आप धर्म के नाम पर लड़ते रहिए, ये गांव प्यार की मिसाल कायम कर रहा है

गांव के लोगों की इस पहल ने दिल जीत लिया है

आपात प्रज्ञा आपात प्रज्ञा
जनवरी 29, 2019
गुलसफा और अब्दुल. फोटो क्रेडिट- ऑडनारी/दुष्यंत त्यागी

अयोध्या का राम मंदिर मेरे पैदा होने के पहले से बन (बातों में) रहा है. न जाने कब तक वो बनता ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर की सुनवाई की तारीख एक बार फिर बढ़ा दी है. एक तरफ तो हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है. नेता हों या धर्म के प्रतिनिधि, कोई भी नफरत फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ता. लेकिन इन्हीं लोगों के बीच वो आम लोग हैं जो अपने कामों के ज़रिए प्यार का पैगाम फैला रहे हैं. यहीं उत्तर प्रदेश में एक जिला है बागपत. बागपत के एक छोटे से गांव में पूरे गांव वालों ने मिलकर एक मुस्लिम लड़की का निकाह कराया है.

कैसे हुई ये शादी?

अब्दुलपुर गांव में एक बाबू नाम का आदमी रहा करता था. वो कुछ सालों से लापता है. उसके घर की हालत भी बहुत खराब है. उसकी बेटी गुलसफा की शादी होनी थी. घर पर तो इतने पैसे थे नहीं. तो गांव के लोगों ने गुलसफा की शादी की ज़िम्मेदारी उठाई. गाज़ियाबाद के लोनी कस्बे में रहने वाले अयूब के साथ गुलसफा की शादी हुई है. गांव वालों ने बड़ी धूमधाम से ये शादी करवाई.

rtx24a04_012919021351.jpgगंगेश्वर और उनकी पत्नी कांता ने गुलसफा का कन्यादान किया. सांकेतिक तस्वीर. फोटो क्रेडिट- Reuters

अब्दुलपुर के ही गंगेश्वर और उनकी पत्नी कांता ने गुलसफा का कन्यादान किया. गांव प्रधान ने बारात का स्वागत किया. सभी गांव वालों ने बढ़-चढ़कर शादी की तैयारियों में हाथ बंटाया. गांव की अधिकतर जनसंख्या हिन्दू है. लोगों ने धर्म भूलकर एक मुस्लिम लड़की की शादी में पूरा सहयोग किया. गांव के लोगों का कहना है कि गुलसफा उनके गांव की बेटी है. आगे कोई भी बच्ची की शादी होगी तो वो इस ही तरह सहयोग करेंगे.

हमारे संवाददाता दुष्यंत त्यागी बताते हैं कि गुलसफा के भाई मोहम्मद शाकिर इस शादी से बहुत खुश हैं. वो कहते हैं-

'हिन्दू भाइयों ने हमारी बहन के निकाह में मदद की है. शादी बहुत अच्छे से हुई.'

गांव के ही एक किसान चाचा का कहना है-

'भाईचारे के साथ गांव वालों ने मिलकर लड़की की शादी की है. 20-22 साल से हमारे पास रह रही थी. हमने अपनी बेटी समझ के लड़की की शादी की है.'

गुलसफा का कन्यादान लेने वालीं कांता जी ने कहा-

'हम हिन्दू-मुस्लिम का भेदभाव नहीं मानते. हम सबलोग एक हैं. आगे भी कोई लड़की की शादी होगी तो सब मिलकर करेंगे.'

गुलसफा और अयूब की शादी एक बढ़िया खबर है. धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाले माहौल में ऐसी घटनाएं इन्सानियत में विश्वास कायम करती हैं.

 

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