'बुरा न मानो होली है...' इसकी आड़ में लड़कियों के साथ होने वाले यौन शोषण के किस्से सुनिए
अगर कोई जबरन पकड़कर रंग लगाए, तो 'बुरा ज़रूर' मानिए.
'तमाशा' फिल्म के होली वाले गाने का एक सीन. प्रतीकात्मक तस्वीर. बुरा न मानो होली है. ये लाइन होली वाले दिन कई लोग बोलते हैं. और जबरन सामने वाले इंसान के चेहरे पर रंग लगा देते हैं. और अगर सामने वाला इंसान कोई लड़की हो, तो रंग केवल लगाया नहीं जाता, बल्कि रगड़ दिया जाता है. कई किस्से सुनाई आ चुके हैं. कैसे किस्से? होली के दिन रंग लगाने के नाम पर, लड़कियों का यौन शोषण करने के किस्से.
बहुत आम बात लगती है लोगों को. होली के नाम पर एक बहाना मिल जाता है. लड़कियों को पकड़ने का. उन्हें गलत तरीके से छूने का. उनका सेक्सुअल हैरेसमेंट करने का. ऐसे तो आए दिन लड़कियों को ये सब फेस करना पड़ता है, लेकिन होली के नाम पर तो हद ही हो जाती है.
प्रतीकात्मक तस्वीर. वीडियो स्क्रीनशॉट
होली के नाम पर होने वाले यौन शोषण के कुछ किस्से पढ़िए-
'मम्मी को अंकल ने जबरन रंग लगाया'
रचना (नाम बदल दिया गया है), जब छोटी थी, तब उसे होली खेलना बहुत पसंद था. वो 8 साल की रही होगी. होली खेलकर खत्म कर दिया था उसने. वो नहा-धोकर घर के सामने वाले कमरे में बैठी थी. उसकी मां अंदर किचन में थीं. उसी वक्त उसके रिश्ते के एक फुफा घर पर आए. उनके हाथ में रंग से भरी हुई बाल्टी थी. उन्होंने रचना की मम्मी को आवाज़ दी. वो बाहर आईं, तब रचना के फुफा ने उसकी मम्मी के ऊपर बाल्टी में रखा हुआ सारा रंग डाल दिया. जब उसकी मम्मी ने इससे बचने की कोशिश की, तब जबरन रंग लगाया. और कहा, 'बुरा न मानो होली है'. रचना ये सब देखती रही. उस वक्त तो उसे लगा कि होली के दिन तो लोग ये सब करते ही हैं. लेकिन अब रचना बड़ी हो चुकी है. वो समझ गई है कि कई साल पहले की उस होली के दिन, उसकी मम्मी का एक तरह से यौन शोषण हुआ था.
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'कॉलेज के होली सेलिब्रेशन में लड़की को जबरन पटका'
सुधा (नाम बदल दिया गया है), दिल्ली आई थी साल 2014 में. पढ़ाई के लिए. दिल्ली में उसकी ये पहली होली थी. उसे होली बहुत पसंद थी. घर दूर था, इसलिए होली के टाइम पर वो घर नहीं गई थी. कॉलेज के हॉस्टल में ही थी. बहुत सी लड़कियां नहीं गई थीं घर. कई सारे लड़के भी नहीं गए थे. होली वाले दिन कॉलेज में सेलिब्रेशन शुरू हुआ. पहले तो सबने एक-दूसरे को रंग लगाया. फिर धीरे से रंग वाली होली, कीचड़ वाली होली में बदल गई. सब एक-दूसरे को उठाकर कीचड़ में पटकने लगे.
एक लड़का कीचड़ से सने लड़कों की भीड़ में से निकलकर आया. सामने एक लड़की खड़ी थी. उसने स्कर्ट पहनी हुई थी. लड़का शायद उसका क्लासमेट ही था. वो गया और उसे उठाकर कीचड़ में पटक दिया. उसे इस तरह से पकड़ा कि उसका स्कर्ट ही ऊपर हो गया. उसकी जांघों पर हाथ से कीचड़ डाला. भीड़ में ज्यादा लोग ये देख नहीं सके. लेकिन सुधा ने देख लिया था. वहां, उस लड़की का यौन शोषण ही हुआ था.
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'भाभी को गीला करने की इच्छा पूरी होती थी'
राहुल (नाम बदल दिया गया है), एक छोटे से गांव में रहता था. उसने हमें बताया कि उसके गांव के लड़के होली के दिन बहुत ही भद्दा काम करते थे. सब इकट्ठा होते थे. और गांव के कुछ घरों में घुस जाते थे. वो उन घरों की उन औरतों को रंगना चाहते थे, जिन्हें वो भाभी कहते थे. बाल्टी में पानी भरकर जाते थे. घर में घुसकर कहते, 'बुरा न मानो होली है'. और फिर 'भाभी' के ऊपर बाल्टी भर पानी डाल देते. और भाभी को गीले कपड़ों में, भीगे हुए देखने की उनकी इच्छा पूरी हो जाती.
'स्कर्ट पर पानी से भरा हुआ गुब्बारा मारा'
राधा (नाम बदल दिया गया है) अपने कॉलेज से घर जा रही थी. शाम के चार बज रहे थे. अचानक ही उसे पीछे से किसी ने जमकर कुछ फेंककर मारा. राधा ने पीछे देखा, तो वो पानी से भरा गुब्बारा था. जो उसे मारा गया था. और उसका स्कर्ट भी पूरी तरह से पीछे से गीला हो गया था. तभी उसके पास से स्कूटी पर सवार दो लड़के गुज़रे. जो उसकी तरफ देखकर हंस रहे थे. उनके चेहरे पर एक तरह की चमक थी. (ये किस्सा हमने feminisminindia.com से लिया है.)
जनाब, होली मनाएं. शौक से मनाएं. लेकिन ऐसी लिच्चड़ हरकतें तो मत करिए कम से कम. सेलिब्रेशन के नाम पर किसी लड़की का यौन शोषण न करें.
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