दो बार फाइनल हारीं, पर हिम्मत नहीं, अबकी फाइनल जीतकर पहली विश्व विजेता बनीं पी वी सिंधु
बासेल में हो रहे वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिंधु ने जापान की नोज़ोमी को दो सीधे सेटों में हराया.
हार कर भी जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं. ये अक्सर कहा जाता है. आपने सुना भी होगा. पीवी सिंधु ने भी इसे साबित कर दिखाया है. सो बात ऐसे है कि सिंधु दो बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचीं, पर खिताब नहीं जीत पाईं. लेकिन 2019 का खिताब उन्होंने अपने नाम कर लिया.
दरअसल, स्विट्ज़रलैंड के बासेल में वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप (WBC) में पीवी सिंधु गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं हैं. सेंटेंस थोड़ा बड़ा है, पर क्या करें, बात भी तो बड़ी है. खैर, सिंधु ने सेमीफाइनल में चीन की चेन यू फेई को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी. ये मुकाबला उन्होंने 40 मिनट के अंदर अपने नाम किया था.
इसके बाद फाइनल में भी उन्होंने वुमन सिंगल में जापान की नोज़ोमी ओकूहारा को 37 मिनट में हराया. 21-7 और 21-7 के स्कोर के साथ जीत दर्ज़ की.
पीवी सिंधु लगातार तीसरी बार इस चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंची थीं. वो दो बार तो हार गईं, पर तीसरी बार उन्होंने ये खिताब अपने नाम कर लिया.
पहले वो 2017 और 2018 में हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंची थीं. पर गोल्ड नहीं जीत सकीं. उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा था. इस बार वो गोल्ड जीत कर पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं. इसके पहले सिंधु ने 2016 में हुए रियो ओलम्पिक में भी रजत पदक जीता था. भारत की ओर से 2015 में हुए इस मुकाबले में सायना नेहवाल फाइनल में पहुंची थीं. हालांकि ख़िताब अपने नाम दर्ज नहीं करवा पाईं थीं.
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