मध्य प्रदेश के DGP ने लड़कियों को लेकर जो कहा है, उससे पुलिस पर से भरोसा कम होने लगता है
लड़कियों की 'स्वतंत्रता' से इतनी दिक्कत क्यों?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक़, 2016 में मध्य प्रदेश में 6016 ऐसे मामले सामने आए जिनमें बच्चों का अपहरण किया गया. अब बीती चार जुलाई को वहां के डीजीपी वीके सिंह ने ऐसा बयान दिया है जिस पर सोशल मीडिया में बहुत प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
उन्होंने कहा,
'एक नया ट्रेंड ये है जो IPC 363 के रूप में दिखा है. लड़कियां स्वतंत्र ज्यादा हो रही हैं. स्कूलों-कॉलेजों में जा रही हैं. तो आज के समाज में लड़कियों की बढ़ती स्वतंत्रता एक तथ्य है. और ऐसे में उनका जो सामना हो रहा है, जो इंटरेक्शन हो रहा है दूसरे लोगों के साथ वो भी एक सच्चाई है. ऐसे केसेस में वृद्धि देखने में मिली है, जहां पे घर से चली जाती हैं और रिपोर्ट होती है किडनैपिंग की.'
#WATCH MP DGP, VK Singh,"Ek naya trend IPC 363 ke roop mein dikha hai. Ladkiyaan swatantra zada ho rahi hain,aaj ke samaj mein ladkiyon ki badhti swatantrata ek tathya hai.Aise cases mein increase hua hai jismein wo ghar se chali jati hain aur report hoti hai kidnapping ki" (4Jul) pic.twitter.com/M42uCRquM1
— ANI (@ANI) July 7, 2019
इस बयान में अगर आपको कुछ गलत नहीं दिखाई दे रहा तो बधाई हो, आप भी इंटरनेट के उन
काउंट्स की तरह हैं जो इस स्टेटमेंट के समर्थन में ट्वीट करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
तस्वीर: ट्विटर
लेकिन इस बयान में कई ऐसी चीज़ें हैं जिससे परेशान होना चाहिए आपको.
लड़कियों की स्वतंत्रता वाला जो फ्रेज है, वो इस तरह इस्तेमाल किया गया है मानों ये कोई खराब चीज़ है. मानों उन्हें खूंटे से बांधकर रखने में ही भलाई है, छूट गईं तो दिक्कत हो जाएगी. स्कूल-कॉलेजों में जा रही हैं, तो क्या पाप कर रही हैं. डीजीपी साहब क्या चाहते हैं, घर में बैठकर रोटियां पकाएं लड़कियां और मवेशियों की भांति यहां से वहां, इस घर से उस घर भेज दी जाएं? क्या इस तरह वो सुरक्षित रहेंगी?
स्वतंत्रता की ये दलील लड़कों के मामले में क्यों नहीं दी जाती? लड़कों के खिलाफ अपराध होते हैं, या उनकी सुरक्षा की बात चलती है तब तो कोई ये नहीं कहता कि इनकी आज़ादी पर रोक लगनी चाहिए? कल को राह चलते किसी पुरुष पर हमला हो, उसे लूट लिया जाए या उस पर जानलेवा हमला हो, तो लोग ये तो नहीं कहते कि पुरुष स्वतंत्र काफी ज्यादा हो गए हैं इस वजह से उनके खिलाफ अपराध बढ़े हैं? तो लड़की के मामले में ऐसी राय क्यों? दुखद ये है कि इस तरह की सोच सिर्फ पुरुषों की बपौती नहीं है. महिलाएं भी ऐसी ही बातें करती दिखाई देती हैं.
पुलिस भी ऐसी बातें करेगी, तो कोई कैसे ही भरोसा कर के जा पाएगा उसके पास?
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