मनमोहन सिंह के बैग और जेटली के ब्रीफ़केस से किस तरह अलग है निर्मला का 'बहीखाता'?
चमड़े को क्यों कह दिया टाटा?
5 जुलाई की तारीख. देश के लिए बड़ा दिन है. क्योंकि आज बजट पेश हो रहा है. नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश कर रही हैं. वो संसद पहुंच चुकी हैं. इस बार के बजट में एक चीज़ काफी अलग रही. वो ये कि इस बार वित्त मंत्री के हाथ में ब्रीफकेस नहीं था, बल्कि बहीखाता था. यानी उनके जो दस्तावेज हैं, वो एक लाल रंग के कपड़े में लिपटे हुए थे. इसे लेकर ही निर्मला सीतारमण संसद पहुंचीं.
अब सवाल आता है कि निर्मला सीतारमण बहीखाता लेकर संसद क्यों पहुंचीं. उन्होंने ब्रीफकेस का इस्तेमाल क्यों नहीं किया. इसका जवाब चीफ इकॉनोमिक एडवाइजर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने दिया है. उन्होंने कहा है कि ये सरकार 'भारतीय परंपरा' को फॉलो कर रही है. इसलिए बजट के दस्तावेजों को ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़े में रखा गया.
उन्होंने कहा, 'ये भारतीय परंपरा में है. इससे ये पता चल रहा है कि हम पश्चिमी विचारों की गुलामी से अलग हो रहे हैं. ये बजट नहीं है, बल्कि 'बहीखाता' है.'
Chief Economic Advisor Krishnamurthy Subramanian on FM Nirmala Sitharaman keeping budget documents in four fold red cloth instead of a briefcase: It is in Indian tradition. It symbolizes our departure from slavery of Western thought. It is not a budget but a 'bahi khata'(ledger) pic.twitter.com/ZhXdmnfbvl
— ANI (@ANI) July 5, 2019
क्या होता है बहीखाता?
भारत में पहले के समय में, मुंशी या फिर जो भी लिखा-पढ़ी का काम करता था, वो अपने सारे दस्तावेज एक लाल कपड़े में बांधकर रखता था. उन दस्तावेजों में दिनभर का रिकॉर्ड होता था, चाहे वो कुछ बेचने का हो या फिर खरीदने का. एक डबल-एंट्री की किताब होती थी, उसमें ही सारे रिकॉर्ड लिखे जाते थे.
'बजट' शब्द कहां से आया?
बजट शब्द फ्रेंच शब्द 'bougette' से आया है. जिसका मतलब होता है 'लेदर बैग'.
अब हर साल ये होता आया है कि वित्त मंत्री ब्रीफकेस लेकर संसद पहुंचते हैं. और संसद के बाहर उस बैग को लेकर फोटो खिंचाते हैं. इस बार निर्मला सीतारमण ने बहीखाते को लेकर फोटो खिंचाई है.
ब्रीफकेस का चलन कैसे शुरू हुआ?
सबको पता है कि भारत कई साल तक अंग्रेजों का गुलाम था. अब ब्रिटेन में लैदर के बैग का चलन काफी ज्यादा था. वहां सरकारी कामों के लिए रेड बॉक्स का इस्तेमाल होता था. और अभी भी होता है. इस बॉक्स में सरकारी दस्तावेज रखे जाते हैं. सबसे फेमस रेड बॉक्स है बजट बॉक्स. जब ब्रिटेन में चांसलर ऑफ एक्सचेकर, यानी खजाने का चांसलर एनुअल बजट की घोषणा करता है, तब वो बजट बॉक्स में ही दस्तावेज लेकर जाता है. ये बॉक्स लाल रंग का ही होता है. इसकी बनावट ब्रीफकेस की तरह ही होती है. आप इसे पुराने स्टाइल का ब्रीफकेस कह सकते हैं.
ब्रिटेन में पहला बजट बॉक्स बना था विलियम एवर्ट ग्लैडस्टोन के लिए. 1860 के समय में. इस बैग के ऊपर लैदर का कवर लगा हुआ था. ग्लैडस्टोन 12 साल तक यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री थे. वो कई साल तक खजाने के चांसलर भी थे. अब जब उन्हें ब्रिटेन में बजट पेश करना था, तब उन्होंने बजट बॉक्स का इस्तेमाल किया. तब से ही ब्रिटेन में लाल रंग के बजट बॉक्स को इस्तेमाल करने का चलन शुरू हो गया था. इस बॉक्स को ग्लैडस्टोन बॉक्स भी कहा जाता है. साल 2011 तक ग्लैडस्टोन बॉक्स का इस्तेमाल हुआ, लेकिन जब ये टूटने की हालत में पहुंच गया, तब इसे रिटायर कर दिया गया. उसके बाद नया बजट बॉक्स बनाया गया.
ये ग्लैडस्टोन बैग है. इसका इस्तेमाल यूनाइटेड किंगडम में करीब 150 साल तक हुआ. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट
अब थोड़ा पीछे चलते हैं. और वापस इंडिया में आते हैं. भारत अंग्रेजी हुकुमत से आजाद हुआ था साल 1947 में. अब कई साल तक ब्रिटिशों की गुलामी में रहने की वजह से काफी गहरा असर भारत पर पड़ा था. तो हुआ ये कि अंग्रेजी सरकार की तरह ही भारतियों ने भी बजट बॉक्स वाला चलन अपना लिया. लेकिन ब्रीफकेस के फॉर्म में. लेकिन एक अंतर था, ब्रिटेन में एक ही ग्लैडस्टोन बॉक्स का इस्तेमाल हो रहा था, वहीं भारत में हर वित्त मंत्री हर बार अलग-अलग ब्रीफकेस का इस्तेमाल करते रहे.
इंडिया का पहला बजट आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था. साल 1947 में. आजादी के कुछ महीनों बाद. दस साल बाद टीटी कृष्णामचारी ने बजट पेश किया था. उन्होंने एक फाइल बैग की तरह दिखने वाली चीज़ में दस्तावेज रखे थे. जवाहर लाल नेहरू ने काले ब्रीफकेस में बजट रखा था. इस साल की शुरुआत में जब अंतरिम बजट पेश हुआ था, तब वित्त मंत्री पीयूष गोयल लाल रंग के ब्रीफकेस में बजट लेकर गए थे. उसके पहले पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली भूरे रंग के ब्रीफकेस में बजट लेकर गए थे.
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