आज तक किसी को बेटी पैदा होने की दुआ देते सुना है?
मदर्स डे को सेलिब्रेट करता ये एड सबके दिल को छू गया है.
बचपन में ऐसा कई बार अपने सामने होते हुए देखा. जब भी घर पर भाभी, चाची, बहन, या कोई और औरत प्रेगनेंट होती तो किन्नर दुआए देने और पैसे लेने घर आते. सब यही दुआ देते कि बेटा हो. असल में सिर्फ़ वही नहीं. हर कोई घर में बेटा होने की दुआ ही देता. मैंने कभी सुना नहीं कोई बेटी होने की दुआ दे.
इसलिए पिछले दिनों जब मैंने एक प्रेगनेंसी टेस्ट करने वाली किट का ऐड देखा तो थोड़ा इमोशनल हो गई. इस साल 12 मई मदर्स डे पड़ रहा है. हर साल मई के दूसरे रविवार को पड़ने वाले मदर्स डे को सेलिब्रेट करने के लिए ये ऐड बनाया गया है.
क्या है इस ऐड में?
एक औरत प्रेगनेंट है. अपने बच्चों का नाम सोच रही है. उसकी सास दूसरे कमरे में काम कर रही है. वो अपनी सास से पूछती है कि वैदेही नाम कैसा रहेगा? सास कहती है उसने कुछ नाम डायरी में लिखे हैं. औरत जब डायरी पढ़ती है तो उसमें सारे नाम लड़कों के लिखे होते हैं. लड़की के लिए कोई नाम नहीं लिखा है. यह देखकर प्रेगनेंट महिला थोड़ी परेशान हो जाती है. इस बीच दरवाजे की घंटी बजती है. सास दरवाज़ा खोलती है. सामने कुछ किन्नर होती हैं. वो होने वाले बच्चे को आशीर्वाद देने आई होती हैं. आगे क्या होता है, ये ऐड में देखिए.
किन्नर बेटा पैदा होने की दुआ देती हैं. लेकिन सास उन्हें डांट देती है. कहती है कि बेटी होगी तो क्या वो लोग दुआ नहीं देंगी? सास के इतना कहते ही बहू के चेहरे का रंग बदल जाता है. उसके एक्स्प्रेशन से उसकी फीलिंग को समझा जा सकता है. भारत में आज के दौर में भी औरतों पर लड़का पैदा करने का प्रेशर होता है. हालांकि, ये उनके हाथ में नहीं होता है कि लड़का होगा या लड़की. लेकिन अगर लड़की पैदा होती है तो उसे ताने झेलने पड़ते हैं. आज भी कई जगह औरत को लड़की पैदा करने के लिए तलाक तक दे दिया जाता है.
ऐसे में प्रेगनेंट होते ही औरतों के मन में डर बैठ जाता होगा, नहीं? कि अगर बेटी हो गई तो. हर कोई लड़के की दुआ मांगता है. उस वक़्त क्या चलता होगा एक प्रेगनेंट मां के दिल में. उसके लिए तो बेटा-बेटी एक ही है. शायद वो अपनी प्रेगनेंसी सुकून से एन्जॉय भी नहीं कर पाती होगी.
कुछ घरों में उसकी सेहत का ख़याल सिर्फ़ इसलिए रखा जाता है ताकि बच्चा हेल्दी रहे. डिलीवरी होते ही सब टूट पड़ते हैं.
कुछ समय पहले मेरी बात डॉक्टर गणेश राख से हुई थी. पुणे में उनका एक छोटा सा अस्पताल है. उनके अस्पताल में अगर लड़की पैदा होती है तो वो मां-बाप से कोई भी फ़ीस नहीं लेते. उल्टा दवाइयां भी एकदम मुफ़्त दी जाती हैं.
डॉक्टर गणेश राख. (फ़ोटो कर्टसी: OddNaari)
डॉक्टर गणेश ने बताया:
“मैंने ये अस्पताल 2007 में शुरू किया था. मैं अक्सर देखता था कि जब किसी को लड़का पैदा होता था तो जश्न का माहौल हो जाता. लोग मिलने आते, मां के लिए घर से स्वादिष्ट खाना बन कर आता. यहां तक कि लोग बिल भी बड़ी खुशी से भरते थे. पर जब बेटी पैदा होती तो ऐसा लगता था कि सबको सदमा लग गया हो. मैंने पतियों को डिलीवरी के बाद अपनी पत्नियों को मारते हुए भी देखा है. वो अपनी पत्नी के मां-बाप को गालियां देते, कि ये देखो तुम्हारी बेटी ने लड़की पैदा की है. कोई उस महिला से मिलने ही नहीं आता था. मां भी इतनी दुःखी हो जाती थी कि बच्ची को दूध भी नहीं पिलाती. जब अस्पताल का बिल भरने की बात आती, तो उनमें लड़ाई हो जाती कि तुम पैसे दो, मेरे पास पैसे नहीं हैं. ये सब देखकर मैंने सोचा कि अगर लड़की पैदा होने पर लोग इतने दुःखी हो जाते हैं, तो मैं इसकी खुशी मनाऊंगा. अगर कोई नवजात बच्ची का इलाज नहीं कराना चाहता, तो मैं मुफ्त में इलाज करूंगा और किसी लड़की के पैदा होने पर पैसे नहीं लूंगा."
डॉक्टर गणेश जैसे लोग कम ही दुनिया में. साथ ही उस ऐड में दिखाई गई सास जैसी भी. वो किन्नरों को डांटती है कि सिर्फ़ लड़का होने पर दुआएं क्यों दोगे? लड़की होने पर क्यों नहीं. दुआ देनी है तो ये दो कि मां-बच्चा स्वस्थ हों.
बढ़िया बात है.
अगर वाकई औरतों के ऊपर से लड़का पैदा करने का प्रेशर हट जाए तो उनकी प्रेगनेंसी थोड़ी आसान हो जाएगी.
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