सायनाइड मल्लिका: मंदिर के बाहर से बेऔलाद, लाचार औरतों को फुसलाकर उनका क़त्ल करने वाली सीरियल किलर
जो मंदिरों में अपना शिकार खोजती थी, फिर तड़पाकर मार देती थी.
सामान्य सी दिखने वाली एक महिला. मंदिरों में पूजा-पाठ करने वाली. वह मंदिरों में लोगों से सुखदुख की बातें करती. औरतों की परेशानियां सुनती. एक गुप्त पूजा के जरिये उनके दुख-दर्द मिटाने का दावा करती. वो खास पूजा अक्सर सुनसान जगह पर रखी जाती थी, जहां से साइनाइड मल्लिका की शिकार बनी कोई भी औरत जिंदा वापस नहीं लौट पाई.
आप पढ़ रहे हैं ऑडनारी की स्पेशल सीरीज- सीरियल किलर. इसमें हम देश और दुनिया की उन महिला सीरियल किलर के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अलग-अलग तरीकों कई हत्याएं की. कुछ मर्डर लालच में और कुछ सिर्फ फितूर में किए गए. आखिर में ये औरतें गिरफ्तार हुईं और सजा भी मिली. आज इस सीरीज में तीसरी कहानी है साइनाइड मल्लिका की. जिसने पैसों की लालच में सभी हदें पार कर दीं.
कौन थी साइनाइड मल्लिका
साइनाइड मल्लिका का असली नाम के.डी. केमपम्मा था. औरतों को साइनाइड खिलाकर मारने के तरीके और मल्लिका बनने की हसरत की वजह से उसे ये नाम मिला. उसकी एकदम शुरूआती जिंदगी के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि वह गरीब परिवार में पैदा हुई थी. छोटी उम्र में शादी हो गई और पति के पास बेंगलुरु आ गई. पति देवराज कपड़े सिलने का काम करता था. दुकान पर कपड़े सिलता था. उसके दो बेटी और एक बेटा था. जिंदगी औसत चल रही थी. लेकिन मल्लिका कुछ बड़ा करना चाहती थी. साधारण सी जिंदगी से निकलकर एक बेहतर लाइफ स्टाइल हासिल करने के लिए. यहीं से शुरू हुआ के.डी. केमपम्मा का साइनाइड मल्लिका बनने का सफर.
'साइनाइड मल्लिका' नाम से एक कन्नड़ फिल्म फिल्म बनाई गई है, जो इस साल के आखिर तक रिलीज हो सकती है. (तस्वीर: फिल्म के टीजर से)
अमीर बनने की हसरत
मल्लिका ने इन हत्याओं से पहले रातोंरात अमीर बनने के लिए कई और तरीके अपनाए. एक चिट-फंड कंपनी डाली. लेकिन बहुत कम समय में ही फेल हो गई थी. जिसके बाद उसने अपना परिवार छोड़ दिया था. लोगों के घरों में या जूलर के यहां काम करने जैसी छोटी-मोटी नौकरियां की. लेकिन अमीरी का ख्वाब पूरा होता नहीं दिखा. शायद ये ही वो समय था, जब उसे लगा कि क्राइम दौलत पाने का बेहतर रास्ता है.
सुनार की दुकान पर काम करते हुए ही मल्लिका अमीर महिलाओं से बातें ध्यान से सुनती. ताकि उनकी फिक्र और परेशानियां जान सके. दुकान में गहने साफ करने के लिए साइनाइड का इस्तेमाल होता था. मल्लिका को यहां वो चीज भी मिल गई थी, जिसके सहारे वो कई बेकसूर जानें लेने वाली थी.
कैसे खोजती थी शिकार
वह अक्सर मंदिर के आसपास नजर आती थी. एक दिन मंदिर में एक शादीशुदा औरत ममता से उसकी मुलाकात हुई. ममता ने बताया कि उसे बच्चा नहीं है., इसलिए वह रोज मंदिर आकर पाठ करती है. मल्लिका ने उससे कहा कि वह एक गुप्त पूजा के बारे में जानती है, जिसे करने पर उसे 9 महीने के अंदर बच्चा हो जाएगा. लेकिन गुप्त पूजा एक सुनसान जगह पर होगी. इसके लिए उसे तैयार होकर, गहने वगैरह पहनकर आना होगा. वहां उन दोनों के अलावा कोई तीसरा इंसान नहीं होगा.
19 अक्टूबर 1999 का दिन था. होसकोट मंदिर से कुछ दूर एक सुनसान जगह पर पूजा रखी गई. वहां पहले से यहां पूजा की कुछ तैयारी थी. पूजा शुरू हुई. कुछ मंत्र पढ़ने के बाद मल्लिका ने ममता से आंखें बंद कर भगवान का ध्यान करने के लिए कहा. बीच-बीच में वह ममता को गंगाजल के नाम पर कुछ पीने के लिए दे रही थी. फिर उसने ममता को अपने हाथों से प्रसाद खिलाने की बात कही. उसने ममता को प्रसाद के साथ साइनाइड का कैप्सूल खिला दिया. कुछ ही मिनटों में ममता की मौत हो गई.
मल्लिका ने कैश और जूलरी समेटी और वहां से फरार हो गई. 1999 से 2007 के बीच उसने इसी तरीके से कई महिलाओं को शिकार बनाया. वह अक्सर मंदिर के आसपास ही होती थी. उसका टारगेट ऐसी महिलाएं होती थीं, जो बेऔलाद थीं, पारिवारिक कलह से परेशान थीं, या बहुत ज्यादा धार्मिक थीं.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर : तस्वीर, Frontline
सुबूत बने लूटे गए गहने
साल 2007 आ गया. दो महीनों में लगातार दो औरतों की लाश मंदिर के पास सूनसान जगह पर मिली. लाशों से गहने और कीमती चीज़ें गायब थीं. हत्या का तरीका भी वैसा ही. पुलिस तफ्तीश शुरू हुई. शक की सुई मल्लिका पर आ टिकी. उसे बेंगलुरू के एक बस अड्डे से गिरफ्तार किया गया. उसके पास से काफी गहने बरामद हुए.
पूछताछ के बाद मल्लिका ने पूजा के बहाने कत्ल की बात कुबूल ली. मल्लिका ने कितनी जानें ली, इसका कोई सीधा सुबूत नहीं मिल सका. कुछ लोग कहते हैं कि उसने 7 औरतों को मारा तो कइयों का मानना है कि उसके द्वारा मारी गई औरतों की संख्या इससे ज़्यादा थी. कितनी ये कभी नहीं पता चल सका.
पुलिस की गिरफ्त में साइनाइड मल्लिका यानी के.डी. केमपम्मा.
पर्याप्त सबूत नहीं मिलने की वजह से कोर्ट ने इसे 'रेयरेस्ट ऑफ़ दी रेयर' केस माना. अप्रैल, 2012 में कोर्ट ने मल्लिका को फांसी की सजा सुनाई, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया. वह बेंगलुरू की पारापन्ना अग्रहारा सेंट्रल जेल में सजा काट रही हैं.
ढेर सारी हसरतें लिए एक औरत. जिसे आम सी जिंदगी पसंद नहीं थी. जो बेशुमार दौलत पाना चाहती थी. जिसने लग्जरी जीवन के लिए अपराध को सबसे आसान रास्ता माना और इंडिया की पहली महिला सीरियल किलर बन गई.
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