जब-जब राखी पास आती है, मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं

लड़कियों को भी रक्षाबंधन से डर लगता है साहब

ऑडनारी ऑडनारी
अगस्त 15, 2019
लेफ्ट- ये तस्वीर टीवी सीरियल 'ये उन दिनों की बात है' का है. प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है. राइट- राखी की तस्वीर (Pixabay)

(ये ब्लॉग हमारी एक रीडर का है. उन्होंने राखी से जुड़ा हुआ एक किस्सा बताया है. वो नहीं चाहतीं कि उनकी पहचान सामने आए, इसलिए हम यहां उनका नाम नहीं लिख रहे हैं)

'कुछ-कुछ होता है' फिल्म में राहुल बोलता है, 'हम जीते एक बार हैं, मरते एक बार हैं. शादी भी एक बार होती है और प्यार भी.'

बस ये डायलॉग मेरे दिमाग में इस कदर घुस गया था, कि मुझे ये सच लगने लगा था. फिल्म आई थी साल 1998 में. उस वक्त मैं थी 6 साल की. कच्ची उम्र में ये बात पक्की तरह से दिमाग में बैठ गई थी. लेकिन आज 20 साल बाद मैं ये समझ गई कि राहुल ने जो कहा था वो सच नहीं था. क्योंकि हम एक बार नहीं बार-बार प्यार कर सकते हैं. ये बात मैं पर्सनल एक्सपीरियंस से कह रही हूं. क्योंकि मैं आज जिसके साथ हूं वो मेरी लाइफ का दूसरा प्यार है. पहले प्यार से तो ब्रेकअप हो गया था. अब इन दो प्यार के पहले भी मुझे छोटे-छोटे प्यार हुए थे, जिन्हें आप और हम 'क्रश' कहते हैं.

kuchh-kuchh-hota-hai_081419114055.png'कुछ-कुछ होता है' फिल्म का वो सीन, जहां राहुल अपनी मां के सामने वो डायलॉग बोलता है, जिसके बारे में हमने शुरू में लिखा है. 

क्रश वो होते हैं, जो किसी बकवास-सी जगह पर आपको सर्वाइव करने में मदद करते हैं. आपका मन लगाते हैं. जिन्हें देखकर आप ब्लश करने लग जाते हैं. सबसे फनी बात तो ये होती है, कि उन क्रश को ये पता ही नहीं होता है, कि वो आपके क्रश हैं. और आपकी मदद कर रहे हैं.

मेरा भी एक क्रश था. जब मैं स्कूल में थी. लेकिन उस क्रश से मेरा ऐसा ब्रेकअप हुआ, जैसा आपने किसी बॉलीवुड फिल्म में कभी नहीं देखा होगा. उस ब्रेकअप की कहानी पर तो फिल्म भी बन सकती है. तो मैं आपको बताने जा रही हूं कि मेरा क्रश कैसे क्रैश हुआ?

मैं जब 10 साल की थी, तब मम्मी-पापा ने मुझे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया था. वहां एक नियम था. हमें हर रक्षाबंधन पर अपने क्लास के किसी लड़के को राखी बांधनी पड़ती थी. मैंने 6वीं में जिस लड़के को राखी बांधी, फिर हर साल उसे ही बांधी. वो मेरा 'सरकारी भाई' बन गया. मैंने सोचा था कि मैं स्कूल से निकलने के बाद भी उसे राखी बांधूंगी. 7वीं, 8वीं, 9वीं तो हंसी-मज़ाक में निकल गई, लेकिन 10वीं में मैं क्रैश हो गई. मतलब मुझे मेरी क्लास का एक लड़का पसंद आने लगा. उससे बात करना अच्छा लगता, उसकी वजह से मेरा क्लास में मन लगने लगा. (नोट- उस लड़के को ज़रा भी अंदाजा नहीं था, कि वो बोरिंग क्लासेज में मेरे लिए एक अच्छी फिल्म जैसा है.)

rakhi-2_081419114128.pngप्रतीकात्मक तस्वीर. pixabay

वो लड़का मेरे 'सरकारी भाई' का अच्छा दोस्त था. 10वीं बीत गई. हम 11वीं में पहुंच गए. तब मुझे पता चला कि वो लड़का मेरे हाथ से छूट रहा है. क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड बन चुकी थी. मेरी ही क्लास की एक लड़की उसकी गर्लफ्रेंड थी. उस वक्त मेरा थोड़ा-थोड़ा दिल टूटा. फिर मैंने सोचा, 'क्या फर्क पड़ता है, गर्लफ्रेंड ही तो बनी है, शादी तो हुई नहीं है. आगे देख लेंगे.' (नोट- लड़के को तब भी पता नहीं था, कि मैं उसे पसंद करती हूं.)

