डेट के बहाने मेरे साथ धोखा करने वाले लड़के ने जाने कितनी लड़कियों को बेवकूफ बनाया होगा

पीत्ज़ा डिलीवर करने वाली कम्पनी के एक मेल से राज़ खुला

ऑडनारी ऑडनारी
अगस्त 04, 2019

(ये ब्लॉग दिल्ली में रहने वाली 25 साल की एक लड़की का है. पहचान छिपाने के लिए हम उनका नाम ज़ाहिर नहीं कर रहे हैं.)

डेटिंग वेटिंग के मामले में दिमाग का दही हो जाता है. कभी कोई पसंद नहीं आता, कभी किसी को हम पसंद नहीं आते. कई बार ऐसे मौके भी आते हैं कि मन करता है सब छोड़-छाड़ कर निकल जाया जाए हिमालय की गुफा में.

ऐसा ही वाकया हुआ 2017 में. मेरी कुछ दोस्तों ने मुझे सजेशन दिया कि डेटिंग के लिए ऐप इस्तेमाल करके देखा जाए. क्योंकि बिज़ी शेड्यूल में समय निकालना बहुत मुश्किल होता है. नए लोगों से मिलना पॉसिबल ही नहीं होता. मैंने डाउनलोड किया. देखा तो उस पर कोई ख़ास रेस्पॉन्स था नहीं. लोग भी अजीब तरह के मैसेज कर रहे थे. मैंने सोचा डिलीट कर दूं, लेकिन तभी एक ढंग का मैसेज आया. सोचा बात करके देखते हैं.

बात की, तो लड़का काफी डीसेंट लगा. सोचा, बात कंटीन्यू करने में क्या हर्ज़ है. कुछ दिन बात हुई. उसने अपने बारे में सब कुछ बताया. घर में कौन-कौन है. मम्मी-पापा कैसे हैं. काम क्या करता है. कहां से पढ़ा-लिखा है. उसने बताया कि मिलना चाहता है. मैंने मना किया. लेकिन कुछ दिनों तक बात करने के बाद सोचा, हर्ज़ क्या है. वो अपने दोस्त के साथ मिलने आया. उससे इंट्रोड्यूस करवाया. बताया कैसे बचपन के दोस्त रह चुके हैं वो दोनों.

ricky_750_073019103110.jpgमुझे पता नहीं था कि उसका झूठ इतना जेनुइन होगा. सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर

बात होती रही. उसने बताया कि मम्मी-पापा दिल्ली में ही रहते हैं. पश्चिम विहार में. एक बड़ा भाई है. खुद चंडीगढ़ में रियल एस्टेट का काम कर रहा है. उसके साथ बात करना मुश्किल नहीं लगता था. लगा, अच्छा लड़का तो है. चांस लेना तो बनता है. जब आप किसी को पसंद करते हैं तो उसका ख्याल रखने की कोशिश करते हैं. मैंने भी वही किया. टूर पर निकलता था काम से, तो टेक्स्ट करके जाता था. घरवालों से मिलने आता था, तो मुझसे मिले बिना नहीं जाता था. ये बातें किसे नहीं भाएंगी. कई बार ऐसा होता था कि वो चंडीगढ़ के अपने घर वापस लौटता, तो उसके लिए मैं खाना ऑर्डर कर दिया करती थी. ऑनलाइन. वहां से फिर वो उसकी फोटो खींच कर भेजता. खुश होते हुए. थैंक्स कहता. लव यू कहता. उसकी बातें जेनुइन लगती थीं.

खटकता था तो बस ये कि वो सोशल मीडिया पर कहीं नहीं था. फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर, लिंक्डइन. कहीं नहीं. उससे एक बार पूछा, तो उसने कहा कि उसे ये सब चोंचलेबाजी पसंद नहीं. खामखा टाइम वेस्ट. मुझे लगा अच्छा भई. ये भी सही है.

