अनुसूचित जाति के लड़के से शादी करने पर अपनी ही बेटी की हत्या की, पुलिस ने साथ दिया
हेमावती एक हफ्ते पहले ही मां बनी थी. ये ख़ुशी उसके मां-बाप से बर्दाश्त नहीं हुई.

ऑनर किलिंग. यानी इज्जत के लिए किसी की ह्त्या कर देना. याने कि उस व्यक्ति के होने मात्र से आपकी इज्जत को इतना धक्का पहुंच रहा कि आप उसका क़त्ल कर सकते हैं. उसे मरवा सकते हैं.
जैसे 'सैराट' फिल्म के अर्ची और पर्श्या मार दिए गए थे.
जैसे जस्सी मार दी गई थी.
जैसे हेमावती मार दी गई.
23 साल की हेमावती आंध्र प्रदेश के नायडू समुदाय से थी. ये समुदाय कम्मा समूह में आता है. कम्मा वहां की ‘ऊंची/अगड़ी’ मानी जाने वाली जाति है. हेमावती (हेमा) काफी समय से केशवुलू (केशव) को डेट कर रही थी. केशव मला नाम की जाति से था, जो शेड्यूल्ड कास्ट यानी अनुसूचित जाति है. हेमा के परिवारवालों को ये पसंद नहीं था.
द न्यूज मिनट में छपी रिपोर्ट के अनुसार 2017 में दोनों ने भागकर शादी करने की कोशिश की. उस समय हेमा की उम्र 21 साल थी. वो बालिग़ थी. केशव भी बालिग़ था. लेकिन जब हेमा और केशव साथ चले गए, तो हेमा के परिवार वालों ने शिकायत की पुलिस में. कहा कि उनकी बेटी को किडनैप कर लिया गया है.
हेमावती. तस्वीर साभार: इंडियन एक्सप्रेस
ह्यूमन राइट्स फोरम के अनुसार पालमानेर पुलिस ने हेमा के पेरेंट्स का पक्ष लिया, और हेमा और केशव को वापस बुलाया. जबकि हेमा बालिग़ थी. उसे कहीं भी किसी के भी साथ अपनी मर्ज़ी से आने जाने का हक़ था. अपना जीवनसाथी चुनने का हक था. लेकिन उसके घरवाले ऐसा नहीं मानते थे. घटनाक्रम देखा जाए, तो पुलिस भी ऐसा नहीं मानती थी, ऐसा लगता है.
केशवुलू ने इंटरव्यू में बताया,
"जब हमने पहली बार उसके पेरेंट्स से डर कर जाने की कोशिश की, पुलिस ने हमें बुला लिया. जब हम पुलिस स्टेशन गए, तो (हेमा के) पेरेंट्स, उसके और मेरे समाज के बुजुर्ग लोग वहां मौजूद थे. उन सबने मिलकर हमें यकीन दिलाया कि वो हमारी शादी करा देंगे, बस एक बार हेमा अपनी पढ़ाई पूरी कर ले. हमने उन पर भरोसा किया और अपने अपने परिवार के साथ अपने घर चले गए. उस रात, उसके घरवालों ने उसे बहुत बुरी तरह मारा. उन्होंने उसे उस समय भी मारने की कोशिश की. वो किसी तरह बचकर भाग आई, लेकिन हमें डर था कि उसका परिवार हमें फिर नुकसान पहुंचाएगा.”
पिछले हफ्ते हेमा की हत्या कर दी गई. चित्तूर में. एक हफ्ते पहले ही उसने अपने और केशव के बच्चे को जन्म दिया था. पिछले शुक्रवार तथाकथित रूप से हेमा के पिता भास्कर नायडू और उसके गुंडों ने हेमा को उठवा लिया, उस समय वो अपने बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास जा रही थी. हेमा को मार दिया गया, और उसकी बॉडी एक कुएं में फेंक दी गई.
