मेरी बेटी ने मुझे सिखाया कि मां-बाप भगवान नहीं होते, उनसे भी गलतियां होती हैं

मेरी तीन बेटियां हैं, लेकिन अब दो ही हैं जो मेरे करीब हैं.

हमारी सोसायटी में बच्चों को सिखाया जाता है कि मां-बाप भगवान होते हैं. उनकी हर बात सही होती है. क्योंकि भगवान से तो गलती हो ही नहीं सकती. लेकिन मैं खुद एक मां हूं, और कह सकती हूं कि मां-बाप गलत हो सकते हैं. दरअसल सोसायटी मां-बाप पर भी प्रेशर बना देती है कि वो अपने बच्चों के लिए बिल्कुल सही फैसले लें. बच्चों के लिए सबकुछ एकदम परफेक्ट हो. बच्चों को लेकर पैरेंट की गलतियां एक्सेप्टेबल नहीं होती हैं.

मेरी तीन बेटियां हैं, लेकिन अब दो ही हैं जो मेरे करीब हैं. एक गलती ने मेरी जिंदगी इतनी बदल दी. और मेरी एक बेटी को मुझसे बहुत दूर कर दिया. लेकिन उसी बेटी ने मुझे वो सब सिखा दिया जो सारी दुनिया नहीं समझा सकती थी.

12वीं के बाद मेरे लिए लड़के देखे जाने लगे थे. घरवाले सरकारी नौकरी वाला लड़का ढूंढ रहे थे. एक साल में शादी हो गई. मैं शादी के बाद खुश थी. तीन प्यारी-प्यारी बेटियों की मां बनी. मुझे लगता था कि जैसे मेरी शादी मेरे माता-पिता की मर्जी से हुई, वैसे ही मेरी बेटियों की शादी भी हमारी मर्जी से हो. मुझे यकीन था कि जैसे मेरे माता-पिता ने मेरे लिए अच्छा फैसला किया, वैसे ही हम अपनी बेटियों का भला ही सोचेंगे.. मेरी बड़ी बेटी ग्रेजुएशन कर रही थी, तब मुझे पता चला कि वो किसी को पसंद करती है. अपनी मर्जी से शादी करना चाहती थी.

1_750_052819044112.jpgतस्वीर : यूट्यूब

मैंने उसे रोका. उसकी पढ़ाई बीच में रोककर उसकी शादी करवा दी. वो मेरे फैसले से खुश नहीं थी. मैंने दुनिया वहीं तक देखी थी, जितनी मेरे मां-बाप और बाद में पति ने मुझे दिखाई थी. ऐसे में उस वक्त मैं मान रही थी कि देर-सवेर मेरी बेटी को एहसास होगा कि उसके पेरेंट्स ने उसके लिए जो फैसला किया है, वो बिल्कुल सही है.

उसने नए माहौल में एडजस्ट कर भी लिया. लेकिन तब तक मेरी दूसरी बेटी शादी के लायक हो गई थी. एक दिन उसने बताया कि वो किसी लड़के को पसंद करती है. मैंने उसके साथ भी वही किया. मैं उस पर दबाव बनाने लगी. बड़ी बेटी के उदाहरण दिए कि देखो वो कितनी खुश है. लेकिन दूसरी बेटी ने मेरा फैसला नहीं माना. वो घर छोड़कर चली गई. इतने साल हो गए उसने मुझसे बात नहीं की. हां, दूसरों से मेरा हाल जरूर जान लेती है. दूसरों से पता चलता है कि उसने जैसे-तैसे अपनी पढ़ाई पूरी की.

four-more-shots-1_750_052819044217.jpgतस्वीर : यूट्यूब

आज वो बेंगलुरु में किसी आईटी कंपनी में अच्छी नौकरी कर रही है. अपने पैरों पर खड़ी है और उस लड़के के साथ खुश है जिसे वो पसंद करती है. जब मैं अपनी दूसरी बेटी के बारे में लोगों से सुनती हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है. वहीं, मेरी बड़ी बेटी शादी के कुछ साल बाद से ही अपने पति से परेशान रहने लगी.

मैं जब उसे एडजस्ट करने या अपने पति को समझाने को कहती तो वो कभी चुप हो जाती है और कभी ताने सुना देती है कि बेहतर होता कि वो भी भाग गई होती, कम से कम खुश होती अपनी जिंदगी में. उसकी बातें सुन में गिल्ट से भर जाती हूं. और अपनी सोच पर गुस्सा भी आता है कि मेरी जिद की वजह से एक बेटी की जिंदगी बर्बाद हो गई और दूसरी मुझसे इतनी दूर हो गई कि मुझसे बात भी नहीं करती.

2_750_052819044231.jpgतस्वीर : यूट्यूब

खैर, मैंने अपनी दोनों बड़ी बेटियों के साथ जो किया सो किया. अब तीसरी बेटी के साथ गलत नहीं करूंगी. मैं कोशिश करती हूं कि अपनी छोटी बेटी को बेहतर तरीके से समझ सकूं. उसके साथ दोस्ताना व्यवहार रखती हूं. वह भी समझती है कि पिछली गलतियों को लेकर मेरे मन में गिल्ट है. वो मुझे समझाती है कि जो हुआ उसे बदल नहीं सकते हैं.

एक बार तो उसके बॉयफ्रेंड से भी मिल चुकी हूं. काश ये अहसास मुझे पहले हो जाता. मुझे गर्व है मेरी मंझली बेटी पर जिसने आंख मूंदकर मेरी बात नहीं मानी, जो चुप नहीं रही. उसने अपने लिए स्टैंड लिया और आज वो अपने पैरों पर खड़ी है. उसने मुझे भगवान का दर्जा न देकर एक मामूली इंसान ही समझा, जिससे गलतियां हो सकती हैं.

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