'तुमने सिखाया कि जब रिश्ते महसूस होने बंद हो जाएं, तो उन्हें खत्म कर देना बेहतर होता है'
तुमने कहा था कि रिश्ते इतनी आसानी से नहीं तोड़े जाते.

प्यारी अनु,
अब तुमसे महीनों बात नहीं हो पाती. सालों तक मिल नहीं पाते. कितने बिजी हो गए हैं न हम अपनी जिंदगियों में. लेकिन जब बात करते हैं, तो लगता ही नहीं कि हम दूर हैं. कॉलेज के दिन सालों पहले बीत गए हैं, लेकिन तुम्हारे साथ बातें करने पर वो तीन साल जीने का दिल करने लगता है. यूनिवर्सिटी में वो तीन साल बेस्ट टाइम था न.
हम साथ में बहुत हंसते थे. बेवजह की बातों पर भी घंटों बतियाते थे. दुनिया जहान की चीजें होती थीं, हमारी बातों का हिस्सा होती थीं. कितने फनी थे न हम.
याद है, मैंने तुमको गाड़ी पर बिठाकर पांच-छह बार गिराया था. जब हमारी गाड़ी सीएम की रैली में फंस गई थी.
तुम भूल तो नहीं गईं कि मैं हर सेमेस्टर में नोट्स बना-बनाकर तुम्हें देती थी. और तुम एग्जाम के दस मिनट पहले भी मुझे पढ़ाने लगती थी.
हम कहते थे कि इंटर्नशिप भी साथ करेंगे. एक ही कंपनी में काम करेंगे. लेकिन करियर हमें अलग शहरों में ले गया.
मैं कहती थी कि मेरा इस नए शहर में मन नहीं लग रहा, मेरे दोस्त मेरे साथ नहीं हैं, मैं नौकरी छोड़ दूंगी, तो तुम समझाती थीं कि जो हम प्लान करते हैं, जिंदगी वैसे आगे नहीं बढ़ती. मैं करियर पर फोकस करूं.
तुमने हर कदम पर, हर बात में मेरा साथ दिया. तारीफ की तो कमजोरियां बताईं.
तुमने समझाया था कि जब रिश्ते महसूस होने बंद हो जाएं, तो उन्हें खत्म कर देना बेहतर होता है. लेकिन ये भी सिखाया कि रिश्ते कैसे सहेजे जाते हैं. उन्हें टूटने से कैसे बचाया जाता है.
याद है, हम कॉलेज ट्रिप पर गए थे. मैं तुम्हारी किसी बात पर नाराज थी. हमने बात भी नहीं की. ट्रिप के आखिरी दिन हमारी बात हुई.
तुमने कहा था कि रिश्ते इतनी आसानी से नहीं तोड़े जाते. दोस्त बनाने से ज्यादा दोस्ती निभाना कठिन होता है. तुमने बताया कि रिश्तों को कैसे समझा जाता है. उन्हें कैसे निभाया जाता है. दोस्त जिंदगी में क्यों जरूरी होते हैं.
तुम्हारी वो बातें मेरी जिंदगी, मेरे रिश्तों का हिस्सा है. मैं तुम्हारी दोस्त नहीं होती तो शायद ये सब नहीं सीख पाती.
मुझे हमारी दोस्ती पर नाज़ है.
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