लेकिन ऐसा नहीं है कि हेमा और केशव ने अपने आप को बचाने की कोशिश नहीं की. एक बार जब हेमा भागकर आई घरवालों के पास से, तब केशव और हेमा अनंतपुर, बेंगलुरु और आस पास के शहरों में भटकते रहे. केशव ने बताया कि लगभग एक साल पहले हेमा के पास उसकी छोटी बहन का फोन आया. उसने हेमा से कहा, अपने सर्टिफिकेट ले जाओ. हेमा की बीटेक की पढ़ाई बीच में छूट गई थी. तो उसकी बहन ने कहा कि गंगावरम के पास आकर अपने पधिया वाले सर्टिफिकेट ले जाओ. ताकि हेमा पढ़ाई पूरी कर ले. जब केशव वहां गया हेमा और अपने एक दोस्त के साथ, तो हेमा के परिवार ने उन्हें दूर रहने को कहा. फिर हेमा को घसीट कर अपने साथ ले गए.
हेमा को उसके परिवार वालों ने आखिरकार मार डाला. तस्वीर साभार: द न्यूज मिनट
केशव और उसके दोस्तों ने गंगावरम पुलिस के पास शिकायत दर्ज करने की कोशिश की. लेकिन कथित रूप से पुलिस ने मना कर दिया FIR दर्ज करने से. कहा कि अपने गांव के किसी कम्मा नेता से परमिशन लेकर आओ. केशव ने बताया,
“गंगावरम पुलिस ने हमें पालमानेर जाने को कहा, क्योंकि वो हेमा को वहीं ले गए थे. पालमानेर पुलिस ने हमें गंगावरम जाने को कहा क्योंकि घटना वहां हुई थी. तीन दिन तक यहां वहां आते जाते हम शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके थे. आखिरकार मेरी पत्नी किसी तरह भाग निकली और मेरे पास वापस आ गई.”
केशव् ने बताया कि उसके पिता पर भी हमला हुआ. वो जिस रोड कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे वो हेमा के पिता की जन पहचान वाले आदमी का था. हेमा के पेरेंट्स के घर के पास जब वो काम कर रहे ते, तो हेमा के परिवार की महिलाओं ने उन पर चीज़ें फेंकीं और जातिसूचक गालियां दीं. जब शिकायत दर्ज करने की कोशिश की, तो पुली स ने तथाकथित रूप से कहा कि इस शिकायत को प्रोजेक्ट के कांट्रेक्टर की मंजूरी मिलनी चाहिए. वो कांट्रेक्टर हेमा के पिता की जन पहचान का तो था ही, साथ ही साथ ‘ऊंची जाति’ का भी था.
ह्यूमन राइट्स फोरम ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा,
“HRF का मानना है कि हेमवती की हत्या गुस्से की झोंक में या एक क्षण में की गई हत्या नहीं थी. पुलिस इस हत्या को होने से रोक सकती थी अगर वो शिकायतों पर पहले ही एक्शन ले लेती. SC/ST एक्ट के तहत ये प्रावधान है कि पुलिस को अगर ये लगता है कि किसी SC/ST समूह के व्यक्ति को नॉन SC/ST समूह के लोगों से खतरा है, तो वो उन्हें बचाने के लिए एक्शन ले सकती है.”
सांकेतिक तस्वीर: पीटीआई
हेमावती के परिवार के छह लोग पुलिस कस्टडी में ले लिए गए हैं, उन पर अपहरण और हत्या का आरोप लगा है. इनमें से चार लोग – हेमावती के माता –पिता और दादा शामिल हैं, उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. दो अभी बालिग़ नहीं हैं, तो उन्हें बाल सुधार गृह भेजा गया है.
इस मामले में जो एक्टिविस्ट हैं वो ये कह रहे हैं कि इस हत्या में और लोग भी शामिल हैं. कुछ नायडू पुरुष जिन्होंने परिवार को उकसाया. और वो पुलिस अधिकारी जिन्होंने पिछली शिकायतों पर कोई एक्शन नहीं लिया. पुलिस पर भी एक्शन लेने की मांग की जा रही है.
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