मेरी बेटी एक्ट्रेस बनना चाहती थी, उसकी शक्ल और बॉडी की वजह से मैंने बनने नहीं दिया: नीना गुप्ता
बॉलीवुड की बखिया उधेड़ दी.

अगर आपको बॉलीवुड में लीड हिरोइन बनना है तो उसकी कम से कम दो शर्तें हैं. आपको सुंदर और पतला दिखना चाहिए. ओह. दूध जैसा रंग तो भूल ही गए. बॉलीवुड की ख़ूबसूरती की डेफिनिशन ही अलग है. सच्चाई और हकीकत से कोसों दूर. इंडस्ट्री में काम पाने के लिए लड़कियों को सर्जरी तक करवानी पड़ती है. ताकि वो उस खांचे में फिट बैठ सकें. यही कड़वा सच है. और ये सच एक्ट्रेस नीना गुप्ता बखूबी जानती हैं.
नीना की एक बेटी हैं. मसाबा गुप्ता. बहुत मशहूर फैशन डिज़ाइनर हैं. पर मसाबा हमेशा से फैशन डिज़ाइनर नहीं बनना चाहती थीं. वो हिरोइन बनना चाहती थीं. पर उनकी मां नीना इस फ़ैसले के सख्त ख़िलाफ़ थीं. उसकी कुछ वजहें थीं.
नीना ने पूरी कोशिश की कि मसाबा एक्टिंग में करियर न बनाएं. इसका ख़ुलासा नीना ने राजीव मसंद के साथ एक इंटरव्यू में किया. ये विडियो ख़ूब वायरल हो रहा है.
नीना ने पूरी कोशिश की कि मसाबा एक्टिंग में करियर न बनाएं. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)
इसमें नीना कहती हैं:
“मैंने मसाबा से कहा कि अगर तुमको एक्टर बनना है तो तुम भारत से बाहर जाओ. जिस तरह की तुम्हारी शक्ल है, बॉडी है, तुम्हें इंडियन फ़िल्मों में बहुत कम रोल मिलेंगे. भले ही तुम कितनी ही अच्छी एक्टिंग करती हो. तुमको हिरोइन का रोल नहीं मिलेगा. तुम हेमा मालिनी नहीं बनोगी. अलिया भट्ट नहीं बनोगी.”
यही नहीं. नीना एक बार शाहरुख़ खान और करण जौहर से प्लेन पर मिली थीं. नीना ने उनको मसाबा को समझाने के लिए कहा. वो चाहती थी ये दोनों मसाबा को एक्टिंग में करियर बनाने से रोकें.
नीना ने अपनी इंटरव्यू में जो बातें कहीं, वो कड़वी ज़रूर थीं, पर सौ टका सच भी थीं.
मसाबा नीना और वेस्ट इंडीज़ के क्रिकेटर विव रिचर्ड्स की बेटी हैं. ज़ाहिर सी बात है उनकी शक्ल और शरीर पर उनके पिता की भी छाप है. बदकिस्मती से बॉलीवुड इंडस्ट्री बहुत क्रूर है. उसे लीड रोल्स के लिए एक ही तरह की दिखने वाले एक्ट्रेसेज़ की तलाश होती. उससे बाहर कोई दिखता है तो वो सपोर्टिंग कास्ट का हिस्सा बनकर रह जाता है.
मसाबा नीना और वेस्ट इंडीज़ के क्रिकेटर विव रिचर्ड्स की बेटी हैं. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)
ये चलन बॉलीवुड में हमेशा से रहा है.
अगर किसी लड़की का रंग सांवला है तो उसे नेगेटिव रोल पकड़ा दिया जाता है. वज़न ज्यादा है तो उसका काम अपनी ही खिल्ली उड़वाना होता है. पुराने ज़माने की एक्ट्रेस टुनटुन इसका सटीक उदाहरण हैं.
टुनटुन ने दर्शकों को ख़ूब हसाया. पर लीड रोल में नहीं. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)
वैसे आज भी ज्यादा कुछ नहीं बदला. आप इंडस्ट्री की कोई भी लीडिंग लेडी देख लीजिए. सबमें कुछ चीज़ें कॉमन होंगी. उनका रंग. और छरहरा बदन. तीखे नैन-नक्श. शायद इसलिए बॉलीवुड फ़िल्मों के प्लॉट चाहे जितने रियल क्यों न हो जाए, उनपर यकीन तब ही आएगा जब उसमें आपके और हमारे जैसे लोग अहम किरदार निभाएगें.
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