एक हिजड़े की आपबीती, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं: भाग 2

क्या किन्नरों के अंतिम संस्कार के समय उनको पीटते हुए ले जाया जाता है?

शिप्रा किरण शिप्रा किरण
अगस्त 27, 2018
काश कोई एक इंसान तो ऐसा होता जो मुझे समझ सकता, जो मेरे दर्द को बांट सकता. (फ़ोटो क्रेडिट- getty images)

जब तक बचपन था तो मैं तब तक सामान्य बच्चों की तरह ही थी, मैं लड़की या लड़का सभी के साथ खेल सकती थी, लेकिन जैसे ही मैं बड़ी होती गई तो ना तो लड़के मेरे साथ खेलना पसंद करते थे और न ही लड़की. लड़कों में खड़ी होती तो लड़के मजाक उड़ाते और लड़कियों में खड़ी होती तो लड़कियां. तो थोड़ा अजीब लगता था और अकेलापन भी महसूस होता था और परिवार में भी मुझे न तो लड़कों वाले अधिकार थे और न ही लड़कियों वाले. मुझे मेकअप करना और तैयार होकर रहना पसंद था जबकि परिवार मुझे लड़का बनाने पर तुला हुआ था. तो मैं कई बार सोचती कि मेरी सोच तो लड़कियों वाली, हाव-भाव भी लड़कियों वाले हैं तो ये सब मुझे क्यों लड़कों की तरह रहने पर मजबूर करते हैं, जबकि मैं खुद को पूरी तरह लड़की समझती थी. मुझे लड़कों की तरह रहना बिलकुल पसंद नहीं था, जिसके कारण मेरी कई बार परिवार के सदस्यों द्वारा पिटाई भी की गई. जिसकी वजह से मैं बचपन से ही मानसिक तौर पर परेशान रहने लगी और मैं सोचती थी कि मुझ में कुछ तो अलग है दूसरे बच्चों से. कई बार बच्चे मेरा मजाक भी उड़ाते थे. तो बहुत कुछ हुआ छोटी-सी उम्र में ही जिसके कारण मुझे बहुत पहले ही एहसास हो गया था कि मैं दूसरे बच्चों से बहुत अलग हूं.

बांग्ला फिल्म 'कॉमन जेंडर' का एक सीन. (फ़ोटो क्रेडिट- you tube) बांग्ला फिल्म 'कॉमन जेंडर' का एक सीन. (फ़ोटो क्रेडिट- you tube)

ये धारणा आम लोगों द्वारा बनाई हुई है, ये सिर्फ एक अफवाह मात्रा है कि किन्नर का जनाजा या अन्तिम संस्कार के लिए ले जाते हैं तो उसको मारते हुए ले जाते हैं. किसी किन्नर की मृत्यु या इंतकाल होने पर उसको उसके परिवार और रिश्तेदारों की मौजूदगी में दफनाया जाता है या अंतिम संस्कार किया जाता है, किसी किन्नर की मृत्यु होने पर उसके परिवारजनों जैसे कि मां-बाप, भाई-बहन सबको बुलाया जाता है, भला कोई परिवार वाला अपने किसी अपने के साथ ऐसा करने देगा क्या? जहां किसी किन्नर का डेरा होता है, वहां भी उसके चाहने वाले या शुभचिंतक होते है, भला कोई अपने किसी चाहने वाले के साथ ऐसा करने देगा क्या? ये आम लोगों द्वारा बनाई हुई एक अफवाह मात्रा है, सिर्फ एक धारणा है.

 एक दिन अचानक से उसके सपने में एक देवी आई और कहने लगी कि उदास मत हो और जाओ फलां जगह पर किन्नरों का डेरा है.((फ़ोटो क्रेडिट- getty images)   एक दिन अचानक से उसके सपने में एक देवी आई और कहने लगी कि उदास मत हो और जाओ फलां जगह पर किन्नरों का डेरा है.((फ़ोटो क्रेडिट- getty images)

किन्नर एक साधू-संत और फकीर होता है तो इसलिए उसको भी दूसरे साधू संतों की तरह ही बहुत ही सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाती है, जो किन्नरों के डेरों से दूर रहते है ये सिर्फ उनकी सोच और सुनी-सुनाई बात है, बाकि जो किन्नरों के डेरों के आस-पास रहते है वो तो कई बार किन्नरों कि अंतिम विदाई में शामिल हो चुके होते है तो उनके मन में ऐसी कोई धारणा नहीं होती है क्योंकि वो सबकुछ अपनी आंखों से देख चुके होते है. इसलिए ऐसा कुछ नहीं है.