थोड़ी जलन-थोड़े प्यार और थोड़ी बहुत पढ़ाई के बीच जैसे-तैसे 11वीं पास कर ली. 12वीं में पहुंची, तो उस लड़के के लिए मैं सपने देखने लगी. लेकिन कभी कुछ कह नहीं सकी. मैंने सोचा कि यार अभी ये सारी बातें बताकर मैं उससे दोस्ती खराब कर लूंगी. और वैसे भी उसकी तो गर्लफ्रेंड थी ही. मैंने 12वीं में बड़ा त्याग किया. उस लड़के से जानबूझकर लड़ाई कर ली, ताकि पढ़ाई में मन लगा सकूं और उसकी तरफ ध्यान न जाए. बच्चा दिमाग था, इसलिए ऐसे उल्टे-सीधे तिकड़म चलाते रहती थी.

12वीं भी निकल गई. लेकिन परंपरानुसार हर साल हमारे स्कूल में रक्षाबंधन मनता रहा. मैं हर साल अपने 'सरकारी भाई' को राखी बांधती रही. 12वीं के बाद मैंने मेरे 'सरकारी भाई' से कहा कि वो मेरे घर आ जाए रक्षाबंधन पर. वो आया. उसे देखकर मैं धक्क से रह गई. क्योंकि उसके साथ मेरा क्रश भी आया था.

मैं खुश थी कि मेरा क्रश मेरे घर आया था. मैं बस उसे देख ही रही थी कि उसी वक्त पापा बाहर आ गए. मेरे दोस्तों को देखकर बड़े खुश हुए. वैसे मेरे घर पर मेरे लड़के दोस्तों के आने से मम्मी-पापा को कभी कोई दिकक्त नहीं थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि हम सब तो भाई-बहन हैं. और फिर उस दिन तो वैसे भी रक्षाबंधन था. पापा ने राखी की थाली सजाकर मेरे हाथ में रख दी. थाली में एक नहीं बल्कि दो राखियां थीं. एक 'सरकारी भाई' के लिए थी, जो राखी बंधवाने ही आया था. और दूसरी मेरे क्रश के लिए थी. मेरे हाथ में थाली देते हुए पापा बोले, 'बड़ी दूर से आए हैं दोनों. दोनों को ही राखी बांध दे'.

rab-ne-bana-di-movie-scene_081419114155.png'रब ने बना दी जोड़ी' फिल्म का सीन. जहां डांस पार्टनर एक-दूसरे को राखी बांधते हैं. 

ये सुनकर मेरी आंखों के सामने 10वीं, 11वीं और 12वीं, तीनों क्लासेज के सपने, जो मैंने मेरे क्रश के साथ देखे थे, वो घूमने लगे. मुझे चक्कर आने लगा. लेकिन मैं क्या ही करती. मेरा क्रश तो मेरे दिल के हाल के बारे में कुछ जानता ही नहीं था. और सामने मेरे पापा खड़े थे. मुस्कुराते हुए. खैर, वो भी मेरे क्रश के सपनों के बारे में कुछ नहीं जानते थे. उन्हें मैं क्या दोष दूं.

मैंने चुपचाप राखी की थाली उठाई. पहले अपने सरकारी भाई को राखी बांधी. फिर अपने क्रश को. राखी की गांठ बांधते वक्त, मैं पूरे टाइम भगवान से एक ही बात कहती रही, 'देखो इसे तो भाई बना दिया, लेकिन अब प्लीज कोई परमानेंट वाला भेजना'. आंखों में आंसू आ गए थे. लेकिन मैंने टपकाए नहीं. और ऐसे मेरा क्रश क्रैश हो गया.

एक और बात, भगवान ने मेरी बात सुनी. परमानेंट वाला आया. लेकिन क्रैश होने वाली दुर्घटना के 8 साल बाद. सबसे हैरानी वाली बात तो ये है कि अब मैं जिसके साथ हूं, उस लड़के का नाम भी वही है, जो मेरे क्रश का नाम था.

तो दोस्तों इसलिए मैं कहती हूं कि 'कुछ कुछ होता है' में राहुल ने जो कहा था, वो सच नहीं है. कम से कम मेरे लिए तो नहीं ही है.

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