दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में 'वर्जिन ट्री' पेड़ की पूजा को लेकर बवाल क्यों मचा है?

आख़िर हर साल इस पेड़ की पूजा क्यों की जाती है?

सरवत फ़ातिमा सरवत फ़ातिमा
फरवरी 15, 2019
ये ‘प्रथा’कई सालों से चल रही है. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर

हर साल दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में एडमिशन लेने के लिए देश भर से हज़ारों बच्चे आते हैं. गेट के बाहर लाइन लगाकर घंटों इंतज़ार करते हैं. हमनें भी किया था. इसी यूनिवर्सिटी में एक हिंदू कॉलेज है. बहुत फ़ेमस. आजकल यहां बवाल मचा हुआ है. वजह? एक पेड़! सवाल ये है कि भला किसी पेड़ को लेकर लोग क्यों लड़ेंगे? ये कोई ऐसा-वैसा पेड़ नहीं है. इसका नाम है ‘द वर्जिन ट्री.’ हर साल इस पेड़ की पूजा की जाती है. 14 फ़रवरी यानी वैलेंटाइन्स डे पर.

तो क्या है ये वर्जिन ट्री?

हिंदू कॉलेज में काफ़ी समय से ये प्रथा रही है. हर साल 14 फ़रवरी को इस पेड़ को सजाया जाता है. लाइट्स से नहीं. कॉन्डम से. इनमें भरा होता है पानी. साथ ही पेड़ पर एक बड़ा सा पोस्टर लगाया जाता है. एक औरत का. उसको बुलाया जाता है दमदमी माई. ये ज़्यादातर कोई एक्ट्रेस ही होती है. जैसे पिछले कुछ सालों में दमदमी माई का खिताब ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, दिशा पटानी को मिल चुका है. पूरा बॉयज़ हॉस्टल मिलकर तय करता है कि उस साल दमदमी माई किसे बनाया जाएगा. हर साल इस दिन दमदमी माई की पूजा होती है. मान्यता है कि जो भी लड़के दमदामी माई को पूजेंगे, उनको अगले छह महीने में वैसी ही गर्लफ्रेंड मिल जाएगी. और एक साल के अंदर उनको सेक्स करना नसीब होगा.

1_021519085012.jpgमान्यता है कि जो भी लड़के दमदामी माई को पूजेंगे, उनको अगले छह महीने में वैसी ही गर्लफ्रेंड मिल जाएगी.

कैसे होती है ये पूजा?

जवाब है पूरे ताम-झाम के साथ. जो भी लड़का कॉलेज फ्रेशर जीतता है, उसको बाकायदा पंडित बनाया जाता है. जनेऊ पहनाया जाता है. फिर पेड़ और दमदामी माई की आरती होती है. ज़रा आरती के बोल ख़ुद पढ़ लीजिए:

 
 
 
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1/2: PUJA NAHI KARENGE! PITRISATTA AUR BRAHMANWAD SEH LADENGE! #pinjratod For generations now, Hindu college has taken 'pride' in its apparently very important 'tradition' of Virgin Tree Puja, celebrated with much fanfare on Valentines Day, where a special 'aarati' with elaborate puja gear and condoms. The ritual is conducted by the hostel fresher dressed as a brahmin pundit in janeu, in worship of the glorified Sex Goddess 'Damdami Mai' -- a title inferred on a Bollywood actress 'chosen' by the entire boys hostel. Hundreds of men gather every year in an event charged with masculine aggression to chant the 'prayer' below to Damdami Mai whose blessings is supposed to lead them into finding a girlfriend within 6 weeks for the purpose of loosing their 'virginity'. ?? ????? ???? ???? ?? ????? ???? ????? ????? ????? - 2 ??? ?? ?? ???? ???? ???? ?? ????? ???? 36-24-36 ?? ???? ???? ???? ?? ???? ???? ???? ?? ????? ????? - 2 ?? ????? ???? ?? ?? TV ?? ??? ?? ?????? ???? ???? ?? ?????? ???? ????? ????? ????? - 2 ???? ?? ???? ???? ?? ????? ???? ????? ???? ?? ???? ?? ??? ?? ???? 6 ????? ?? ???? ?? ?????????? ???? ???? ?? ????? ???? ???? ????? ???? ?? ?? !! Year after year, voices of dissent by women students against this atrocious 'tradition' that sexualizes and objectifies women as objects of male desire and reeks of brahminical ritual practices of caste pride, has been aggressively silenced. We, women have been told to learn how to take a 'joke', we have been warned against being so 'radical', against behaving like 'feminazis', we have been shamed for being 'conservative' and not understanding the rather noble cause of AID awareness and sex positivism that this tradition apparently seeks to promote. As the voices of protest kept growing in strength over the years against this sexist practice, the male organisers of the puja in a benevolent gesture of demonstrating 'equality' decided to generously 'allow' even women to select a male actor as their very own "Love Guru" for worship. . . . #feminism #iger #instadaily #instagood #instalike #good #instagram #like #hinducollege

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ये सब होने के बाद प्रसाद बाटा जाता है. कॉन्डम में भरा पानी छिड़का जाता है. जिसपर ये पानी गिरता है माना जाता है कि उसको दमदमी माई का आशीर्वाद मिल गया है.

