विदाई के वक्त लड़केवालों ने दुल्हन से जेवर दिखाने की मांग की, लड़की ने अच्छे से सबक सिखा दिया

लाइफ में कभी दहेज नहीं मांग पाएंगे.

प्रतीक और शिवांगी अग्रवाल. फोटो- स्ट्रिंगर सर्वेश पुरोहित

शादी का मंडप. दूल्हा-दुल्हन अग्नीकुंड के सामने बैठे हैं. पंडित भी मंत्र जाप करने को तैयार. मंडप के सामने खड़े हैं दूल्हा-दुल्हन के मां-बाप. दूल्हे के बाप के सिर पर बंधी पगड़ी तनकर खड़ी है. दुल्हन के बाप की पगड़ी झुकी हुई है. दूल्हे का बाप लगातार 'रेट' बढ़ाता जा रहा है. अपने बेटे का 'रेट'. पहले 50 हजार कैश मांगे, फिर उनमें 50 हजार और जोड़ दिए. फिर धीरे-धीरे और जोड़ते चले जा रहा है. लड़की का बाप हाथ जोड़े खड़ा है. उसकी आंखों में आंसू हैं. वो 'ऊंची पगड़ी वाले आदमी' को मना रहा है. लड़की अब तक सब चुपचाप सुन रही है. उसके सिर पर घूंघट डला हुआ है. फिर अचानक ही लड़की खड़ी हो जाती है. घूंघट हटाती है. लड़के के बाप की तरफ देखकर चिल्लाती है, 'निकल जाओ इस घर से. तुरंत बाहर निकलो, अभी और इस वक्त'. लड़की शादी तोड़ देती है. रोती है, चीखती है, चिल्लाती है. अपने बाप को मनाती है. कहती है कि उसे बोझ न समझे. रोते बाप को सहारा देती है. लड़केवालों को धक्के मारकर निकाला जाता है. दूल्हे के सिर का सहरा भी गिर जाता है. लोगों की लातों के बीच पड़ा रहता है. फिर सीन खत्म हो जाता है.

mahima-1-750x500_021819025056.jpgलज्जा फिल्म का एक सीन. जिसमें महिमा चौधरी शादी तोड़ देती हैं.

ये लड़की है एक्ट्रेस महिमा चौधरी. सीन है फिल्म 'लज्जा' का. खैर, ये सीन तो फिल्मी था. लेकिन ऐसी ही कहानी असल में हुई है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में. असली सीन में हैं शिवांगी अग्रवाल.

शिवांगी इंजीनियर है. एबीए भी कर रखा है. पैरामाउंट कंपनी में काम करती है. अच्छा-खासा कमा लेती है. पढ़ाई-लिखाई करने के बाद, नौकरी लगने के बाद, ज्यादातर लड़की और लड़कों की जिंदगी में जो अगली स्टेज आती है, वो होती है शादी. शिवांगी के साथ भी ऐसा ही हुआ. उसके मां-बाप ने भी उसकी शादी करने का फैसला किया. थोड़ी खोजबीन शुरू की. फिर उन्हें एक लड़का मिल गया अपनी बेटी के लिए. शादी हो गई सेट. 6 महीने बाद की तारीख निकली. 15 फरवरी 2019 के दिन थी शादी.

capture-11-750x500_021819025135.jpgशिवानी अच्छा-खासा कमाती हैं. वो बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं. फोटो- स्ट्रिंगर सर्वेश पुरोहित

शिवांगी के पैरेंट्स ने बढ़िया से तैयारी की. बेटी की शादी में किसी तरह की कोई कमी न आए, इसलिए हर छोटी से छोटी चीज़ का इंतजाम किया. 15 फरवरी के दिन ग्वालियर में शिवांगी की शादी प्रतीक से हो भी गई. लेकिन विदाई नहीं हो सकी. कारण? वही 'दहेज'. लड़केवालों ने ऐन मौके पर, दहेज की मांग रख दी. 2 लाख रुपए मांग लिए. इसके अलावा लड़केवालों ने शिवागी का सूटकेस खोलकर जेवर, साड़ी और मायकेवालों ने उसे क्या-क्या सामान दिया है, ये देखने की मांग भी रख दी. कहा कि संदूक खोलकर दिखाया जाए. फिर क्या? शिवांगी जो इतनी देर से चुप थी, उसने चुप्पी तोड़ दी. ससुराल जाने से मना कर दिया.

अब शुरुआत से जानते हैं क्या-क्या हुआ-

ये घटना है मध्य प्रदेश की. शिवांगी मध्य प्रदेश के छोटे से शहर दतिया की रहने वाली है. उसके पिता का नाम है द्वारका प्रसाद अग्रवाल. द्वारका की चार बेटियां हैं, शिवांगी उनमें सबसे छोटी है. छह महीने पहले उसकी शादी ग्वालियर के फालका बाजार के रहने वाले प्रतीक अग्रवाल से सेट हुई. प्रतीक की ग्वालियर में ही सेनेटरी शॉप है.

