NIFT कर्मचारी पर यौन शोषण के आरोप, कॉलेज ने एक्शन लेने की बजाए 56 औरतों को नौकरी से निकाला

वो स्टाफ से कहता कि बीवी घर पर नहीं है. आज तुम ही आ जाओ. ये सब एक साल तक चला

कुसुम लता कुसुम लता
जून 20, 2019
प्रतीकात्मक फोटो

‘मैडम आप बताइये, 5 औरतों से एक साथ यौन शोषण, एक आदमी के लिए पॉसिबल है क्या?’

ये सवाल एक पुलिस वाले का है. इसका जवाब हम जरूर देंगे, लेकिन उससे पहले बता देते हैं कि मामला क्या है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, जिसे NIFT भी कहते हैं. देशभर के अलग-अलग शहरों में इसके 16 इंस्टीट्यूट्स हैं. ये खबर हैदराबाद वाले एनआईएफटी से जुड़ी है. यहां हाउसकीपिंग यानी साफ-सफाई करने वाली 56 महिलाओं को नौकरी से निकाल दिया गया है. इन औरतों ने इंस्टीट्यूट के स्टैनोग्राफर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था.

स्टैनोग्राफर का नाम डी श्रीनिवास रेड्डी है. आरोप है कि उसने 5 महिलाओं के साथ यौन शोषण किया. हाउसकीपिंग स्टाफ की सुपरवाइजर रत्ना कुमारी यहां पिछले 10 साल से काम कर रही हैं. रत्ना कुमारी ने द न्यूज मिनट वेबसाइट को बताया-

'जो महिलाएं उसके कैबिन की साफ-सफाई के लिए जाती थीं, वह उनका यौन शोषण करता था. वह उन्हें छूता था, उनसे पूछे बिना उनकी फोटो क्लिक करता था. यहां तक कि उन्हें साथ सोने के लिए अपने घर पर भी इनवाइट करता था. उसे किसी का डर नहीं था. वह मुझसे आकर सीधे कहता था कि उसके कैबिन में मैं युवा और खूबसूरत लड़कियों को भेजा करूं. जब मैंने उससे कहा कि कोई उसके साथ काम नहीं करना चाहती है, तो वो मेरे फिगर की तारीफ करता. मुझसे कहता कि मैं उसके साथ सो जाऊं.'

वो स्टाफ से कहता कि बीवी घर पर नहीं है. आज तुम ही आ जाओ. ये सब एक साल तक चला. 2-3 महिलाएं हरासमेंट झेल नहीं पाईं और उन्होंने नौकरी छोड़ दी. जब बात हद से ज्यादा बढ़ गई तब स्टाफ ने रेड्डी की शिकायत करने का फैसला किया. तब रेड्डी उस प्लेसमेंट एजेंसी पर दबाव बनाने लगा जिसके जरिए इन औरतों की जॉब एनआईएफटी में लगी थी.

NIFT हैदराबादNIFT हैदराबाद

मुरली मैनपावर एजेंसी के जरिए इन महिलाओं की जॉब एनआईएफटी में लगी थी. इस एजेंसी के संचालक मुरली से हमने संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन उनके घर में एक ट्रैजेडी हो जाने की वजह से वह हमसे बाइत नहीं कर पाए. द न्यूज मिनट से बातचीत में मुरली ने कहा था-

'सात महीने पहले श्रीनिवास रेड्डी ने मुझे फोन किया कि रत्ना कुमारी को नौकरी से निकाल दिया जाए. उसके पास इसका अधिकार नहीं था. और इससे पहले अपने स्टाफ के खिलाफ मुझे कोई शिकायत नहीं मिली थी. रत्ना और अन्य महिलाओं ने श्रीनिवास की हरकत के बारे में मुझे बताया. मैंने कुमारी को दूसरी जगह नौकरी दिलवाने की बात भी कही, पर उसने कहा कि उसने कुछ गलत नहीं किया है तो वो अपनी नौकरी क्यों छोड़ेगी.'

इन महिलाओं ने पहले NIFT प्रशासन से इसकी शिकायत की. जब वहां बात नहीं सुनी गई तब इन लोगों ने अक्टूबर, 2018 में पुलिस में केस दर्ज किया. हैदराबाद के माधोपुर पुलिस थाने में. इस मामले में डिटेल के लिए हमने इस थाने के SHO वाय नागेश्वर राव से बात की. इन्होंने केस दर्ज होने की बात की पुष्टि की. हालांकि, बात करते वक्त ये पुलिसवाले कम और इन दोनों के पीआर पर्सन ज्यादा लग रहे थे.

राव ने यौन शोषण के मामले को झूठा बताया. राव ने कहा-

‘अरे मैडम, ये लोग ठीक से काम कर नहीं करते. स्वच्छ भारत कमिटी दिल्ली से आई थी. कमिटी ने इस हाउसकीपिंग स्टाफ को अच्छी रेटिंग नहीं दी. इसलिए इंस्टिट्यूट ने इन लोगों को रिप्लेस करने का फैसला किया है. लेकिन अब इन लोगों ने सेक्सुअल हरासमेंट का केस कर दिया.’

हमने उनसे पूछा- 'तो क्या एफआईआर होने के बाद आपने मामले की जांच नहीं की?'

जवाब मिला- ‘पूरे कैम्पस में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. हमने फुटेज देखे थे. उसमें कुछ नहीं निकला था.’

