कौन मां खुद को सुनने के लिए तैयार करती है कि उसका बच्चा 'नॉर्मल' नहीं है?

'सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि हमारे बच्चे के साथ कुछ बुरा होगा.'

(सांकेतिक तस्वीर) फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

मैं दीपिका घिल्डियाल, देहरादून से हूं. एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम करती हूं. मेरी एक बहुत प्यारी सी 6 साल की बेटी है, जिसका नाम आद्या है. आद्या बहुत खुशमिज़ाज़ और इंटेलिजेंट बच्ची है. आद्या की तमाम खूबियों में ये भी शामिल है कि उसे सेरिब्रल पाल्सी है. प्रेगनेंसी या प्रसव के दौरान दिमाग तक ऑक्सीजन की सप्लाई में जरा सी भी कमी हो जाय तो दिमाग को नुकसान पहुंच जाता है. वही आद्या के साथ हुआ और अब आद्या के दिमाग से शरीर के अंगों तक सही से सिग्नल नहीं पहुंच पाते.

मैं ये सब खत इसलिए लिखती हूं ताकि समाज की उस सोच को बदल सकूं जो लोगों को "सामान्य" और "असामान्य" के खांचों में बांटती है. मैं चाहती हूं कि किसी भी किस्म की विकलांगता को दया भाव से न देखा जाए. लोग जानें कि स्पेशल बच्चे भी एक आम बच्चे की तरह प्यार और सम्मान के हकदार हैं, साथ ही उनके माता पिता भी.

अगर इन खतों को पढ़ने वाला एक भी इंसान अगली बार किसी स्पेशल बच्चे से बिना किसी दया या डर के मिले, तो मैं समझूंगी कि मेरा प्रयास सफल रहा.

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मेरी सखी!

जाने कब से तुम्हें खत लिखने का मन था. तुमसे अपना मन बांटने का मन था, इतनी देर क्यों लगी, तुम जानती हो. समय ही वो शै है जो हमें कंजूसी से दी गई है. मैं अक्सर ये सोचते हुए हंस पड़ती हूं कि हमारे लिए एक दिन में कम से कम तीस घंटे होने चाहिए थे.

हम दोनों एक दूसरे को नहीं जानते लेकिन तुम मेरी सखी हो, क्योंकि हम एक नाव पर सवार हैं. तुम्हारे हर सुख दुख को मैं उतनी ही शिद्दत से महसूस कर सकती हूं, जितना तुम करती हो, तुम्हारे साथ खड़े होने और तुम्हारे दर्द पर मरहम रखने को हमेशा तैयार हूं. सखी होने की यही शर्तें हैं न?

मेरी तरह तुमने भी एक स्वस्थ बच्चे की कल्पना की थी. सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि हमारे बच्चे के साथ कुछ बुरा होगा. तैयारियां भी उसी तरह की क़ी थीं, आखिर कौन मां खुद को ये सुनने के लिए तैयार करती है कि उसका बच्चा “नार्मल” नहीं है. मेरी तरह तुम भी सन्न रह गयी होगी जब पैदा होते ही तुम्हारा बच्चा रोया नहीं होगा. जब डॉक्टर्स में अफरातफरी मच गयी होगी. जब कोई तुम्हें कुछ बताने को तैयार ही नहीं हुआ होगा और तुम जिसे अपने बच्चे के पैदा होने क़ी ख़ुशी मनानी थी, एक अनजाने डर और तनाव क़ी गिरफ्त में थी. सिर्फ तुम और मैं समझ सकते हैं और आज भी उस डर को महसूस कर सकते हैं.

मेरी तरह तुम भी उसे अपना पहला दूध नहीं पिला पायी होगी. वो दूध जिसे बच्चे के लिए अमृत कहा जाता है, वाश बेसिन में बहाते हुए तुम्हारा कलेजा मुंह को आया होगा. तुम्हारी घुटी हुई चीखें आज भी तुम्हारा पीछा कर रही हैं, मैं जानती हूं. जिंदगी की जंग लड़कर जब तुम्हारा बच्चा, पहली बार घर आया होगा, तुम कितनी खुश, कितनी घबराई हुई एक साथ रही होगी, मैं ये भी जानती हूं.

1_122118044708.png(सांकेतिक तस्वीर) फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

हर बीतते महीने के साथ, जब अंदर से कुछ गड़बड़ होने के अंदेशे मिले होंगे, जब सौ बार तुमने चुपके से उसके हाथ पैर अलट पलट के देखे होंगे, ये हंसता क्यों नहीं , मुझसे नजरें क्यों नहीं मिलाता, बीमार क्यों हो जाता है बार-बार, और ये सवाल तुम किसी से भी पूछ नहीं पाई होगी, उस उलझन ने मुझे भी रातों को जगाया है.

