रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह उत्तराखंड की एकलौती महिला उम्मीदवार, जिन्होंने भारी मतों से सत्ता में वापसी की
टिहरी गढ़वाल सीट से चुनाव में खड़ी हुईं थीं.

रानी माला राज्य लक्ष्मी, उत्तराखंड की टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी थीं. टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड का एक जिला है. इनका सामना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से हुआ, जिनसे अब रानी माला काफी आगे चल रही हैं. 2000 में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग हुआ था. उसके बाद से माला राज्य लक्ष्मी शाह एकलौती महिला हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा है. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी इन्होंने चुनाव लड़ा था और जीती भी थीं. अब इस चुनाव में भी वो जीत गई हैं.
माला चुनाव प्रचार में अन्य नेताओं से आगे रहती हैं. उनका कहना है कि केंद्र से जितना भी पैसा आता है, उसे क्षेत्र के विकास में लगाती हैं. लेकिन वहां के लोग कुछ और ही कह रहे हैं. हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ है.
'स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर शिक्षा, पलायन न हो, रोजगार मिले. यही हमारी डिमांड होती है. लेकिन यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है. बीजेपी से उम्मीद थी. इसलिए उनकी नेता को वोट दिया था. लेकिन हमें अभी तक विकास की कोई उपलब्धियां नजर नहीं आई हैं. शिक्षा के लिए भी नीचे जाना पड़ता है. अच्छा स्वास्थ्य चाहिए तो भी नीचे जाओ, नौकरी चाहिए तो भी.'
लोगों का कहना है कि कोई भी नेता जीते, लेकिन हमारी जो जरूरतें हैं, उन्हें तो पूरा करे. उधर, विपक्षियों का कहना है कि लोग बीजेपी को वोट प्रधानमंत्री के नाम पर करते तो हैं, लेकिन टिहरी में विकास का कोई काम नहीं हुआ है. जिसकी तरफ पार्टी को ध्यान देना चाहिए.
टिहरी क्षेत्र का मुआयना करती हुईं रानी माला लक्ष्मी शाह. तस्वीर : फेसबुक
सांसद माला नेपाल के काठमांडू में 1950 में पैदा हुईं थीं. वो एक राज घराने से आती हैं. उनकी मां रानी बिंदु देवी राणा हैं. वहीं उनके पिता अर्जुन एसजेबी राणा का निधन हो चुका है. माला की शादी 1973 में मनुजेंद्र शाह से हुई थी.
माला के पॉलिटिकल करियर की शुरुआत 2012 में हुई. जब उन्होंने उपचुनाव लड़ा और जीत गईं. ये चुनाव टिहरी सीट पर ही हुआ था. उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में ये खड़ी हुईं और कांग्रेस के साकेत बहुगुणा को 1 लाख 92 हजार 503 मतों से हराया.
एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, सांसद रानी माला लक्ष्मी शाह और अन्य. तस्वीर : ट्वीटर
सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह ने लोकसभा के 33 डिबेट्स में मौजूद रहीं. संसद में उन्होंने 33 सवाल पूछे. सदन में एक निजी बिल भी पेश कर चुकी हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान सदन में इनकी अटेंडेंस 89 फीसद रही यानी कि वह लोकसभा की 316 बैठकों में 280 दिन सदन में प्रजेंट थीं.
2014 में चुनाव जीतने के बाद सांसद बनीं और सितंबर में महिला सशक्तिकरण कमेटी की सदस्य बनीं. इसके अलावा माला AIIMS यानी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की एक कमेटी की मेम्बर भी रह चुकी हैं.
लोकसभा चुनाव उत्तराखंड में हो चुके हैं. 11 अप्रैल को चुनाव थे. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि विकास न होने के बावजूद वहां के लोग किसी जिताते हैं. नतीजे 23 मई को आएंगे.
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