शादी सेट होने के बाद शिवांगी के घरवालों ने लड़केवालों को 5 लाख रुपए दिए. ताकि वो अपने घर पर लड़की के लिए सारा सामान खरीद सकें. जैसे अलमारी, पलंग, वगैरह-वगैरह. लेकिन प्रतीक के घरवालों ने ऐसा कुछ नहीं किया. पांच लाख कैश का कोई इस्तेमाल नहीं किया. किसी तरह की कोई तैयारी नई बहू के लिए प्रतीक के घर पर नहीं की गई. शिवांगी ने जब इस पर प्रतीक से सवाल किया, तब उसे जवाब मिला कि जब वो आ जाएगी, तब सामान खरीद लिया जाएगा.

dulhan-k-peeta-750x500_021819025216.jpgशिवांगी के पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल. ये भी अपनी बेटी के फैसले में उसके साथ हैं. फोटो- स्ट्रिंगर सर्वेश पुरोहित

खैर, ये बात तो हो गई, फिर आया शादी का दिन. शादी के मंडप पर प्रतीक के घरवालों ने धीरे-धीरे करके अपनी मांग बढ़ानी शुरू कर दी. शिवांगी के घरवाले इन मांगों को जैसे-तैसे पूरा भी कर रहे थे. लेकिन हद तो तब हो गई जब विदाई के समय लड़की का सूटकेस खोलकर सामान दिखाने की मांग की गई. इसके अलावा कुछ 'स्पेशल बारातियों' (वही लड़के के फुआ, चाचा, मामा जैसे लोग) को विदाई के समय लिफाफा देने की मांग भी रख दी गई. इसके अलावा एक लाख रुपए कैश भी मांग लिए. लड़कीवालों ने जैसे-तैसे मामला संभालने की कोशिश की. लड़केवालों को मनाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माने. आखिर में जब शिवांगी ने अपने पिता की आंखों में बेबसी के आंसू देखे, तो उसने ससुराल जाने से ही इनकार कर दिया. उसने सबके सामने ये बात कही कि वो ऐसे लोभियों के साथ नहीं जाएगी. शिवांगी के घरवालों ने भी उसका साथ दिया, और लड़की कि विदाई करने से मना कर दिया. मंडप में पुलिस बुलाई गई. पुलिस के आने के बाद ही विवाद शांत हुआ, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच विवाद काफी बढ़ गया था.

खैर, पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की, क्योंकि लड़कीवालों ने लड़केवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई थी. इस मामले में हमने शिवांगी के चाचा से बात की. उन्होंने बताया कि वो लोग इस विवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे, और वो नहीं चाहते थे कि किसी का भी बुरा हो. इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं करवाई. लेकिन तसल्ली की बात ये है कि शिवांगी की विदाई भी नहीं की.

shivangi-750x500_021819025322.jpgशिवांगी अग्रवाल बाकी लड़कियों से अपील करती हैं कि वो भी दहेज के खिलाफ आवाज उठाएं. और दहेज मांगने वालों के घर में शादी न करें. फोटो- स्ट्रिंगर सर्वेश पुरोहित.

शिवांगी कहती हैं,

'मेरा कोई भाई नहीं है, इसलिए मैं चाहती थी कि मेरी शादी घर के पास ही हो. इसलिए मैंने प्रतीक के शादी करने के लिए हां कहा था. लेकिन वो लोग लालची थे. उन्हें पैसे चाहिए थे. मेरे पापा ने 5 लाख कैश पहले ही दे दिया था. 3 लाख के जेवर भी बनवाए थे. लेकिन फिर भी उन्हें और पैसे चाहिए थे. वो शादी के मंडप पर अपनी डिमांड बढ़ाते गए. उन्होंने मेरा सूटकेस खोलकर देखने की मांग की. एक लाख कैश मांगा. मैं ये सब नहीं देख सकी, इसलिए मैंने शादी के लिए मना कर दिया. मेरे पापा ने मेरी शादी में कुछ नहीं तो 15 लाख रुपए खर्च किए हैं. मैंने रातभर उन लोगों का नाटक देखा. जहां दहेज की डिमांड हो रही है, मैं वहां शादी नहीं कर सकती.'

बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं शिवांगी

शिवांगी कहती हैं,

'मैं बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि कोई भी लड़की ये न सोचे कि मेरी शादी सेट हो गई है, तो अब मुझे करनी ही पड़ेगी. और ऐसा सोचते हुए लड़केवालों की सारी डिमांड पूरी करते जाएं. ये सही नहीं है. आज उन लोगों ने सूटकेस खोलकर देखने की मांग की. कल जाकर कुछ और मांग कर सकते हैं. अभी भी वो कह रहे थे कि हमें शादी के बाद कार चाहिए. और तुम जब जॉब करके आओगी तो पैसे मेरी मम्मी को दोगी'.

शिवांगी ने सही फैसला किया. हम आए दिन ऐसी कई खबरें सुनते और पढ़ते हैं. जिनमें ये पता चलता है कि लड़की ने दहेज की मांग से तंग आकर सुसाइड कर लिया. या उसे मार दिया गया. लेकिन ये सारी लड़कियां जो आए दिन मरती हैं, वो जिंदा रह सकती हैं. उन्हें भी केवल हिम्मत की जरूरत है. वैसी हिम्मत की जरूरत है जैसी शिवांगी के पास है.

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