गुलज़ार और विशाल भारद्वाज ने मिलकर एक ऐड बनाया है जो आपकी आंखों में आंसू ला देगा

ये ख़ुशी और उम्मीद वाले आंसू होंगे

कोई अटका हुआ है पल शायद

वक़्त में पड़ गया है बल शायद

गुलज़ार को पढ़ना इन पंक्तियों को जीना है. उनको सुनना मानो इन्हीं पंक्तियों में खुद को ढूंढ लेना. इसीलिए तो जब वो लिखते हैं तो लोग रुक कर पढ़ते हैं. जब उनका कहना शुरू होता है, ज़बानें खुद को पीछे खींच लेती हैं. शब्दों का जादू बिखरता है, और सन्नाटा उसे जगह देते हुए खुद को एक कोने में समेट लेता है.

एक ऐड है. गूगल पे का. अभी कुछ घंटे पहले आया है. रोज हजारों ऐड आते हैं. इसमें क्या ख़ास है?

क्योंकि ये ऐड जैसा लगता नहीं है. गुलज़ार ने इसे लिखा है और इसे आवाज़ दी है. डिरेक्शन है विशाल भारद्वाज का. इस विज्ञापन में दिखाया है कि किस तरह छोटी-छोटी कीमतें बड़ा भविष्य बना देती हैं.

पहले ऐड देख लीजिए:

इस विज्ञापन में दिखाए गए लोग हमारे और आपके जैसे बैकग्राउंड से आते हैं. कोई शोशेबाजी नहीं है. एक लड़की, जो गांव की सूरत बदलने को कमर कसे है. एक लड़की का सफ़र, जो उसने पंचायत प्रधान का फॉर्म भरने से शुरू किया. छवि राजावत की कहानी मीडिया में नई नहीं है. सबसे कम उम्र की महिला सरपंच रह चुकी हैं. उनके ऊपर पहले भी बात की जा चुकी है. लेकिन ये वाला एंगल बेहद अलग और खूबसूरत है. कुछ ही क्षणों में बहुत कुछ कह दिया गया है.

ad-2-chhavi_081719125813.jpgतस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट

सतेंदर सिंह. दो साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई. जब पता चला कि ब्रेल की मदद से पढ़ाई-लिखाई कर सकते हैं, तब से उनकी दुनिया बदल गई. 9 साल की उम्र में दिल्ली आए. स्कूल की पढ़ाई खत्म करके डीयू आ गए. सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्र रहे. फिर जेएनयू भी गए. कॉमनवेल्थ स्कालरशिप मिली थी, लेकिन यही रहना मंज़ूर किया. अब IAS हैं. इंटरनेट कैफे में बैठकर UPSC का फॉर्म निकलवाते समय जो पैसे उन्होंने दिए, उसकी कीमत उनके लिए आज सैकड़ों रुपयों से परे है. जिसने उनकी जिंदगी बदल दी.

ad-3-satender_081719125834.jpgतस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट

पूर्णा मालावत की कहानी. एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की. जिसने रॉक क्लाइम्बिंग सीखने के लिए पहले जूते भी अपनी पॉकेटमनी जोड़कर खरीदे. साथ ही रसीद के पीछे उम्मीद का एक टुकड़ा संजो लिया. एक दिन, इतिहास रच दिया.

ad-4-poorna_081719125859.jpgतस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट

कोच रमाकांत आचरेकर की कहानी. जिन्होंने देश को, नहीं-नहीं, दुनिया को सचिन दिया. जिनका विकेट पर रखा एक रुपया एक लेजेंड को बनाने की फीस से कहीं बढ़कर हुआ. और किवदंती बनने की राह पर चल पड़ा.

ad-5-achrekar_081719125916.jpgतस्वीर: यूट्यूब स्क्रीनशॉट

एक खूबसूरत एड. एक खूबसूरत कहानी. जिसके भीतर कई कहानियां. देखने के बाद गुलज़ार का ही लिखा हुआ ध्यान आता है:

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था

आज की दास्तां हमारी है

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देखें वीडियो:

 

 

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