'मैं लॉ की स्टूडेंट हूं और कॉलेज में मेरे पापा मेरे जूनियर हैं'
कानून पढ़ने में इतना इंटरेस्ट था कि बेटी के कॉलेज में ही एडमिशन ले लिया.

(यह ब्लॉग मूलरूप से ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है. इसे हम अपने पाठकों के लिए हिंदी में अनुवाद करके प्रकाशित कर रहे हैं.)
मेरे पापा को हमेशा से कानून की दुनिया में रुचि रही है. उन्हें अदालत, सुनवाई और कोर्ट के मामलों में जानना अच्छा लगता है. वह कानून की पढ़ाई करना चाहते थे. लेकिन उस वक्त उनका परिवार इतना खर्च नहीं उठा सकता था. इसलिए वो एक कंसल्टेंट फर्म में ही काम करने लगे. उन्होंने दिन-रात मेहनत की ताकि उनके बच्चों को शिक्षा मिल सके. मेरी बहन डॉक्टर है. मेरा भाई और मैं कानून की पढ़ाई अभी कर रहे हैं.
जब मैंने लॉ की पढ़ाई शुरू की थी, तब पापा मुझसे हर छोटी-बड़ी बात की जानकारी लेते थे. इतना ही नहीं वो मेरी क्लास के बारे में भी सवाल-जवाब करते थे और विषयों के बारे में पूछा करते थे. यही वो समय था जब हमने यह महसूस किया कि पापा के पास अभी भी वक्त है. और वह भी यूनिवर्सिटी जा सकते हैं. वह भी कानून की पढ़ाई कर सकते हैं.
यकीन हो न हो, लेकिन मैं और पापा एक ही कॉलेज में पढ़ रहे हैं. असल में वो मेरे जूनियर हैं. हम साथ में मजे करते हैं. हमारे प्रोफेसर, क्लासमेट और असाइनमेंट के बारे में बात करते हैं. बल्कि ब्रेक के दौरान पापा मेरे दोस्तों के साथ बैठते हैं और उन्हें पापा का साथ बहुत पसंद है.
एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ बैठी थी. पापा मेरे पास आकर बोले कि वह मेरे दोस्तों के साथ नहीं बैठना चाहते. क्या वह अपने क्लास के दोस्तों के साथ बैठ सकते हैं. वह काफी ज्यादा क्यूट था.
पापा को उनके अधूरे सारे सपने पूरा करते देखकर खुशी होती है. मैं और पापा जल्द ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर देंगे. आशा है कि वह अपने लिए भी वो सब करेंगे, जो उन्होंने हमारे लिए किया. जिंदगी एक सर्कल है और हम दोनों अपने सपनों को पूरा करने में लगे हैं.
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