धीरे-धीरे उसने बातें करना कम किया. पहले काम का हवाला दिया. कहा दिक्कत चल रही है. एकाध बार पैसे मांगे. मैंने भेजे. खाना तो ऑर्डर करती ही रहती थी उसके चंडीगढ़ वाले एड्रेस पर. एक बार उसने कहा आईपीएल के सट्टे में उसने पैसे गंवा दिए हैं. तकरीबन लाख से ऊपर. कहा घर पर भी दिक्कत चल रही है. उसके पापा का बिजनेस ठीक नहीं चल रहा. इस तरह की बातें उसने एकाध हफ्ते कीं. फिर एक दिन काफी ज्यादा पैसे मांग लिए. मेरे पास नहीं थे. उसने कहा, कोई बात नहीं. जब इसी तरह उसने दो-तीन बार पैसे मांगे और मैंने मना कर दिया, तो उसके कॉल्स और मैसेजेस कम होते गए. उसने कहा घर पर मम्मी की तबियत ठीक नहीं है. शायद वो बहुत क्रिटिकल हैं. मैंने उससे कहा, कोई ज़रूरत हो तो बता दे. उसने मुझसे कहा, कि उसके बड़े भाई की शादी जल्दी ही हो जाएगी. फिर उसकी कराएंगे. मैंने कहा ठीक है.

ricky-3_750_073019103229.jpgवो कहते हैं न कि अक्ल बादाम खाने से नहीं, ठोकर खाने से आती है. बस, वही हुआ. कम से कम अक्ल तो आई. अब हंसी आती है इस बात पर. सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर.

फिर एक दिन वो अचानक गायब ही हो गया. कोई कॉल नहीं, कोई मैसेज नहीं. मैंने एकाध बार पूछा. उसने हां-हूं करके टाल दिया. उसके दोस्त ने भी कहा कि उसकी बात नहीं हो रही. फिर एक दिन जब मैं ऑफिस में बैठी थी, तो मेरे पास एक ईमेल आया. 6 जून 2017 को. उस ईमेल में एड्रेस तो वही था चंडीगढ़ का जहां मैं उसके लिए खाना आर्डर करती थी. लेकिन नाम दूसरा था. ये नाम मैंने पहले कभी नहीं सुना था. मैंने उससे पूछने से पहले उस नाम को सोशल मीडिया पर सर्च किया.

ये वही आदमी था.

सारी तस्वीरें. उसी की.

मैंने उसे कंफ्रंट किया. उसने कहा, किसी ने उसकी तस्वीरों का इस्तेमाल करके फ़ेक अकाउंट बनाया है. मैंने उसे मेल वाली बात नहीं बताई. ये भी नहीं बताया कि उसके इस नम्बर पर पीत्ज़ा प्लेस वालों के पास मेरी ईमेल आईडी सेव है.

उस समय मैंने इस बात को टाल दिया. लेकिन दिमाग में ये बात चलती रही. मैंने उसके उस नाम को भी ढूंढा जो नाम उसने मुझे बताया था. काफी ज्यादा ढूंढने पर उसकी पुरानी प्रोफाइल्स मिलीं. शायद स्कूल के समय की. वो भी एक नहीं, दो-तीन. उसके दोस्त की भी दो-तीन प्रोफाइल्स थीं. मेरा माथा  ठनका. मैंने उससे दूरी बना ली.

tamasha_750_073019103332.jpgवो एक झूठ बोल नहीं रहा था, वो उसे जी रहा था. उसके भाई के नाम, और बाकी लोगों के नाम भी झूठे थे. सांकेतिक तस्वीर: ट्विटर

उसने जितनी बार लव यू कहा, मैंने अपने कान बंद कर लिए. उसने जितनी बार मिलने के लिए कहा, मैंने बहाना बना दिया. उसने जितनी बार कहा, फ्यूचर साथ में होगा हमारा, मैंने खून का घूंट पी लिया. अब उसकी शादी हो गई है. शायद शादी करने के लिए असली नाम से प्रोफाइल बनानी पड़ी उसे. वो अपनी दुल्हन के साथ खड़ा मुस्कुरा रहा है तस्वीर में. उसी नाम के साथ जिस नाम को कभी उसने एक झूठ कहकर परे खिसका दिया था. सड़क पर पड़े कचरे की तरह. मुझे मालूम है वो कहां काम करता है, मुझे पता है उसके दोस्त कौन हैं, मुझे मालूम है कि उसका ऑफिस कहां है और उसके कॉलेज में कितनी CGPA आई थी. मन तो करता है कई बार कि जाऊं और उससे पूछूं कि ये क्यों किया तुमने. लेकिन मैं उसकी पत्नी की मुस्कुराती सूरत देखती हूं, और चुप रह जाती हूं. बस उम्मीद यह करती हूं, कि जो झूठ उसने बोला, वो सिर्फ मुझी से बोला. उम्मीद यही कि अब झूठ बोलने की वजह खत्म हो गई होगी. उम्मीद कि जिस प्यार की उम्मीद से उस लड़की ने शादी की, वो उसे मिले. उम्मीद कि शायद कभी किसी और लड़की को ये सब न झेलना पड़े. इतने झूठ न जीने पड़ें.

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