5 बड़े विवाद जो सुषमा स्वराज की लंबी राजनैतिक पारी का हिस्सा रहे
जब सुषमा ने पब्लिक में अपना सिर मुड़ाने का ऐलान कर दिया था
सुषमा स्वराज नहीं रहीं. 6 अगस्त की रात उनका निधन हो गया. उनकी गिनती देश के सबसे प्रखर नेताओं में होती है. दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री. बीजेपी की पहली महिला प्रवक्ता. मिलेनियल विदेश मंत्री. सबसे कम उम्र में किसी राज्य की कैबिनेट में जगह बनाने वाली नेता. ऐसी न जाने कितनी उपलब्धियां हैं जो सुषमा अपने पीछे छोड़ गई हैं. एक साधारण नॉन पॉलिटिकल बैकग्राउंड से आने वाली, पेशे से वकील सुषमा ने राजनीति में अपनी एक अलग जगह बनाई.
अपने राजनीतिक करियर पर बात करते हुए एक बार सुषमा स्वराज ने कहा था-
मैं जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के दौरान राजनीति में आई. वह एक युवा आंदोलन था और मुझे मौके मिलते गए. और मैं आगे बढ़ती रही. लेकिन आज के वक्त में बिना राजनीतिक बैकग्राउंड वाली किसी महिला का राजनीति में अपनी पहचान बनाना बेहद मुश्किल है.
सुषमा के अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं कई नेता.
लेकिन 70 के दशक में अपनी राजनीति शुरू करने वाली सुषमा का नाम कई विवादों से भी जुड़ा रहा. एक नज़र डालते हैं उनके करियर के पांच बड़े विवादों पर
हिंदू-मुस्लिम जोड़े के पासपोर्ट को लेकर झेला विवाद
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सुषमा विदेश मंत्री थीं. वह दुनिया के कोने-कोने में रह रहे भारतीयों की मदद के लिए हमेशा तैयार होती थीं. सिर्फ भारतीय ही नहीं, विदेशियों की भी वह बढ़-चढ़कर मदद करती थीं. भारत में इलाज कराने को इच्छुक कई लोग उन्हें ट्वीट करते कि वीज़ा चाहिए. वह अपनी टीम से कहतीं और काम चुटकियों में हो जाता. इसी वजह से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें वीज़ा माता भी बुलाने लगे थे. उनकी नज़र पड़ते ही पासपोर्ट का काम पलक झपकते ही हो जाता.
लेकिन इसी की वजह से एक बार वह काफी मुश्किल में फंस गईं. लखनऊ की एक हिंदू महिला ने ट्वीट किया कि उसे और उसके मुस्लिम पति को पासपोर्ट चाहिए. जब वो दोनों पासपोर्ट ऑफिस गए तो अधिकारी ने उन दोनों को अपमानित किया. व्यक्तिगत सवाल पूछे. इस पर सुषमा ने तुरंत एक्शन लेते हुए उस अधिकारी का ट्रांसफर करवा दिया. उस महिला और उसके पति को तुरंत पासपोर्ट दे दिया गया. हालांकि जांच में सामने आया कि अधिकारी तय प्रोसीजर ही फॉलो कर रहा था. इसके बाद स्वराज को खासा ट्रोल किया गया. लोग उन्हें बायस बताने लगे, कई लोगों ने ट्विटर पर उनके लिए भद्दी गालियां भी लिखीं, जिन्हें सुषमा ने लाइक भी किया. उन पर तंज कसते हुए कि मैं देश से बाहर थी, उस दौरान मुझे ऐसे सम्मान से नवाज़ा गया.
I was out of India from 17th to 23rd June 2018. I do not know what happened in my absence. However, I am honoured with some tweets. I am sharing them with you. So I have liked them.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) June 24, 2018
जब कहा था सोनिया पीएम बनीं तो मुड़ा लूंगी अपना सिर
साल था, 2004. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए लोकसभा चुनाव हार गई थी. सोनिया गांधी के नेतृत्व में UPA ने चुनाव जीत लिया था. जनता ने प्रधानमंत्री के तौर पर सोनिया गांधी को चुना था. सोनिया गांधी इटली मूल की हैं. इस वजह से सुषमा स्वराज को सोनिया के पीएम बनने पर आपत्ति थी. तब सुषमा स्वराज ने कहा था कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो वह अपना सिर मुड़ा लेंगी. हालांकि, इसकी नौबत नहीं आई. सोनिया ने अपनी अंतरात्मा की आवाज का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया. इसके बाद मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने.
Delhi: Congress leader Sonia Gandhi pays last respects to former External Affairs Minister and BJP leader #SushmaSwaraj. pic.twitter.com/ClIM64WNMi
— ANI (@ANI) August 7, 2019
जब की ललित मोदी की मदद
ललित मोदी पर घोटाले का आरोप है. इंडियन प्रिमियर लीग यानी IPL के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह 2010 से लंदन में हैं. यूपीए सरकार ने साल 2010 में मोदी का पासपोर्ट रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ ललित मोदी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. उनका केस 9 वकीलों की टीम ने लड़ा, जिनमें सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी भी शामिल थीं. अगस्त 2014 में हाईकोर्ट ने पासपोर्ट रीस्टोर करने का आदेश दिया. 2014 में ही ललित मोदी ने सुषमा स्वराज से रिक्वेस्ट किया कि उनकी पत्नी का पुर्तगाल में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज चल रहा था. ऑपरेशन का कंसेंट देने के लिए उन्हें वहां जाना होगा.
सुषमा ने ट्रेवल डॉक्यूमेंट देने के लिए सहमति दे दी. बाद में सुषमा ने कहा कि उन्होंने मानवीय आधार पर ललित मोदी की मदद की थी. हालांकि, पुर्तगाल यूरोपियन यूनियन का सदस्य है और वहां कंसेंट के लिए रिश्तेदार को उपस्थित होने की जरूरत नहीं होती. वह मेल के जरिये भी कंसेंट दे सकता है. इसी बात को आधार बनाकर सुषमा स्वराज पर देश के भगोड़े की मदद करने के आरोप लगे थे. उनकी बेटी ललित मोदी की वकील थीं, ऐसे में सुषमा पर पद के दुरुपयोग के आरोप भी लगे.
ललित मोदी के साथ सुषमा स्वराज
कॉन्डम के विज्ञापन पर लगवा दी थी रोक
वह जनवरी 2003 से मई 2004 तक वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य मंत्री रहीं. उस दौर में भारत में AIDS तेजी से फैल रहा था. असुरक्षित यौन संबंध से फैलने वाली इस बीमारी को लेकर लोगों को सचेत करने के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने की जरूरत थी. लेकिन उस दौर में सुषमा ने सेलिबेसी पर जोर दिया. वह टीवी पर कॉन्डम के विज्ञापन दिखाने के खिलाफ थीं. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि दूरदर्शन पर कॉन्डम के ऐड नहीं दिखाए जाएंगे.
फैशन टीवी और भारतीय संस्कृति
अटल बिहारी सरकार में सुषमा स्वराज कैबिनेट मंत्री रहीं. सितंबर 2000 से जनवरी 2003 तक वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं. इस दौरान उन्होंने दूरदर्शन के एंकर्स के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने की कोशिश की थी. इसे लेकर उनकी खासी आलोचना हुई थी. इसी दौरान उन्होंने फैशन टीवी पर भारत में बैन लगाने की सिफारिश की थी. उनका कहना था कि फैशन टीवी भारतीय संस्कृति की अनुकूल नहीं है.
लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे