दीपिका राजावत: वो वकील जो रेप-हत्या की धमकी के बावजूद कठुआ की मासूम के लिए लड़ीं

जम्मू बार असोसिएशन दबाव बनाता रहा कि दीपिका इस गैंगरेप के खिलाफ़ न लड़ें.

कुसुम लता कुसुम लता
जून 10, 2019
तमाम धमकियों के बावजूद कठुआ गैंगरेप-मर्डर केस से पीछे नहीं हटीं दीपिका सिंह राजावत (फोटो- पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के चर्चित कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस में फैसला आ गया है. पठानकोट की अदालत ने 6 लोगों को दोषी करार दिया है. तीन को उम्रकैद और तीन को पांच साल की सजा सुनाई गई है.

मामले में फैसला आते ही टीवी चैनल पर एक लड़की की कंपकंपाती लेकिन चहकती सी आवाज गूंजी. ये आवाज दीपिका सिंह राजावत की थी. वह इस केस में बच्ची की वकील रह चुकी हैं. दीपिका खुश हैं कि फैसला बच्ची के पक्ष में आया है.

सजा का ऐलान होने के बाद दीपिका ने ट्वीट किया, ‘ये फैसला उसे हमारी श्रद्धांजलि है.’

 

कठुआ गैंगरेप-मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर दिया था. लेकिन ये रेप के उन चुनिंदा मामलों में से एक था जिसमें रेप आरोपियों के पक्ष में रैली निकाली गई. उस रैली में राज्य सरकार के मंत्री तक शामिल हुए थे. पुलिस की क्राइम ब्रांच चार्जशीट दाखिल करने कोर्ट पहुंची तो वकीलों ने जमकर विरोध किया. चार्जशीट की कॉपियां तक फाड़ दी गईं. आप समझ ही सकते हैं कि ये मामला राजनीतिक और सामाजिक रूप से कितना सेंसिटिव था, और इसमें शामिल लोगों का प्रभाव कितना ज्यादा था.

ऐसे में दीपिका सिंह राजावत ने जिम्मा उठाया 8 साल की मासूम को इंसाफ दिलाने का. तब जम्मू का कोई भी वकील ये केस लेने को तैयार नहीं था. दीपिका पर जम्मू बार असोसिएशन ने दबाव बनाया था कि वो केस न लड़ें. लेकिन वो डटी रहीं.

ये लड़ाई दीपिका के लिए सिर्फ कोर्टरूम तक सीमित नहीं थी. जब तक वो केस में शामिल रहीं तब तक उन्हें रेप की, जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं. उनके पति और बेटी को भी मारने की धमकियां उन्हें मिल रही थीं.

पिछले साल न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में दीपिका ने कहा था कि वह अपने घर से निकलते वक्त मेन गेट के आसपास बार-बार चेक करती हैं कि कोई है तो नहीं. दीपिका ने आशंका जताई थी कि कभी भी उनका रेप किया जा सकता है. उनकी मॉब लिंचिंग हो सकती है.

दीपिका सिंह राजावतदीपिका सिंह राजावत

फैसला आने के बाद दीपिका ने कहा, ‘इसके लिए हम सबको बधाई. ये हम सभी के लिए बड़ा दिन है.’ इसके साथ ही उन्होंने अनाउंस किया कि वह एक किताब लिख रही हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं ये शेयर करने के लिए आज के ही दिन का इंतजार कर रही थी. मैंने एक किताब लिखना शुरू कर दिया है. उस वकील के अनुभवों पर जिसने तमाम धमकियों के बावजूद कठुआ मामले को एक चुनौती के रूप में लिया.’

आइये जान लेते हैं मामला क्या था?

10 जनवरी, 2018 को किडनैप किया गया. 12 जनवरी को उसके पिता ने पुलिस में बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई. बच्ची को एक स्थानीय मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया. चार दिनों तक उसे नशे की गोलियां दी गईं. इस दौरान उसका कई बार रेप किया गया. अलग-अलग लोगों ने. इसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी. 17 जनवरी को बच्ची की लाश गांव के पास के एक जंगल में मिली थी. रेप के सबूत मिटाने के लिए हत्या के बाद आरोपियों ने बच्ची को नहलाकर उसके कपड़े भी धोए थे.

पुलिस ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले में चार्जशीट फाइल की थी. पुलिस ने मामले में 8 लोगों को आरोपी बनाया था. सांजी राम जिसने मामले इस पूरी घटना की योजना बनाई, उसका बेटा विशाल जंगोत्रा, उसका नाबालिग भतीजा, परवेश कुमार, स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तिलक राज, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और पुलिस ऑफिसर सुरेंद्र कुमार. नाबालिग आरोपी के खिलाफ अभी सुनवाई शुरू नहीं हुई है.

बच्ची के परिवार ने पिछले साल नवंबर में दीपिका को केस से अलग कर दिया था. परिवार का आरोप था कि दीपिका केस की हर सुनवाई में कोर्ट नहीं जाती हैं. लेकिन जब भी इस केस की बात होगी तब दीपिका का जिक्र जरूर आएगा. तमाम मुश्किलों के बावजूद दीपिका इस केस में बनी रहीं. लड़ती रहीं उस बच्ची को न्याय दिलाने के लिए. जब भी इस केस की बात होगी तब दीपिका का जिक्र जरूर आएगा.

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