वंदना गावड़ी कहती हैं:
“देखिए अच्छा तो यही है कि टॉयलेट साफ़ हो. चाहे इंडियन हो या वेस्टर्न. पर अगर आप ये देखें कि कौन सा ज़्यादा सेफ़ है तो मैं कहूंगी इंडियन. वेस्टर्न में सीट होती है. कई लोग उसे इस्तेमाल करते हैं. उसपर बैक्टीरिया का पनपना आम है. जब आप उसपर बैठती हैं तो ये बैक्टीरिया आपकी खाल के कॉन्टैक्ट में आते हैं. इंडियन में ऐसा नहीं होता.”
बीमारी से बचने के कुछ आसान टिप्स
1. चाहे इंडियन यूज़ करें या वेस्टर्न फ्लश ज़रूर करें. अगर फ्लश नहीं है तो मग्गे में पानी भरकर एक बार टॉयलेट के अंदर डाल दें.
2. दूसरी चीज़. कोई भी पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते समय सीट के ज़्यादा पास मत जाइए. खासतौर पर वेस्टर्न. थोड़ा उठकर पेशाब करिए. सीट पर मत बैठिए. इंडियन में भी यही करिए. यहां आपकी खाल कॉन्टैक्ट में नहीं आ रही, पर बैक्टीरिया यहां भी बहुत है.
3. अगर आप वेस्टर्न इस्तेमाल कर रही हैं और आपको बैठना ज़रूरी है, तो टिशू का इस्तेमाल करिए. सीट पर टिशू बिछा दीजिए. फिर बैठिए.
वेस्टर्न टॉयलेट इस्तेमाल करते समय उसपर बैठिए मत. फ़ोटो कर्टसी: Pixabay
4. ज़्यादा देर तक बैठी मत रहिए. काम निपटाईए.
5. फ्लश करते ही टॉयलेट के बाहर निकल जाइए. जर्म्स और बैक्टीरिया सिर्फ़ सीट पर ही नहीं हवा में भी होते हैं. फ्लश करते समय इनका प्रकोप ज़्यादा होता है. इसलिए बटन दबाइए और बाहर भाग जाइए. फ्लश करते समय सीट का ढक्कन बंद कर दीजिए. साथ ही फ्लश अपने नंगे हाथों से मत दबाइए. हाथ में टिशू पकड़िए और फिर फ्लश करिए.
6. साबुन से हाथ धोइए और हैंड सैनिटाइज़र ज़रूर इस्तेमाल करिए.
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