लड़कियों को 'रिझाने' के लिए डियो ही काफी नहीं थे, अब बाज़ार में 'खुशबूदार बनियान' भी अवेलेबल है
एक ढंग की ऐड तो बनती नहीं, सिर्फ 'प्रोडक्ट' के नाम पर साइड में लड़की को खड़ा कर देते हैं
वो दिन गए जब डियोड्रेंट लगाकर लड़कियों को आकर्षित किया जा सकता था. अब सिर्फ खूशबू वाली बनियान पहनकर भी उन्हें रिझाया जा सकता है. क्योंकि बाजार में सेंट वाली बनियान आ चुकी है और वो कैसे काम करेगी, समझाने के लिए विज्ञापन भी आ चुका है.
अंडरगार्मेंट बनाने वाली एक कंपनी ने सेंट वाली बनियान लांच की. कहा कि बनियान को सेंट के साथ मेकओवर दिया गया है. ताकि लोग गर्मी में पसीने की बदबू से निपट कर सकें. जो वहां नहीं कहा वो विज्ञापन में कह दिया.
ये विज्ञापन उसी खुशबू वाली बनियान का है, जो अखबार में छपा है.
हीरो ने बनियान पहनी है. और खूशबू सूंघते ही लड़की उसकी तरफ दौड़ पड़ी.
विज्ञापनों की सारी क्रिएटिविटी एक ही बात कहती है
ये वो दौर है, जब विज्ञापनों की यूएसपी (वो यूनिक पॉइंट जिसे दिखाकर सामान बेचा जा सके) सिर्फ सेक्स है. विज्ञापनों को क्रिएटिव और कैची बनाने के लिए हास्य, कटाक्ष, म्यूजिक, एनिमेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन वजाइना के इंफेक्शन को ठीक करने वाली क्रीम से जूस और बाइक तक के ऐड में कामुक लड़कियां होती हैं. वो भी बस लिपटने को बेकरार.
तस्वीर : campaignindia
लड़के सिर्फ एक ही चीज नहीं सोचते
ज्यादातर लड़कों के प्रोडक्ट चड्डी, शेविंग क्रीम, फेसवॉश वगैरह के विज्ञापनों में सेक्स के जरिये प्रोडक्ट बेचने की कोशिश होती है. मानों लड़कों के जीवन का एक ही मकसद है. सिर्फ और सिर्फ लड़कियों को घिरा होना. खासतौर पर डियोड्रेंट के विज्ञापनों ने सेक्सिज्म की सारी हद पार कर दी है.
एक अनुमान है कि इस साल भारतीय विज्ञापनों का बाजार 10 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.
घटियापन की हद है
-एक साल पहले डियोड्रेंट का एक विज्ञापन आया था. ऐड में लड़की बॉयफ्रेंड को अपनी मां से मिलाने लाती है. क्योंकि लड़का औरतों को खुशबू से कामुक कर देने वाला डियोड्रेंट स्प्रे करके आया था. लड़की की मां लड़के को एप्रोच करने लगती है.
-इससे भी बढ़कर एक विज्ञापन आया था. जिसमें लड़की मर्द की चड्डी धोते-धोते उत्तेजित हो जाती है. सेक्स वाले मूव करने लगती है. विज्ञापन के जरिये प्रोडक्ट के बारे में क्या मैसेज दिया जा रहा था, समझ से परे है.
-एक विज्ञापन में पड़ोस का लड़का खुद पर डियोड्रेंट स्प्रे करता है. और बगल के घर में रहने वाली लड़की कामुक हो उठती है और अपने घर के पर्दे फाड़ देती है.
-1972 में ऊषा सिलाई मशीन का ऐड था, जिसमें मां को संदेश दिया जाता है कि बेटी को आदर्श गृहिणी बनाने के लिए ट्रेन करें.
दरअसल विज्ञापनों को प्रस्तुत करने का तरीका बदल गया है, लेकिन सेक्सिस्ट ऐड हमेशा से बनते रहे हैं. कपड़ों, जूते से जूलरी तक ढेरों ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे. डियोड्रेंट और अब ये सेंट वाली बनियान भी उसी का हिस्सा है.
खैर कंपनी ने कहा कि धुलने के बाद भी इसकी खूशबू बनी रहेगी. लेकिन कब तक. क्योंकि जब ये पहनने लायक नहीं रह जाती, तो इसका इस्तेमाल टीवी-फ्रिज साफ करने में होता है. उसके बाद ये गाड़ी साफ करने या पोछे के काम आती है.
तस्वीर : यूट्यूब
यानी कंपनी के मुताबिक अगर आप इस बनियान का इस्तेमाल करेंगे, तो टीवी से लेकर गाड़ी तक सबकुछ महकने लगेगा. लेकिन जो बात कंपनी ने नहीं बताई वो ये कि विज्ञापन की तरह लड़कियां आकर आपसे लिपटेंगी नहीं.
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