और फिर जब डॉक्टर ने बताया होगा कि उसे सेरिब्रल पाल्सी/ऑटिज़्म/डाउन सिंड्रोम या फिर कुछ और होने का शक है, साथ में एपिलेप्सी और जाने क्या-क्या होने का डर भी, तुम कैसे अवाक्, पागल सी खड़ी उसका मुंह तकती रह गयी थी. ये शब्द तो कभी सुने भी नहीं थे. इनका मतलब क्या होता है? तुममें इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी कि तुम डॉक्टर से पूछ पाती. उस दिन तुम एक मौत मरी थी. मैं भी.

तुम आज भी रोज कई मौत मरती होगी. जब दूसरे बच्चों को खेलते कूदते, स्कूल जाते देखती होगी. जब तुम्हें तुम्हारे बच्चे की हालात का जिम्मेदार ठहराया जाता होगा. जब तुम हर सुबह बस एक प्रार्थना करती होगी कि भगवान् आज का दिन सही से कट जाय. जब तुम किसी के सुख दुख में शरीक नहीं हो पाती होगी और उनसे भी ताने सुनती होगी जो तुम्हारे दोस्त होने, तुम्हें समझने का दावा करते हैं.

और फिर शुरू हुई होगी एक जंग. खुद से, दुनिया से और बच्चे की कंडीशन से. कभी दबे स्वर में तो कभी खुले आम, बच्चे की हालात के लिए तुम पर इल्ज़ाम लगे होंगे. तुम्हारी मनमानी, लापरवाही से लेकर कुंडली के दोष तक बांचे गए होंगे. पूजा पाठ और टोटकों के दौर शुरू हुए होंगे. और कुछ फायदा न होता हुआ देख, सब एक तरफ हो गए होंगे. रह गयी तो तुम और तुम्हारा बच्चा. अकेली.

2_122118044727.jpg(सांकेतिक तस्वीर) फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

लेकिन तुम अकेली नहीं हो. मैं तुम्हारे साथ हूं. हम सब स्पेशल मॉम्स साथ हैं. हम एक-दूसरे के लिए हमेशा रहेंगे, आओ वादा करें.

सबसे पहले तो तुम खुद को दोष देना बंद करो. जो हुआ उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी. खुद को आईने में देखो, कितनी सुन्दर और साहसी हो तुम. दुनिया की सबसे मजबूत औरत हो, जो इतने दर्द और अपमान के बाद भी, एक बहुत प्यारे और बहादुर बच्चे की जिंदगी में प्यार और आराम भर रही हो. जवाब देना सीखो. मैं नहीं कहती कि लड़ो या चिल्लाओ, लेकिन अपनी आवाज में एक विश्वास और गर्व लाओ. जो तुम पर दया दिखाए, तुम्हारे बच्चे को बेचारा कहे, उसे जवाब दो. उसे बताओ कि न तो तुम बेचारी हो ना तुम्हारा बच्चा. और अगली बार अगर कोई तुमसे मिलना चाहे तो अपनी दया और बेचारगी अपने घर रखकर आए. ज्यादा से ज्यादा लोग मिलना बंद कर देंगे, करते रहें. तुम्हें भीड़ से ज्यादा सकारात्मकता की जरूरत है. जवाब ढूंढना सीखो. तुम मेरा खत पढ़ रही हो तो इसका मतलब तुम इन्टरनेट इस्तेमाल कर सकती हो. जानकारियां जुटाओ. बच्चे की कंडीशन की सही जानकारी तुम्हारा सबसे बड़ा हथियार होगा, तुम्हें मजबूत बनाएगा. अपने जैसी स्पेशल मॉम्स ढूंढो. दुनिया के हर कोने से. वो न सिर्फ तुम्हें जानकारियां देंगी, हौसला भी बढ़ाएंगी. आने वाला कल हमें डराता है. तुम नहीं रहोगी तो तुम्हारे बच्चे का क्या होगा? डरो मत. भविष्य के बारे में कोई नहीं जानता और डरने से कोई हल नहीं निकलता. आज के बारे में सोचो. उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर खुश होना सीखो, उसकी उपलब्धियों पर उसे शाबाशी देना सीखो. अपना गुस्सा, डर कभी भी उस पर मत निकालो. तुम्हारी तरह उसकी भी कोई गलती नहीं है. उसके आगे भूल से भी रोना मत. वो बोल नहीं सकता, लेकिन समझता सब है. अपने शौक पूरे करो. ऐसा मत सोचना कि दुनिया ही ख़त्म हो गई है. हालात को स्वीकार करके उसका हर संभव हल ढूंढना और खुद को जीवन की धारा से जोड़े रखना तुम्हे संबल देगा, जीना आसान होगा.

3_122118044742.jpg(सांकेतिक तस्वीर) फ़ोटो कर्टसी: Pixabay

खुद से प्यार करो. खुद पर गर्व करो. जिस सबसे जूझते हुए तुम जी रही हो, वो आसान नहीं है. हो सकता है आगे और मुश्किलें आएं, खुद को तैयार रखो. पति और बाकि घरवालों से मदद मांगना सीखो. थोड़ा आराम तुम्हें भी चाहिए.

तुम स्पेशल हो, तुम बहादुर हो, तुम मां हो और तुम्हारे बच्चे को तुम पर गर्व है. मुझे तुम पर गर्व है.

 

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