बॉस फोन पर यौन शोषण करता था, सबूत के लिए रिकॉर्डिंग की तो कोर्ट ने महिला को ही जेल भेज दिया

महिला का सेक्सुअल हैरेसमेंट करने वाला आदमी स्कूल का प्रिंसिपल था.

उमा मिश्रा उमा मिश्रा
जुलाई 06, 2019
नुरिल, जिन्होंने अपनी बॉस की सच्चाई सामने लाने के लिए फोन कॉल की रिकर्डिंग की और उन्हें ही जेल हो गई. फोटो कर्टसी: एक वीडियो का स्क्रीनशॉट.

'करे कोई और भरे कोई' इस कहावत को हर कोई जानता और समझता होगा. कुछ ऐसा ही हुआ नुरिल के साथ. इंडोनेशिया के लाबुआपी में एक फोन कॉल रिकॉर्ड करने, और उसे सर्कुलेट करने के मामले में नुरिल को छह महीने की जेल हो गई. जबकि नुरिल के मुताबिक, गलती उसके बॉस की थी. उनकी नहीं. उसका बॉस फोन पर उसका यौन शोषण करता था. वो उससे परेशान थी और इसलिए उन्होंने ऐसा किया था.

पूरी बात जानिए-

इंडोनेशिया में एक जगह है लाबुआपी. वहां पर नुरिल मकनुन एक स्कूल में बुककीपर का काम करती हैं. नुरिल की उम्र 41 साल है. वो तीन बच्चों की मां हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 2013 में लोम्बोक के एक हाईस्कूल में पार्ट टाइम बुककीपर के तौर पर काम करना शुरू किया. सब सही चल रहा था. पर उनकी मुश्किल तब बढ़ गई, जब उस एक आदमी ने बतौर प्रिंसिपल उस स्कूल में जॉइन किया. जहां पर नुरिल काम करती थीं.

उस आदमी ने, जो नुरिल का अब बॉस था, उसने आते ही अफवाह फैलानी शुरू कर दी. ये कि उसका और नुरिल का अफेयर चल रहा है. इसी अफवाह को गलत साबित करने के लिए नुरिल ने फोन पर अपने बॉस को उकसाना शुरू किया, जिससे वो उनकी बातों को रिकॉर्ड कर सके. उन्होंने एक कॉल रिकॉर्ड भी की. उस रिकॉर्डिंग को अपने पति और स्कूल के टीचर्स को भी सुनाया.

750x500_070619040435.jpgनुरिल, जिन्हें 6 महीने की सजा और 35 हजार डॉलर का जुर्माना हुआ है. फोटो कर्टसी: इंडियन एक्सप्रेस.

अब इस रिकॉर्डिंग के बारे में उसके बॉस को भी मालूम पड़ गया. उसने पुलिस में नुरिल के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया. पुलिस ने जांच की और नुरिल को एक महीने की जेल हो गई. एक महीने की सजा के बाद नुरिल को मुकदमे से बरी कर दिया गया.

बरी होने के बाद फिर सजा क्यों?

प्रॉसिक्यूटर ने मानहानि का केस रिजेक्ट कर दिया और नुरिल पर अश्लील चीजें फैलाने का आरोप लगा दिया. ट्रायल में नुरिल पूछताछ हुई और उन्होंने रिकॉर्डिंग फैलाने से साफ मना कर दिया. नुरिल ने कहा कि उनके एक साथी हैं, जिन्होंने उनकी गैरमौजूदगी में उनके फोन से रिकॉर्डिंग डाउनलोड की और लोगों में फैला दी.

पर ये बात बनी नहीं. सुप्रीम कोर्ट में मामला गया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रॉसिक्यूटर की साइड ली. और कहा कि नुरिल ने ये रिकॉर्डिंग फैलाने के लिए अपने साथी से कहा था. न कि उसके साथी ने खुद उसके फोन से डाउनलोड करके ऐसा किया था.

इस पर नुरिल के वकील जोको जुमदी ने कहा कि नुरिल माफी के लिए अगले सप्ताह अप्लाई करेंगी, पर वो राष्ट्रपति से माफी नहीं मांगेंगी, क्योंकि उन्होंने कोई क्राइम नहीं किया है. वो किसी अपराध की दोषी नहीं है. माफी मिलने से नुरिल का क्रिमिनल रिकॉर्ड भी खत्म हो जाएगा. नुरिल दोषी नहीं है. वो इस बात पर अड़े रहेंगे. भले ही नुरिल को जेल जाना पड़े. नुरिल उसके लिए भी तैयार हैं.

नुरिल पूरे मुद्दे पर क्या कहती हैं?

उनका कहना है कि वो महिलाओं की गरिमा के लिए लड़ने पर गर्व महसूस कर रही हैं. पर सवाल ये है कि उन्हें जेल क्यों भेजा गया, जबकि भद्दी बातें तो उस इंसान ने की थीं. तो फिर उसे क्यों नहीं. वो इंसान साफ-साफ कुबूल रहा है कि रिकॉर्डिंग में वो आवाज उसकी है, वो ये भी मान रहा है कि उसने ही कॉल किया है और सारी बातें भी वो ही बोल रहा है. फिर भी.

वो कोर्ट की रूलिंग से निराश हैं. कोर्ट का फैसला सरासर गलत है, नाइंसाफी है. वो एक महिला हैं और उन्हें महिला की तरह प्रोटेक्ट किया जाना चाहिए. पर वो एक पीड़ित बन गईं. जबकि लोगों को मालूम होना चाहिए जब महिलाओं को परेशान किया जाता है, तो कहीं रहने के लिए कोई जगह नहीं होती है.

नुरिल, जिन्हें 6 महीने की सजा और 35 हजार डॉलर का जुर्माना हुआ है. फोटो कर्टसी: बीबीसी.नुरिल. फोटो कर्टसी: बीबीसी.

तीन जजों के पैनल ने नुरिल को पिछले साल दोषी पाया था. हाल ही में सजा का ऐलान हुआ. नुरिल पर छह महीने की जेल और 35 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया गया. ये रकम नुरिल के परिवार के लिए बहुत ज्यादा थी. कोर्ट ने ये कहा कि अगर वो ये रकम नहीं देती है तो उन्हें तीन महीने और जेल की सजा काटनी होगी. 

वहां के राष्ट्रपति ने क्या कहा?

इस केस ने इंडोनेशिया में वर्कप्लेस पर होने वाली प्रताड़नाओं की घटना को हाईलाइट किया. राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भी अपने रनअप में कहा था कि वो नुरिल के क्षमादान पर विचार करेंगे. पर जब शुक्रवार को फैसला आया. तो राष्ट्रपति ने संवाददाताओं से कहा कि वो कोर्ट के फैसले पर कोई कमेंट नहीं करेंगे. पर नुरिल को माफी जितनी जल्दी हो, उतनी जल्दी माफी के लिए अप्लाई कर देना चाहिए, जिससे उनका ऑफिस इस मामले पर कानूनी तौर पर कुछ कर सके.

नुरिल जैसी और भी न जानें कितनी महिलाएं होंगी, जिनके पास अपनी बेगुनाही साबित करने का सबूत तो है, पर उसे सुनने और समझने वाला कोई नहीं है. कोर्ट में भी नुरिल को न्याय नहीं मिला. उन्हें बिना गलती के ही जेल की सजा सुना दी गई, जबकि उन्होंने खुद को सही साबित करने के लिए ऐसा किया. अब आपको भी कहावत समझ आ ही गई होगी, जो हमने खबर की शुरुआत में कही थी. 'करे कोई और भरे कोई'.

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