थोड़े से पैसे देकर यहां पत्नी का सुख पाइए

वो भी बिना किसी चिक-चिक के.

फिल्म लंचबॉक्स के सीन में इला (निम्रत कौर) अपने पति को खाना खिलाकर रिझाना चाहती है.

यार लड़कियों तुम लोग ज्यादा शिकायत मत किया करो. आजकल ज़माना बदल गया है. पहले हम लड़कियां सिर्फ खाना पकाया करती थीं. अब हमें नौकरी करने की छूट दे दी गई है. इसलिए अब हम नौकरी करने के साथ खाना पकाया करती हैं. याद रखिए, आप लड़की हैं तो खाना बनाना आपके जीवन से कभी माइनस नहीं हो सकता. आपका पति किसी जगह कुक या हलवाई हो, तो भी नहीं. क्योंकि ये पति के दिल में घुसने का सबसे अच्छा तरीका है.

मगर अब सचेत हो जाइए. आपके पति को दूसरी पत्नी मिल गई है. क्योंकि आपकी सौत बाज़ार में उतर आई है. उसका नाम है 'दूसरी पत्नी'. यकीन न हो तो इस रेस्टोरेंट को देखिए. ये है 'सेकंड वाइफ रेस्टोरेंट'. इस नाम के रेस्टोरेंट तमाम शहरों में हैं. बेंगुलुरु, मुंबई, नोएडा, इलाहबाद. आपके यहां भी हो शायद. 

खाना ऑर्डर करने वाली एक ऐप पर सबसे पहले इस जगह का नाम सुना था. खाना ऑर्डर करने वाली एक ऐप पर सबसे पहले इस जगह का नाम सुना था.

यूं ही नहीं इस रेस्टोरेंट का नाम सुनकर मेरा दिमाग फ्यूज हो रहा है. इसका ऐसा नाम इसलिए है क्योंकि यहां घर जैसा खाना मिलेगा. और चूंकि खाना घर जैसा होगा, जाहिर है उसे पत्नी ने बनाया होगा. लेकिन पत्नी तो घर पर है. इसलिए ये दूसरी पत्नी है.

मैं निशब्द हूं ये नाम रखने वाले की क्रिएटिविटी पर. क्योंकि नाम रखने वाले (या वाली) ने ये सोच रखा है कि हर घर में खाना पत्नी ही बनाती है. सिर्फ ये सोचना काफी नहीं है. इनका पूरा भरोसा है कि खाना बनाना पत्नी का ही काम है. इसलिए रेस्टोरेंट को दूसरी पत्नी पुकारा जा सकता है.

गूगल करने पर मालूम पड़ा कि देश भर में इस नाम के कई रेस्टोरेंट हैं. गूगल करने पर मालूम पड़ा कि देश भर में इस नाम के कई रेस्टोरेंट हैं.

पत्नी का रोल बड़ा ही लिमिटेड है. हालांकि पत्नी और भी बहुत काम करती है. जैसे बच्चों को पढ़ाना, नौकरी करना. कई पत्नियां गायिकाएं होती हैं, कई लेखिकाएं होती हैं. कुछ पत्नियां फ़ौज में होती हैं, कुछ टैक्सी चलाती हैं, कुछ क्लब में बाउंसर होती हैं. कई पत्नियां दूसरों के घर बर्तन मांजती हैं, कई डॉक्टर होती हैं. सबसे बड़ी बात ये कि पत्नियां सिर्फ पत्नियां नहीं होतीं, वो औरतें होती हैं और जरूरी नहीं कि उन्हें हर बार उनके पति से जोड़कर देखा जाए. कमाल की बात ये है कि जब उन्हें उनके पति से जोड़कर देखा जाता है, परिवार में उनकी भूमिका खाना बनाने तक सीमित रह जाती है, चाहे हो उससे इतर कोई आर्टिस्ट हों या फौजी.

ये रेस्टोरेंट बड़ी सहजता से ये मानकर चल रहा है कि यहां पुरुष ही खाने आएंगे. पुरुष ही बिल भरेंगे. ऐसा नहीं कि महिलाएं यहां खाने नहीं आती होंगी. मगर जब इस रेस्टोरेंट का नाम रखा गया, औरतों को कस्टमर की भूमिका से बाहर कर दिया गया. उनका कम खाना बनाना है, खाना नहीं. बैठकर सोचिए, आपकी मां ने कब सिर्फ और सिर्फ अपने लिए कोई खाने की चीज बनाई थी क्योंकि उन्हें कोई व्यंजन विशेष खाने की इच्छा थी.

ये रेस्टोरेंट नहीं, पुरुषवाद की बीमारी है. ये रेस्टोरेंट नहीं, पुरुषवाद की बीमारी है.

खाना बनाने में कोई बुराई नहीं है, दोस्तों. बुराई है इस सोच में कि खाना बनाना सिर्फ औरतों को काम है और खाना सिर्फ पुरुष का. कमाल की बात ये है कि ये उसी समाज का आईना है जिसमें आधे से ज्यादा औरतें एनीमिया से पीड़ित हैं क्योंकि वे केवल अंत में बचा हुआ खाना खाकर जीवित हैं. तब, जब दही, सलाद, और दाल जैसी पौष्टिक चीजें घर के बच्चे और पुरुष खाकर ख़त्म कर चुके होते हैं.

प्यारे पड़ोसी पाकिस्तान में भी है. प्यारे पड़ोसी पाकिस्तान में भी है.

इससे भी ज्यादा बुराई इस सोच में है कि खरीदने-बेचने की इकॉनमी में औरतें दिखती नहीं हैं. ये अज्यूम किया जाता है कि ग्राहक हर बार, बार-बार पुरुष होगा. मैंने देखा है कि हर रेस्टोरेंट और बार में हमेशा बड़ी स्क्रीन पर क्रिकेट, फुटबॉल या अर्धनग्न लड़कियों से भरे पॉप विडियो चल रहे होते हैं. क्योंकि रेस्टोरेंट ये मानकर चलते हैं कि ज्यादातर पुरुष आएंगे और वे यही देखेंगे.

कहते हैं कि मर्द के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है. माने अगर उसको अच्छा-अच्छा खिलाते रहो तो वो तुमसे प्यार करता रहेगा. लेकिन औरत के दिल के रास्ता कहां से होकर जाता है? किसी को नहीं पता. पता हो भी तो कम से कम भाषा ने इससे जुड़ी किसी कहावत को अपने अंदर जगह नहीं दी है.

जहां पुरुषवाद पैदा हुआ, यानी इंगलैंड, वहां पर इसी नाम का रेस्टोरेंट. जहां पुरुषवाद पैदा हुआ, यानी इंगलैंड, वहां पर इसी नाम का रेस्टोरेंट.

वैसे पत्नी खाना बनाने के साथ-साथ पति की सेक्स पार्टनर भी होती है. मगर कभी वेश्यालयों को पति का दूसरा घर नहीं कहा जाता. ऐसा तो नहीं है कि शादीशुदा मर्द वेश्यालयों में नहीं जाते. मगर वेश्यालयों की बात हम नहीं करेंगे क्योंकि वहां से पति के दिल का रास्ता नहीं मिलेगा.

 

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