वो 6 पॉलिटिकल रिकॉर्ड्स जो सुषमा स्वराज के नाम हैं

आप उन्हें किस भूमिका में याद रखना चाहेंगे?

अभिषेक कुमार अभिषेक कुमार
अगस्त 07, 2019
फोटो साभार: इँडिया टुडे

सुषमा स्वराज. भाजपा की दिग्गज नेता. पूर्व विदेश मंत्री. अब हमारे बीच नहीं हैं. 6 अगस्त 2019 को उनकी सांसें थम गई. हार्ट अटैक के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. देश-विदेश के नेता, सेलिब्रिटी से लेकर आम लोग तक अपने-अपने तरीके से उनको याद कर रहे हैं. उनके जीवन के सफर में कई ऐसे सितारे टंके हैं जिन्हें लोग बरसों तक याद रखेंगे.

सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री

सुषमा स्वराज ने एबीवीपी के साथ अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी. 1970 के दशक के आरंभ में. पंजाब यूनिवर्सिटी से उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की. 1973 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर अपना पेशेवर करियर शुरू किया. 1975 में इंदिरा सरकार ने देश में आपातकाल लगा दिया. सुषमा वकालत छोड़कर जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति में हिस्सा लेने आ गई. आपातकाल के बाद वो जनता पार्टी में शामिल हो गई. 4 जुलाई 1977 को हरियाणा में बनी जनता पार्टी की सरकार में सुषमा स्वराज को कैबिनेट मंत्री का ओहदा हासिल हुआ. उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी. सुषमा स्वराज भारत के किसी भी राज्य की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री हैं.

1977 में सुषमा स्वराज को हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.1977 में सुषमा स्वराज को हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री

37 बरस के बाद 1993 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए. बीजेपी ने बहुमत से सरकार बनाई. मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन उनका कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं चल सका. खुराना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा. 1996 में. बीजेपी के ही साहिब सिंह वर्मा ने खुराना की जगह ली. लेकिन खुराना के समर्थकों ने साहिब सिंह वर्मा को चैन नहीं लेने दिया. भीतरघात चल रहा था. बीजेपी सरकार का कार्यकाल खत्म होने में कुछ दिन ही बचे थे. प्याज की बढ़ती कीमतों और बिजली-पानी की किल्लत जैसे मसलों पर पार्टी ने उनसे इस्तीफा ले लिया. 12 अक्टूबर 1998 को सुषमा स्वराज दिल्ली की सीएम बनीं. 52 दिनों के बाद ही बीजेपी को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. सुषमा ने इस्तीफा दे दिया. इस तरह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज ने अपना कार्यकाल समाप्त किया. उनके बाद शीला दीक्षित ने सीएम की कुर्सी संभाली.

1998 में सुषमा दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी1998 में सुषमा दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी

बीजेपी की पहली महिला प्रवक्ता

सुषमा स्वराज 1984 में बीजेपी की मेंबर बनी. उनके बोलने की क्षमता और वाकपटुता की वजह से पार्टी में उनकी जगह मजबूत होती गई. उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता बनाया गया. वो किसी भी राष्ट्रीय पार्टी की प्रवक्ता का पद सुशोभित करने वाली पहली महिला थीं. प्रवक्ता के तौर पर उनके काम ने पार्टी में उनका कद मजबूत किया. 1990 में पार्टी ने सुषमा स्वराज को राज्यसभा में भेजा. जब-जब पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई, उनको कद्दावर पद मिला. 1998 में बनी वाजपेयी सरकार में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया. वो केंद्र में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय जैसे अहम पोर्टफोलियो में भी काम कर चुकी हैं.

सुषमा स्वराज किसी भी राष्ट्रीय पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता बनीं.सुषमा स्वराज किसी भी राष्ट्रीय पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता बनीं.

दूसरी महिला जो विपक्ष की नेता बनी

2009 में 15वीं लोकसभा को चुनने के लिए वोट डाले गए. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. बीजेपी को विपक्ष की भूमिका निभानी थी. लोकसभा में अपना दावा मजबूत रखना था. विपक्ष का नेता. सत्ता को चुनौती देने वाला सबसे ताकतवर नेता. बीजेपी ने यह जिम्मेदारी सुषमा स्वराज को दी. उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की जगह ली. 2009 से 2014 तक सुषमा स्वराज ने कांग्रेस सरकार को लोकसभा में घेरकर रखा. वो देश की दूसरी महिला नेता प्रतिपक्ष थी. उनसे पहले सोनिया गांधी 1999 से 2004 तक विपक्ष की नेता के पद पर रह चुकी थीं.

2009 में सुषमा स्वराज को विपक्ष का नेता बनाया गया.2009 में सुषमा स्वराज को विपक्ष का नेता बनाया गया.

पहली फुलटाइम विदेश मंत्री

2014 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. विदेश मंत्रालय का पोर्टफोलियो काफी खास होने वाला था. मोदी सरकार दुनिया के साथ अपने संबंधों को लेकर काफी गंभीर थी. फिर एक ही नाम सबसे ऊपर आया. सुषमा स्वराज का. विदेश मंत्री के तौर पर उनका काम लाजवाब रहा. उन्हें मोदी सरकार के सबसे शानदार मंत्रियों की लिस्ट में रखा गया. वो देश की पहली फुलटाइम विदेश मंत्री बनी. उनसे पहले इंदिरा गांधी ने विदेश मंत्री का ओहदा संभाला था. दो बार. पहली बार 1967 से 1969 तक और दूसरी बार 1984 में. 3 महीनों के लिए. लेकिन दोनों ही बार इंदिरा देश की प्रधानमंत्री भी थीं. विदेश मंत्री का पद उन्होंने एक्स्ट्रा में संभाल रखा था.

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हेें विदेश मंत्रालय का अहम पोर्टफोलियो दिया गया.मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हेें विदेश मंत्रालय का अहम पोर्टफोलियो दिया गया.

OIC को संबोधित करने वाली पहली भारतीय नेता

OIC यानी कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन. दुनिया भर के इस्लामिक राष्ट्रों का संगठन है. इसमें कुल 57 देश शामिल हैं. यूएन के बाद सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन. 1969 में बना यह संगठन तेल निर्यात के क्षेत्र में भी काफी अहमियत रखता है. 1969 में इस संगठन की पहली मीटिंग हुई. तब देश के राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद को हिस्सा लेने का न्यौता दिया गया. पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई जिसके बाद न्यौता वापस ले लिया गया था. मार्च 2019 में भारत को फिर से संगठन ने निमंत्रण भेजा. सुषमा स्वराज OIC के सम्मेलन में भाषण देने वाली पहली भारतीय नेता बनी. आबूधाबी में. 17 मिनट के इस भाषण में उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के चेहरे पर चढ़ा नकाब उतार दिया था.

OIC के मंच से अपनी बात रखने वाली पहली भारतीय लीडर हैं सुषमा स्वराज.OIC के मंच से अपनी बात रखने वाली पहली भारतीय लीडर हैं सुषमा स्वराज.

2019 में 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने थे. सुषमा स्वराज ने खुद से ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया. स्वास्थ्य खराब होने की वजह से सुषमा स्वराज ने राजनीति को अलविदा कह दिया. राजनीति में ऐसी शूचिता काफी कम देखने को मिलती है. उनका न होना अच्छी राजनीति का खालीपन है.

ये भी पढ़ें: 5 बड़े विवाद जो सुषमा स्वराज की लंबी राजनैतिक पारी का हिस्सा रहे

वीडियो देखें:

 

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group