इस पूजा में हर साल सैकड़ों की भीड़ जमा होती है. सिर्फ़ हिंदू कॉलेज ही नहीं, डीयू के बाकी कॉलेज के बच्चे भी इस पूजा में शरीक़ होते हैं.

ये सब ख़त्म होने के बाद, कॉलेज में एक जगह सारे स्टूडेंट्स इकट्ठे होते हैं और ढोल पर नाचते हैं.

2_021519085227.jpgइस पूजा में हर साल सैकड़ों की भीड़ जमा होती है.

इस पूजा को लेकर लड़कियों का विरोध

ये प्रथा कई सालों से चल रही है. पर साल-दर-साल इसका विरोध बढ़ता जा रहा है. ख़ासतौर पर लड़कियां इसके ख़िलाफ़ है. उनका मानना है कि ये प्रथा सेक्सिस्ट है और ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देती हैं. सेक्सिस्ट इसलिए क्योंकि इस प्रथा में लड़कियों को एक सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में देखा जाता है. सारे लड़के ये पूजा इसलिए करते हैं कि उन्होंने भी कोई दिखने में सुंदर गर्लफ्रेंड मिल जाए जिसके साथ वो सेक्स कर सके. आरती के दौरान इस्तेमाल किए जा रहे शब्द भी कुछ ऐसे ही होते हैं.

‘36-24-36 तेरी काया.’

यानी लड़की का फिगर सुडौल हो, वो सुंदर हो. इतनी सुंदर कि उसके साथ लड़के सेक्स कर सकें.

हर साल पूजा की भीड़ में लड़के होते हैं. चिल्लाते, शोर मचाते, और सेक्स करने की कामना करते. लड़कियां यहां सिर्फ़ 5% ही होती हैं.

अब आते हैं ब्राह्मणवाद पर. क्योंकि डीयू में अलग-अलग धर्म के लोग पढ़ते हैं इसलिए पूजा के तरीके को ब्राह्मणवाद से भरा हुआ माना जाता है. और ऐसा नहीं है कि इस प्रथा के ख़िलाफ़ सिर्फ़ लड़कियां हैं. कुछ लड़के भी इससे ज़्यादा ख़ुश नहीं हैं.

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पिंजड़ा तोड़ विरोध करता हुआ. (फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर)

शशांक श्रीवास्तव हिंदू कॉलेज के पूर्व स्टूडेंट रह चुके हैं. वो कहते हैं:

“वर्जिन ट्री की पूजा शायद हॉस्टल में रहने वाले लड़कों ने शुरू की थी. मस्ती में. इसको हर साल सीनियर्स इसे परंपरा के नाम पर करते हैं. जूनियर्स को ये कूल लगता है. पर शायद इन लोगों को ये नहीं पता ये परंपरा के नाम पर या कर रहे हैं. हो सकता है इनका इरादा बुरा नहीं है. पर जो मेसेज ये पहुंचा रहे हैं वो गलत है.”

लड़को का क्या कहना है

जो लड़के इस पूजा में शामिल होते हैं और इसे करवाते हैं उनका कहना है कि ये सब एक मज़ाक के तौर पर किया जाता है. वो लड़कियों को सेक्स ऑब्जेक्ट नहीं समझते. कॉन्डम का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि सेक्स से रिलेटेड बीमारियों के बारे में पता चल सके. साथ ही दमदमी माई के साथ-साथ एक लड़के का पोस्टर भी लगाया जाता है. ताकि लड़कियां भी इस पूजा में शामिल हो सकें. और वो लड़के भी जिन्हें महिलाएं नहीं, पुरुष पसंद हैं.

