दूसरी जात में शादी करने पर पिता ने बेटी-दामाद को रस्सी से बांधकर जिंदा जलाया

महाराष्ट्र के अहमदनगर का मामला है.

रुकमणी अपने पति मंगेश के साथ. तस्वीर : ऑडनारी,

महाराष्ट्र में एक जिला है अहमदनगर. यहां एक निघोज नाम का गांव है. इस गांव में एक पिता ने अपनी ही बेटी को जलाकर मार दिया. उसने अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर बेटी-दामाद को रस्सी से बांधकर जला दिया. लड़के की हालत क्रिटिकल है. दरअसल ये पूरा मामला ऑनर किलिंग का है.

लड़की ने घर से भागकर दूसरी जाति के लड़के से शादी की थी. पिता को ये मंजूर नहीं था. लड़की के पिता, मामा और मौसा ने एक मई को मिलकर लड़की और लड़के जला दिया. रविवार देर रात लड़की की मौत हो गई. लड़के की हालत नाजुक बनी हुई है. पुलिस के मुताबिक, लड़की का पिता फरार है, मामा और मौसा को चार मई को गिरफ्तार कर लिया गया है.  

पूरा मामला ये था-

19 साल की रुकमणी और 23 साल के मंगेश ने 6 महीने पहले मंदिर में शादी कर ली. रुकमणी लोहार समुदाय से है और मंगेश पासी समुदाय से. रुकमणी की फैमली इस शादी के खिलाफ थी. पर मां ने शादी अटेंड की थी. वहीं मंगेश की पूरी फैमली शादी में आई थी. शादी के बाद दोनों साथ में अच्छे से रहने लगे. पर रुकमणि की फैमली उन्हें लगातार धमकाती थी.

30 अप्रैल, 2019 को दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो गई. रुकमणि अपने मायके यानी निघोज आ गई. फिर 1 मई को मंगेश भी निघोज आ गया. वो आया तो रुकमणी को वापस लेकर जाने के लिए था, पर कुछ लोग मौके की फिराक में थे जैसे.

सब इंस्पेक्टर विजकुमार ने बताया कि रुकमणि के पिता रामा रामफल भरतिया, मामा घनश्याम सरोज और मौसा सुरेंद्र कुमार भरतिया ने घर में मंगेश और रुकमणी को रस्सी से बांधा. फिर दोनों को पीटा और बाद में मिट्टी का तेल डालकर उन्हें जला दिया. दोनों चिल्ला रहे थे, आसपास के लोगों ने आवाज सुनी तो वहां पहुंचे. आग बुझाई और दोनों को पुणे के अस्पताल में भर्ती करवाया. घटना 1 मई को दोपहर 1:30 बजे की है.

पुलिस ने चार मई को लड़की के मामा और मौसा को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी पिता फरार है. पुलिस के मुताबिक, रुकमणी 70 फीसद जल चुकी थी और मंगेश 50 फीसद. रुकमणी की रविवार यानी 5 मई को मौत हो गई. वहीं, मंगेश की हालत अभी गंभीर है.

पुलिस के मुताबिक, लड़की ने मौत से पहले बयान दिया है कि उसके पिता को उसका प्रेम विवाह मंजूर नहीं था. इसलिए उन्होंने दोनों को जला दिया है. रुकमणी के पिता मजदूरी करते हैं. मां घर पर रहती हैं, लेकिन इस घटना के बाद घर पर कोई भी नहीं है. 

ये तो रुकमणी के साथ हुआ है, ऐसी ही लड़कियों की कहानी आए दिन सुनाई पड़ती है. बच्चों की खुशी से ज्यादा लोगों को समाज और इज्जत की पड़ी होती है. लोगों की सोच आज भी कई सदी पुरानी है. लोग समय के साथ कब बदलेंगे, ये तो नहीं पता. ऐसी कितनी और लड़कियों को समाज की दकियानूसी बातों से होकर गुजरना पड़ेगा, ये भी नहीं पता. लोगों को अपनी सोच को बदलना होगा. समय के साथ चलना होगा. लड़कियों की भी भावनाओं को समझना होगा. जाति और गोत्र के चक्कर में अपने बच्चों की बलि देना कतई सही नहीं है.

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