कुमारी शैलजा: कांग्रेस की बड़ी दलित नेता, जिनसे गुजरात के मंदिर में कथित तौर पर जाति पूछी गई थी

2010 में दंगा भड़काने का भी आरोप लगा था

लालिमा लालिमा
अप्रैल 24, 2019
कुमारी शैलजा, चार बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं. अभी राज्यसभा सांसद हैं.

शैलजा कुमारी. कांग्रेस की नेता हैं. इस वक्त राज्यसभा सांसद हैं. चार बार लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं. केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस ने इन्हें अंबाला लोकसभा सीट से उतारा है. इस सीट पर छठवें चरण में चुनाव होगा, यानी 12 मई के दिन वोटिंग होगी.

शैलजा, कांग्रेस की बड़ी नेता हैं. और काफी अहम भी हैं पार्टी के लिए. वो बड़ी दलित नेता हैं. शैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह खुद राजनेता थे. कांग्रेस के ही मेंबर थे. चौथी, पांचवीं, छठवीं और सातवीं लोकसभा में दलबीर ने हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट को रिप्रेजेंट किया था. 1987 में इनकी मौत हो गई थी.

selja-3_042419011925.jpgशैलजा इस वक्त चुनावी प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं. फोटो- फेसबुक

पिता के बाद शैलजा ने राजनीति में एंट्री की. साल 1990 में महिला कांग्रेस की प्रेसिडेंट बनीं. सिरसा से ही 1991 में लोकसभा चुनाव लड़ा. सिरसा के लोगों ने दलबीर की बेटी को अपने नेता के तौर पर एक्सेप्ट किया. वो जीत गईं. केंद्रीय शिक्षा और संस्कृति राज्य मंत्री बनीं. 1996 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए. कांग्रेस हार गई. उसी साल 11वीं लोकसभा के लिए भी चुनाव हुए. हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद भी शैलजा लोकसभा चुनाव जीत गईं. एक बार फिर लोकसभा में शैलजा ने सिरसा को रिप्रेजेंट किया.

साल 2004 में शैलजा ने अपनी जगह बदल दी. इस बार अंबाला से कांग्रेस ने इन्हें टिकट दिया. शैलजा चुनाव लड़ीं, और जीत भी गईं. मनमोहन सिंह की सरकार में इन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया. 2009 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए. शैलजा अंबाला से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरीं. इस बार भी जीत गईं. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा शैलजा को मिला. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही, शैलजा राज्यसभा में पहुंच गईं. उन्होंने लोकसभा के सांसद पद से जनवरी 2014 में इस्तीफा दे दिया. 10 अप्रैल 2014 के दिन शैलजा राज्यसभा सांसद बनीं. इनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2020 को खत्म होगा.

1549559_593786724003675_387851165_n_042419011953.jpgशैलजा के पिता भी कांग्रेस के बड़े नेता थे. फोटो- फेसबुक

राज्यसभा के सांसद के तौर पर शैलजा के कार्यकाल को खत्म होने में अभी पूरे एक साल हैं. लेकिन कांग्रेस का मूड शैलजा को एक बार फिर लोकसभा में भेजने का है. इसलिए उन्हें अंबाला से टिकट दिया गया है. खैर, शैलजा अंबाला से जीतेंगी या नहीं, ये तो चुनाव के नतीजे आने पर ही पता चलेगा. फिलहाल तो वो इस वक्त प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं.

विवादों के बारे में भी जान लीजिए-

दंगा भड़काने का आरोप लगा था- विवादों से भी शैलजा का नाता रहा है. साल 2010 में मिर्चपुर कांड हुआ था. मिर्चपुर एक गांव है, जो हरियाणा के हिसार जिले में आता है. इस गांव में दलित वाल्मीकि कम्युनिटी और जाट कम्युनिटी के बीच हिंसा हुई थी. मिर्चपुर में दलितों पर हमला किया गया था. करीब दो दर्जन से ज्यादा दलितों के घर जला दिए गए थे. 70 साल के बुजुर्ग और उसकी बेटी जिंदा जल गए थे. जिसके बाद कई दलितों ने पलायन कर दिया था. 100 से भी ज्यादा लोग आरोपी बनाए गए थे. इन आरोपियों में से दो लोगों ने कुमारी शैलजा के ऊपर दंगा भड़काने का आरोप लगाया था. कहा था कि शैलजा ने दंगा बढ़ाने के लिए वाल्मीकियों को भड़काया था. जिसके बाद पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने शैलजा को नोटिस भी भेजा था.

57798921_2204634299585568_6965125451488428032_n_042419012022.jpgशैलजा ने नामांकन दाखिल कर दिया है. फोटो- फेसबुक

मंदिर में कथित तौर पर जाति पूछी गई थी- शैलजा ने राज्यसभा के एक सेशन के दौरान ये आरोप लगाया था कि द्वारका मंदिर में उनसे उनकी जाति पूछी गई थी. शैलजा ने कहा था, 'मुझे बतौर मंत्री, बतौर केंद्रीय मंत्री, द्वारका के मंदिर में मुझसे पूछा गया कि आपकी जाति क्या है?' शुरुआत में शैलजा ने द्वारका मंदिर कहा था, लेकिन फिर बाद में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि ये मंदिर उसी इलाके का बेट द्वारका मंदिर था. शैलजा के मुताबिक उनसे उनकी जाति के बारे में दिसंबर 2013 में पूछा गया था. वहीं उन्होंने सदन में इस मामले को दिसंबर 2015 में उठाया था.

शैलजा के बयान के बाद जाहिर सी बात है हंगामा हुआ. अरुण जेटली ने द्वारका मंदिर की दिसंबर 2013 की आगंतुक पुस्तिका (विजिटर डायरी) की कॉपी सदन में दिखाई. जिसमें शैलजा ने मंदिर की बड़ाई की थी. शैलजा का रिव्यू दिखाते हुए जेटली ने सवाल किया कि अगर शैलजा से जाति पूछी गई थी, तो उन्होंने मंदिर के बारे में अच्छी बात कैसे लिखी. दूसरा सवाल ये उठाया कि शैलजा ने इस मामले की शिकायत उसी वक्त बतौर केंद्रीय मंत्री क्यों नहीं की. वहीं पीयूष गोयल ने भी ये कहा कि शैलजा का बयान बनावटी भेदभाव वाला है.

एक जरूरी बात. शैलजा ने बेट द्वारका मंदिर की बात कही थी. जबकि जेटली ने द्वारका मंदिर की आगंतुक पुस्तिका की कॉपी पेश की थी. जिसके बाद कांग्रेस के सांसदों ने जमकर हंगामा किया था. 

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