मम्मी, मेरा और आपका रिश्ता शादी की रस्मों-रिवाज से ज्यादा मायने रखता है

मुझे पता है कि तुम मेरे लिए सबकुछ बेस्ट चाहती हो.

मैं बहुत खुश हूं. जानती हूं कि मुझसे ज्यादा तुम खुश हो. मेरे बचपन से मेरी शादी की तैयारी करने लगी थीं तुम. तुम्हारा सपना अब पूरा होने जा रहा है. अब जब सबकुछ तय हो गया है, तो थोड़ा अजीब भी लगता है. तुमसे दूर चली जाऊंगी, लेकिन वो सब फिल्मी बातें हैं. मैं कहीं दूर नहीं जाऊंगी.

मुझे पता है, तुम मेरी शादी का सोचकर ही इमोशनल हो जाती हो. कहने लगती हो इकलौती लड़की है. ये करेंगे, वो होगा.

नौकरी, इसी बीच में शादी, इतने सारे काम, इतनी तैयारियां, इन सबके बीच में तुम्हारे साथ सुकून से बैठकर बात करने का टाइम भी नहीं मिल रहा है. क्या करूं. इसी वजह से आजकल हमारी बहस हो जाती है.

मम्मी तुम थोड़ा समझो यार. मैं जानती हूं कि तुम मेरे लिए बेस्ट करना चाहती हो, लेकिन एक बात बताओ क्या तुम्हारे और मेरे रिश्ते से ज्यादा जरूरी शादी के रस्मों-रिवाज हैं.

शादी में कई रस्में होती हैं. सभी रस्में हम नहीं निभा सकते. मैंने कई शादियां देखी हैं. जो रिश्तेदार आते हैं. कई दिक्कतें खड़ी करते हैं. मम्मी, मैं ये नहीं कह रही कि उन्हें न बुलाओ. तुम बुलाओ, उन्हें जरूर बुलाओ. लेकिन क्या हर रस्म में उन्हें शामिल करना जरूरी है?

मैंने देखा है कि जब भी हमारे ऊपर मुसीबतें आई हैं, कोई आकर खड़ा नहीं हुआ है. तुमने सबके लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन जब तुम बीमार पड़ी थी, तब कौन आया था? फिर अच्छे काम में, हम उनके नखरे क्यों झेलें. वो आएं, शादी में खुशी-खुशी आएं, लेकिन सभी रस्मों में उन्हें शामिल मत करो मम्मी.

तुम्हें कैसे समझाऊं कि तुम्हारी जिद मेरे साथ जुड़ रहे नए रिश्तों में दिक्कतें खड़ी कर सकती है.

मैं तुम्हारा बेटा बनकर रही हूं. तुमको कभी महसूस नहीं होने दिया कि मैं लड़की हूं. पापा के लिए हमेशा सपोर्ट सिस्टम बनकर खड़ी रही हूं. तुम दोनों को कभी ये नहीं लगने दिया कि मैं तुम पर जिम्मेदारी हूं.

लेकिन तुम भी तो समझो न अब. मैं खुद शादी की पूरी जिम्मेदारी उठा रही हूं. मम्मी मैं अकेली कितना भार उठा पाऊंगी. वो परिवार जो अभी हमसे जुड़ा भी नहीं है, जिम्मेदारियां लेने को तैयार है. लेकिन हम उनपर और कितना भार डालें.

मेरी शादी में सिर्फ दो परिवार जरूरी हैं, एक मेरा और दूसरा वो परिवार जो हमसे जुड़ रहा है. लेकिन तुम्हारी जिद मुझे दुखी कर देती है. मैं परेशान हो जाती हूं कि तुम खुश नहीं हो.

तुमको ये बात माननी होगी कि मेरी शादी थोड़ी अलग है. हां, तुमने जैसा सोचा होगा उससे अलग. क्योंकि हमारी सिचुएशन भी अलग है. तुम ये बात जितनी जल्दी समझ जाओगी. मेरा नजरिया भी समझ जाओगी.

मैं हर हाल में तुमको खुश देखना चाहती हूं. मम्मी तुम्हें दुखी करके मैं नई जिंदगी कैसे शुरू कर सकती हूं.

लेकिन मैं मेरी नई जिंदगी भी बिना किसी टेंशन, बिना किसी बोझ के शुरू करना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि मेरी शादी वाले दिन हम दोनों खुश दिखें. हम दोनों के ऊपर किसी बात का प्रेशर और टेंशन न हो. क्योंकि जितना खास ये दिन मेरे लिए है, उतना ही तुम्हारे लिए है. तुम्हारा खुश रहना मेरे लिए सबसे जरूरी है.

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