माता बहुचरा हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक है और देवी-देवता या किसी भी पैगम्बर की इन्सान के पास प्रमुख जानकारी नहीं होती, वो सिर्फ उनके के बारे में उतना ही बता सकते हैं जितना उन्होंने पढ़ा या सुना होता है. माता बहुचरा जी तकरीबन सारे भारत में पूजी जाती है और इन्हें खासतौर पर किन्नर समाज से जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि ये किन्नर समाज की इष्टदेवी मानी जाती है और किन्नर चाहे किसी भी जाति या धर्म से ही क्यों न हो, वो मां  बहुचरा जी की पूजा उपासना करता ही है, मां बहुचरा जी का प्रमुख मन्दिर गुजरात के संथोल में है और ये गुजरात की प्रमुख कुलदेवियों में से एक है, कहते है कि किसी राजा के घर एक संतान थी, वो बचपन में तो सामान्य बच्चों की तरह ही थी और देखने में बिल्कुल लड़की की तरह ही लगती थी.

लेकिन जैसे -जैसे वो जवान होती गई तो उसकी आवाज़ लड़कों की तरह भारी होती गई और उसके चेहरे पर किसी भी सामान्य लड़कों की तरह ही बाल उगने शुरू हो गए. वो शक्लो-सूरत, चाल-ढाल और कुदरती तौर पर शारीरिक रूप से तो लड़की प्रतीत होती थी, लेकिन चेहरे पर उग चुके अनचाहे बालों और आवाज से लड़का लगती थी, राजा उसको राजमहल से बहुत ही कम बाहर निकलते देते थे, उस पर तरह-तरह की पाबंदियां थी, क्योंकि उसको देखकर राज्य के लोग तरह-तरह की बातें करते थे. राजा के कई बड़े-बड़े वैद्य-हकीमों को बुलाया और अंततः पता लगा कि राजा की इकलौती संतान न तो लड़का थी और न ही लड़की.

किसी किन्नर की मृत्यु होने पर उसके परिवारजनों जैसे कि मां-बाप, भाई-बहन सबको बुलाया जाता है. (फ़ोटो क्रेडिट- getty images)  किसी किन्नर की मृत्यु होने पर उसके परिवारजनों जैसे कि मां-बाप, भाई-बहन सबको बुलाया जाता है. (फ़ोटो क्रेडिट- getty images)

इस बात को जानकर राजा और रानी बहुत उदास हुए और अपनी फूटी किस्मत को कोसने लगने, ये सब देखकर राजा की उस इकलौती संतान को बहुत दुःख हुआ और मन ही मन रोज भगवान को और अपनी फूटी किस्मत को कोसती, एक दिन अचानक से उसके सपने में एक देवी आई और कहने लगी कि उदास मत हो और जाओ फलां जगह पर किन्नरों का डेरा है और वहां एक तालाब है.

मुझे मेकअप करना और तैयार होकर रहना पसंद था.(फ़ोटो क्रेडिट- getty images)   मुझे मेकअप करना और तैयार होकर रहना पसंद था.(फ़ोटो क्रेडिट- getty images)

अगर तुम उसमें स्नान करोगे तो तुम्हें जो दुख है वो मिट जायेगा, कहते है राजा की उस पुत्राी या पुत्र ने वहां जाने का फैसला किया और पहुंच गया वो उसी जगह पर जो उसे सपने में उस देवी ने बताई थी और वो क्या देखता है कि वहां किन्नर नाच-गा रहे है और किसी देवी की उपासना कर रहे है, तभी उसके सामने से एक कुतिया भागती हुई गई और तालाब में घुस गई और जब वो बाहर निकली तो मानो उसका दूसरा जन्म हुआ हो, क्योंकि वो अब कुतियां नहीं बल्कि एक कुत्ता थी, उसको बहुत हैरानी हुई और अंततः उसने भी तालाब में स्नान किया और जब वो स्नान करके तालाब से बाहर निकला तो वो मां बहुचरा की कृपा से किन्नर योनि से मुक्त हो, पूर्णतः एक राजकुमार बन चुका था.


ये कहानी किन्नर मनीषा महंत के एक इंटरव्यू का हिस्सा है. ये इंटरव्यू फ़िरोज़ खान ने लिया है. उनकी अनुमति से हम इसके कुछ हिस्से यहां प्रकाशित कर रहे हैं. इसका पहला भाग आप नीचे दिए हुए लिंक को क्लिक कर पढ़ सकती हैं.

एक हिजड़े की आपबीती, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं: भाग 1

 

लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे      

Copyright © 2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today. India Today Group