इतने पर भी वो नहीं रुके. उन्होंने यहां तक कहा कि सभी महिलाएं मिलकर रेड्डी को फंसाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘मैडम ये सब प्री प्लान था. तब क्यों शिकायत नहीं की जब ये सब हुआ था.’

प्रतीकात्मक फोटो. कर्टसी- इंडिया टुडेप्रतीकात्मक फोटो. कर्टसी- इंडिया टुडे

आगे बढ़ने से पहले एक छोटी सी जानकारी-

हाउस कीपिंग स्टाफ ज्यादातर जगहों पर आउटसोर्स किये जाते हैं. यानी वो परमानेंट नहीं होते और उन्हें 6 महीना-सालभर के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाता है. कॉन्ट्रैक्ट का टाइम पूरा होने पर या तो उसे रिन्यू किया जाता है या फिर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है.

एक जरूरी जानकारी ये भी कि मामले की जांच NIFT की इंटरनल कमिटी कर रही है. दिल्ली से टीम जांच के  लिए हैदराबाद गई थी. माधोपुर SHO ने बताया कि ये रिपोर्ट अभी तक पुलिस को नहीं मिली है.

राव ने कहा- ‘इंस्टीट्यूट में हाउसकीपिंग स्टाफ की मॉनिटरिंग का जिम्मा वहां के परमानेंट स्टाफ का होता है. रोटेशनल बेसिस पर स्टाफ को ये जिम्मेदारी मिलती है. श्रीनिवास रेड्डी को पिछले साल इसका जिम्मा दिया गया था.’

हां, तो एसएचओ साहब इंस्टीट्यूट का बचाव करते नजर आ रहे थे. तो हमने उनसे पूछा कि क्या रत्ना कुमारी को भी नौकरी से निकाला जा रहा है? उन्होंने कहा- हां, क्योंकि उसका काम ठीक नहीं है.

रत्ना कुमारी 10 साल से काम कर रही हैं. जाहिर है उनका काम अच्छा है तभी साल दर साल उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होता रहा. तो फिर अब उनके काम पर सवाल क्यों?  इस पर उन्होंने कहा-

मैडम, इतने साल से तो उसने कोई शिकायत नहीं की. अब कैसे अचानक उसको दिक्कत हो गई? अगर सेक्सुअल हरासमेंट हुआ तो जब हुआ तब शिकायत क्यों नहीं की. आप ही बताओ मैडम ये पॉसिबल है क्या कि एक आदमी एक साथ 5 औरतों से यौन शोषण कर ले?

हमने जब उनसे पूछा कि शिकायत कर दी क्या इसलिए अब नौकरी से निकाला जा रहा है? इस पर वह कुछ बोल नहीं पाए.

 

रेड्डी को पिछले साल जिम्मा दिया गया था. शिकायतें भी पिछले साल की ही हैं. सभी आरोप रेड्डी पर ही लगे हैं. तो, इससे साफ है कि पिछले 9 सालों में रत्ना कुमारी या उनके साथ काम करने वाली किसी महिला ने काम के दौरान यौन शोषण नहीं झेला. इसलिए शिकायत भी नहीं हुई. जब घटना हुई तब शिकायत भी हुई.

रही बात 5 लोगों का एक ही टाइम पर यौन शोषण करने की. तो एसएचओ साहब और हमारे रीडर्स के लिए हम बता देते हैं कि वर्कप्लेस पर क्या-क्या करना यौन शोषण के दायरे में आता है-

- अपने सहकर्मी को उसकी मर्जी के खिलाफ छूना

- सेक्स या उससे जुड़ी कोई डिमांड रखना

- अश्लील, डबल मीनिंग बात करना.

- सहकर्मी को पॉर्न दिखाना. चाहे वो तस्वीर के जरिए हो या वीडियो हो

- सहकर्मी को अश्लील मैसेज भेजना

- आपकी बातों से या देखने के तरीके से यदि आपकी सहकर्मी असहज हो रही है तो वो यौन शोषण के दायरे में आएगा

इस पूरी घटना का एक दूसरा पहलू ये भी है कि जिन महिलाओं को नौकरी से निकाला जा रहा है वो गरीब परिवारों से आती हैं. उनकी तुलना में उनका आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है, उसका रुतबा अधिक है और इंस्टीट्यूट में उसकी पहुंच भी अधिक ही है. ऐसे में कमजोर वर्ग से आने वाली महिलाओं की आवाज अनसुनी की जा रही है. ये एसएचओ राव की बातचीत में साफ झलक रहा है.

ये पहली बार नहीं है जब यौन शोषण का आरोप झेल रहे किसी व्यक्ति पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है, वह अपना काम कर रहा है. जबकि उस पर आरोप लगाने वाली औरत की जिंदगी पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.

देश में पिछले साल मीटू मूवमेंट ने जोर पकड़ा था. इसमें नाना पाटेकर, आलोक नाथ, अनु मलिक, विकास बहल, साजिद खान, कैलाश खेर जैसे बड़े सितारों पर यौन शोषण के आरोप महिलाओं ने लगाए थे. इनमें से कइयों को क्लीन चिट मिल गई है, ये लोग अपने काम की ओर लौट रहे हैं. लेकिन जिन लड़कियों ने शिकायत की है उन्हें काम मिलना बंद हो गया है.

ये औरतों पर अविश्वास का ही कल्चर है कि लगभग 5 दर्जन महिलाओं के मुकाबले उन्हें एक पुरुष ज्यादा सच्चा लग रहा है.

कहीं आप 'अनजाने में' अपनी महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न तो नहीं कर रहे?

 

 

 

 

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