ओशो की राइट हैंड मां आनंद शीला: ऐसी खतरनाक क्रिमिनल जिसने अमेरिका को थर्रा कर रख दिया था

अब प्रियंका चोपड़ा उन पर फिल्म बना रही हैं

1984 में भारत कई मुश्किलों से एक साथ जूझ रहा था. एक तरफ इंदिरा गांधी की हत्या. जिसने देश के पॉलिटिकल समीकरण झिंझोड़ दिए. फिर देश को झकझोरने वाले सिख दंगे. जिनकी टीस आजतक कोई भूल नहीं पाया. उसके बाद भोपाल में हुई गैस ट्रेजेडी. जिसमें यूनियन कार्बाइड प्लांट से लीक हुई गैस ने रातों-रात एक शहर की सांसें छीन ली थीं.

लेकिन एक और बहुत बड़ा सीक्रेट था. जो उस वक़्त बेहद कम लोगों को पता था. भारत के एक संत के नाम पर अमेरिका में एक बहुत बड़ा आतंकी हमला प्लान किया जा रहा था. ये अमेरिका के सबसे बड़े बायो टेरर प्लैन की शुरुआत थी. एक ऐसा हमला, जिसकी सफलता हजारों लोगों की जान लेने को काफी थी.

इस हमले की मास्टर माइंड थी शीला सिल्वरमैन. ओशो के सम्प्रदाय में मां आनंद शीला के नाम से जानी जाने वाली ‘संत’.

asheela-tw_750x500_020119080220.jpgतस्वीर: ट्विटर

मां आनंद शीला के ऊपर प्रियंका चोपड़ा डाक्यूमेंट्री बनाने जा रही हैं. हमें कैसे पता? खुद प्रियंका ने कहा. हॉलीवुड जब से गई हैं, टॉक शोज वगैरह में आती रहती हैं. उन्हीं में से एक पर बताया. ऑस्कर के लिए नोमिनेट हो चुके बैरी लेविन्स्टन इसे डिरेक्ट करेंगे. प्रियंका प्रोड्यूस करेंगी. इस बात की अनाउन्समेंट के बाद से ही इस नाम पर डिस्कशन चल रहा है. लोग जानना चाहते हैं कि आखिर मां आनंद शीला ने ऐसा किया क्या था कि लोग आज भी इस नाम से खौफ खाते हैं.

pc-asheela_750x500_020119080318.jpgतस्वीर: ट्विटर

आइए सुनाते हैं आपको शीला सिल्वरमैन उर्फ़ मां आनंद शीला की पूरी कहानी.

अमेरिका का एक राज्य है, ऑरेगोन.  इसमें एक शहर जिसका नाम The Dalles. घटना के समय यहां की जनसंख्या यही कोई 10000 के आस-पास रही होगी. यहां 1984 के सितम्बर के आखिरी हफ्ते में 750 से ज्यादा लोग एक साथ बीमार पड़ गए. उनको उल्टियां होने लगीं. दस्त लग गए. बुखार, मितली, बदन दर्द. सब कुछ एक साथ. हॉस्पिटल में 45 से ज्यादा लोग भर्ती हुए. जांच हुई, तो पता चला सबको एक ही बैक्टीरियल इन्फेक्शन है. Salmonellosis नाम की बीमारी हो गई है सबको.

एक साथ इतने सारे केसेज? ऐसा काफी समय से नहीं हुआ था. ये हुआ कैसे, इससे पहले बीमारी के बारे में थोड़ी सी जानकारी.

Salmonellosis इन्फेक्शन वैसे जानलेवा नहीं होता. लेकिन हद बीमार कर देता है. आम तौर पर छूने, साथ उठने-बैठने से नहीं फैलता. खाने से ये इन्फेक्शन होता है. ख़ास तौर पर मांस-मछली में इसका बैक्टेरिया ज्यादा होता. अच्छी तरह से ना पकाया गया खाना, या फ्रिज से बाहर छोड़ा गया खाना ये बीमारी दे सकता है.  

अब एक साथ इतने सारे लोगों के बीमार पड़ने के पीछे वजह क्या थी?

पड़ताल हुई, तो पता चला कि शहर के आठ रेस्टोरेंट्स के खाने से ये बीमारी फैली. लेकिन ये सभी रेस्टोरेंट्स वो थे जो सलाद सर्व करते थे. और जांच हुई. पता चला इन सभी रेस्टोरेंट्स में काम करने वाले पहले ही बीमार पड़ चुके थे. वहां के नेता जेम्स वीवर ने कहा ये एक प्लैन किया हुआ अटैक है. इसका दोष पास में ही ‘रजनीशपुरम’ के रहने वालों पर डाला. लोगों ने कहा, फालतू में उन पर शक कर रहे हो. इस तरह के अटैक तो एक देश दूसरे देशों के लोगों पर कराते हैं. ये लोग क्यों करेंगे. बात आई गई हो गई.

wwc-yt_750x500_020119080402.jpgसांकेतिक तस्वीर: ट्विटर

रजनीशपुरम क्या था? वहां के लोग कौन थे?

सम्भोग से समाधि तक नाम की एक किताब है. काफी बिकी इधर. उसके लेखक का नाम बहुत चला. ओशो. हाई-फाई लोगों के साधु बाबा. रोल्स रोयस जैसी जबर महंगी गाड़ी में चलते. स्प्रिचुअलिटी की बातें करते. मॉडर्न तड़का लगा के. अमेरिका में कई हजार फॉलोअर हुए उनके. दुनिया में रहे होंगे लाखों. इधर बढ़ गए हैं. उनको फॉलो करना ‘कूल’ लगता है. बॉब मार्ले की तरह. खैर.

