ज्योति कुमारी मर्डर: रेप और हत्या का मामला जिसने सनसनी मचा दी थी, 12 साल बाद वापस आया

लड़की को न्याय देकर छीन लिया गया.

सांकेतिक इमेज- twitter

1 नवंबर 2007.

ज्योति का ऑफिस में ये आखिरी दिन था. इसके बाद वो इस जॉब पर नहीं जाती. लेकिन उसे ये पता नहीं था कि आज के बाद वो कभी घर भी नहीं लौट सकेगी. उसे उसके ड्राइवर ने घर से पिक किया. रोज़ की तरह. रात को दस बजे. ज्योति की नाईट शिफ्ट हुआ करती थी. ऑफिस से कैब मिली हुई थी. उसी कैब का ड्राइवर था पुरुषोत्तम बोराटे. ऑफिस था पुणे का हिन्जवडी आईटी पार्क.

उस दिन गाड़ी में पुरुषोत्तम का दोस्त प्रदीप कोकडे भी बैठा था.

गाड़ी ज्योति को पिक करके निकली. अब उसे बाकियों को पिक करना था. लेकिन गाड़ी आईटी पार्क की तरफ जाने के बजाए मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे पर एक गांव की तरफ मुड़ गई. ज्योति बैंगलोर के अपने एक दोस्त के साथ फोन पर बात कर रही थी. उसका ध्यान नहीं गया.

गाड़ी एक गांव के पास सुनसान इलाके में चली गई.

यहीं पर पुरुषोत्तम बोराटे और प्रदीप कोकडे ने ज्योति का रेप किया. उसका मर्डर किया. और लाश वहीं छोड़ दी. उसके बाद बाकी के इम्प्लॉइज को पिक करने चले गए.

पुलिस को ज्योति की लाश गाहुन्जे गांव के पास अगले दिन यानी दो नवम्बर को मिली.  

murder-750x500_073019033004.jpgसांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे

पूरी आईटी इंडस्ट्री में इस केस ने तहलका मचा दिया. नाइट शिफ्ट करने वाली लड़कियों के भीतर डर बैठ गया. इस पर बहसें शुरू हो गईं. कम्पनियों की कितनी जिम्मेदारी है अपने इम्प्लॉइज, ख़ासकर फीमेल इम्प्लॉइज, के लिए. इस पर भी सवाल उठे.

ज्योति का केस उज्जवल निकम ने लड़ा. वही उज्जवल निकम जो गुलशन कुमार मर्डर केस भी लड़ चुके हैं और 1993 में हुए मुंबई धमाकों का केस भी. 3 नवम्बर को पुलिस ने पुरुषोत्तम और प्रदीप को अरेस्ट कर लिया था. कॉल रेकॉर्ड्स के आधार पर. ज्योति अपनी बहन और जीजा के साथ रहती थी. उसकी बहन ने ही उसके गुम होने की शिकायत थाणे में लिखवाई थी. उज्जवल निकम ने कोर्ट प्रोसीडिंग्स में बताया कि रेप करने के बाद ज्योति की नसें काट दी थीं उन लोगों ने. तेज धार वाले हथियार से उस पर वार किए. फिर उसी के दुपट्टे से उसका गला घोंट डाला. उसका मोबाइल और सिम कार्ड अपने पास छिपाकर रखा.

पुणे के उस समय के कमिश्नर जयंत उमरनिकर ने कहा कि ये कंपनी की सिक्योरिटी की दिक्कत थी कि ज्योति के साथ ये घटना हुई. पुरुषोत्तम और प्रदीप, दोनों ने पुलिस के सामने क़ुबूल किया कि अपराध करते समय दोनों नशे में थे. तालेगांव दाभाडे की पुलिस ने कन्फर्म किया कि जांच में रेप की पुष्टि हुई थी.

murder-3-750x500_073019033037.jpgसांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे

ट्रायल हुआ, और दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई. पुणे सेशंस कोर्ट द्वारा. मामला हाई कोर्ट में गया. वहां मुंबई हाई कोर्ट ने भी इनकी फांसी की सज़ा बरकरार रखी. जस्टिस वी एम कनाडे और पी डी कोड़े ने कहा था कि ऐसे मामलों का समाज पर गहरा असर पड़ता है. 2007 के मामले में पुणे सेशंस कोर्ट ने 2012 में फैसला सुनाया. सितम्बर 2012 में हाई कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकी फांसी की सजा बनाए रखी. अप्रैल 2016 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इनकी दया याचिका खारिज कर दी. उसके बाद उन्हें तुरंत फांसी दी जानी थी. लेकिन नहीं हुई. दस अप्रैल 2019 को पुणे सेशंस कोर्ट ने इनकी फांसी की सजा की तारीख 24 जून की तय की. लेकिन इनको कानूनी मदद मिली और 24 जून की इनकी फांसी पर रोक लग गई.

अब चूंकि समय पर फांसी नहीं हुई, तो मुंबई हाई कोर्ट ने इन दोनों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है. सिर्फ देरी की वजह से फांसी रद्द होने से इस मामले मे कई सारे सवाल उठे हैं. आजतक ने इस मामले में ज्योति के परिवार वालों से और इस मामले के पहले जांच अधिकारी से बातचीत की. ज्योति की बड़ी बहन और उसके जीजाजी का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले से उन्हें बहुत दुख हुआ है. अगर डेथ वारंट निकालने में देरी हुई है इस आधार पर और देरी होने के कारण अगर दोनों दोषियों को मानसिक पीड़ा हुई है तो इसमें ज्योति और उसके परिवार की क्या गलती. परिवार वालों ने सवाल खड़े किए है कि क्या इन दोनों दोषियों की मानसिक पीड़ा , ज्योति कुमारी पर किए गए अत्याचार और हत्या से कम है? परिवारवालों ने अब महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री से गुहार लगाई है कि उन्हें हस्तक्षेप कर इस मामले को सर्वोच्च अदालत तक ले जाना  चाहिए अन्यथा वे खुद इस मामले को ऊपरी अदालत में ले जाएंगे. वहीं इस मामले के पहले जांच अधिकारी शेषराव सूर्यवंशी ने आजतक इंडिया टुडे को बताया कि ऐसे दोषियों को फांसी नही देने से समाज के सामने गलत मिसाल कायम होती है. इस तरह अगर सब सजा से बचने लगे तो अन्य दोषियों की हिम्मत और बढ़ेगी. मुख्मंत्री देवेन्द्र फडणवीस तक बात पहुंचाने की बात कही जा रही है.

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