इस प्रथा को राजनीतिक रंग में रंगा जा रहा है

एक ग्रुप है. पिंजरा तोड़ नाम का. इसमें दिल्ली के कॉलेजेज़ में पढ़ने वाली लड़कियां शामिल हैं. वो भी हैं जो पास-आउट कर चुकी हैं. ये ग्रुप इस प्रथा के ख़िलाफ़ है. इस बार हिंदू कॉलेज में बात बिगड़ भी गई. पिंजड़ा तोड़ से जुड़ी ऐसी लड़कियों ने हिन्दू कॉलेज में विरोध करने के लिए दरवाज़ा तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की.

4_021519085726.jpgविरोध की तस्वीरें. फ़ोटो कर्टसी: OddNaari

हिंदू कॉलेज के स्टूडेंट्स क्या कहते हैं

अभिषेक हिंदू कॉलेज से एमए (MA) कर हैं. वो बताते हैं:

“कॉलेज के स्टूडेंट्स बंटे हुए हैं. कुछ उसका विरोध करते हैं. कुछ इसे परंपरा मानते हैं. लोगों को आरती के शब्दों से ऑब्जेक्शन था. और जिस तरह की तस्वीर पेड़ पर लगाई जाती है, उसपर. इंटरनल कमिटी (कॉलेज का वीमेन डेवलपमेंट सेल) ने इसपर मीटिंग की. इस साल प्रभाष और सारा अली खान की तस्वीरें लगी हैं. जिसके बाद आरती के शब्द और तस्वीरें बदल दिए गए.

इसके बावजूद भी बाहर से लोग आए और एकदम से सबकुछ बंद करने को कहने लगे. ये 'प्रथा' 1953 से चल रही है. ये लोग गेट हिलाकर तोड़ना चाह रहे थे. और जब उस गेट से घुसने की इजाज़त नहीं मिली तो ये दूसरे गेट से आए और रात 10 से सुबह 4 बजे तक धरना दिया.

अगले दिन जब वर्जिन ट्री की पूजा हो रही तो पोस्टर फाड़ दिए. पुलिस भी इन्हें रोक नहीं पाई. हिंदू कॉलेज या हॉस्टल का कोई भी स्टूडेंट इनका साथ नहीं दे रहा था."

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नवीन (नाम बदल दिया गया है) हिंदू कॉलेज में पढ़ते हैं. थर्ड ईयर के छात्र हैं. वो कहते हैं:

“कॉन्डम का इस्तेमाल किसी गलत मकसद के लिए नहीं किया जाता. उल्टा जागरुकता फैलाने के लिए किया जाता है. इतने सालों से ये प्रथा चल रही है. पहले नॉर्मली मनाई जाती थी. कुछ सालों से तस्वीरें थोड़ी गलत लगने लगी थीं. पर ऐतराज़ के बाद ऐसी तस्वीरों का इस्तेमाल होना बंद हो गया. मुझे इसमें अब कोई बुराई नहीं लगती. पिंजड़ा तोड़ वाले फिर भी काफ़ी बवाल मचा रहे हैं.”

5_021519085930.jpgलड़कियां यहां सिर्फ़ 5% ही होती हैं. फ़ोटो कर्टसी: ट्विटर

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राधिका हिंदू कॉलेज में सेकंड ईयर की स्टूडेंट हैं. वो कहती हैं:

“वर्जिन ट्री की पूजा बहुत ही मर्दाना कॉन्सेप्ट है. आप एक ‘सुंदर’ दिखने वाली लड़की को देवी बनाकर पूजते हैं. ऐसी ही लड़की के साथ सेक्स करना चाहते हैं. ये कैसे सही है? लड़की का शरीर कैसा होना चाहिए, इसके ऊपर बैठकर लड़के चर्चा करते हैं. ये सेक्सिस्ट नहीं है तो क्या है. फिर वो चाहते हैं लड़कियां वैसी दिखें. वो उनके साथ सेक्स करने के सपने देखते हैं. ये लड़कियों को सेक्स ऑब्जेक्ट समझना ही तो है.”

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अमृता (नाम बदल दिया गया है) फर्स्ट इयर में हैं. कहती हैं:

“कोई भी प्रोफेसर इसमें शामिल नहीं होता. कॉलेज प्रशासन का इससे कोई लेना देना नहीं. ये स्टूडेंट्स की उपज है. कई सालों तक लड़कियों ने इसपर ऐतराज़ जताया है. पर खुलकर बात सामने नहीं आई. अब आई है तो लोग कह रहे हैं बवाल मत मचाओ. क्यों? लड़कियां अपनी बात भी सामने नहीं रख सकतीं. पिंजड़ा तोड़ से हम जुड़े नहीं है. हम इस कॉलेज के स्टूडेंट हैं और हमें इस प्रथा से दिक्कत है. ये बंद होना चाहिए.”

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