ओशो का असली नाम रजनीश था. रजनीश चंद्र मोहन. 1974 में पुणे में एक समूह बनाया था. इससे पहले जबलपुर में फिलॉसफी पढ़ाते थे. फिर भगवान् श्री रजनीश हो गए. इनके फ़ॉलोअर्स खुद को रजनीशी कहते थे. खुद का एक कल्ट बना लिया था. जो ओशो के संन्यास वाले रास्ते पे आता, उसका नया नामकरण होता. संन्यासी स्वामी कहलाते. संन्यासिनें मां कहलातीं. 

osho_750x500_020119080448.jpgतस्वीर:विकिपीडिया

उनके नाम पर उनके फॉलोअर्स ने ऑरेगोन में एक जगह कब्जाई.  वैसको काउंटी नाम के कस्बे में. साल था 1981. उसे रजनीशपुरम का नाम दे दिया. वहां की लोकल पॉपुलेशन के साथ शुरू में सम्बन्ध अच्छे थे. बाद में खटास पड़ गई. एंटेलोप नाम के शहर के ऊपर उन्होंने कंट्रोल कर लिया था. फिर कोशिश की कि पूरी काउंटी पर पॉलिटिकल कंट्रोल हो जाए. इसका रास्ता एक ही था, नवम्बर 1984 में होने वाले इलेक्शंस में सीट जीतना. जीत जाते तो रजनीशपुरम में कंस्ट्रक्शन इनके लिए आसान हो जाता. जोकि अभी नहीं था. और सत्ता में रहना अपने साथ बहुत सारे फायदे लेकर आता है. इस वजह से डिसाइड किया गया कि भाई, काउंटी का इलेक्शन तो जीतना ही है.

इसके लिए चाल चली.

हजारों बेघर लोगों को उठाकर अपने अपने घर ले आये. ‘शेयर अ होम’ नाम की मुहिम के नाम पर. कहा कि बेघरों को अपने साथ घर में रखेंगे. उनके लिए अच्छा होगा. जबकि चाल थी, कि ये लोग वोट उनके फेवर में देकर इलेक्शन जितवा देंगे. क्लर्क ने बधिया बिठा दी. कहा, सुबूत लाओ कि यहां वोट देने के लायक हो. क्वालिफिकेशन बताओ. दिखाओ कि अमेरिका के नागरिक हो या नहीं. प्लैन मिट्टी में मिल गया.

ये सब जब हो रहा था, तब ओशो अपने चार साल के मौन पर थे. किसी से ना बोलना ना चालना. केवल अपनी सबसे करीबी संन्यासिन मां आनंद शीला से कभी-कभी मिलना ताकि हाल मिलता रहे. 

asheela-yt_750x500_020119080524.jpgतस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट

मां आनंद शीला और उनके साथियों ने मिलकर ये प्लैन बनाया कि शहर के लोगों को बीमार कर दिया जाए. इस तरह वो वोट देने नहीं जा सकेंगे. हमारे फेवर में इस तरह ज्यादा वोट पड़ जाएंगे. इस बायोलॉजिकल वेपन का प्रोग्राम मां आनंद पूजा ने लीड किया. The Dalles शहर के आठ सलाद रेस्टोरेंट्स में रजनीशी गए. Salmonellosis बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया सलादों और सलाद में डालने वाली ड्रेसिंग में डाल दिए. इनको रजनीशपुरम के भीतर एक लैब में कल्चर किया गया था. यानी सैम्पल बैक्टीरिया लाकर उससे और बाकी बैक्टीरिया बनाए गए थे. उसके बाद लोग बीमार पड़े.

लेकिन फायदा रजनीशियों को कुछ नहीं हुआ. क्योंकि उनके लाए हुए अवैध वोटर वोट नहीं दे पाए थे. इलेक्शन से पांच हफ्ते पहले ही उन्होंने लोगों को बीमार कर दिया था. जब तक चुनाव हुए तब तक वो ठीक भी हो गए थे. उनका जीतने का चांस नहीं बचा था. उन्होंने इलेक्शन का बॉयकॉट कर दिया.

asheela-tw-2_750x500_020119080549.jpgतस्वीर: ट्विटर

वहां के नेता जेम्स वीवर ने बार-बार कहा कि रजनीशपुरम की जांच की जाए. लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया. बाद में जांच हुई. पता चला कि जो बैक्टीरिया लोगों को बीमार बना रहे थे, वो रजनीशपुरम की लैब में मिले सैम्पल से पूरी तरह मैच होते थे.

रजनीश ने भी जब अपना चार साल का पब्लिक साइलेंस यानी मौन ख़त्म किया, तब उन्होंने खुद यह बात कही. कि मां आनंद शीला पर उन्हें शक है. उन्होंने ये अपराध किया है. शीला यूरोप भाग चुकी थी. साल 1985 था. 

anand-sheela-yt_750x500_020119080616.jpgतस्वीर: ट्विटर

जर्मनी में पकड़ी गई. वहां से US लाया गया. पता चला कि उसने पूरे रजनीशपुरम में फोन टैप कर रखे थे. दो अफसरों को भी इन्फेक्ट करने की कोशिश की. सजा हुई. 20 साल की सजा हुई थी. तीन साल में अच्छे व्यवहार की बिना पर छोड़ दिया गया उसे. शीला वहां से स्विट्ज़रलैंड चली गई. वहीं एक दूसरे रजनीश फ़ॉलोअर से शादी की.

2018 में रिलीज हुई डाक्यूमेंट्री वाइल्ड वाइल्ड कंट्री में मां आनंद शीला के इंटरव्यूज हैं.

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