हिना गावित: 9 बार के सांसद को हराकर पिछली लोकसभा में सबसे कम उम्र की सांसद बनीं थीं
हिना पेशे से डॉक्टर हैं, बीजेपी ने दूसरी बार इन पर भरोसा जताया था. जो सफल रहा.

महाराष्ट्र में बीजेपी ने डॉक्टर हिना गावित पर दोबारा भरोसा जताया था. 2014 में भी जताया था, जो सफल भी रहा था. हिना ने 2014 का चुनाव जीता था. महाराष्ट्र की नंदुरबार सीट से. उनका पहला चुनाव ही 2014 वाला था. इस चुनाव में उन्होंने नौ बार के सांसद को पानी पिला दिया था. इस बार फिर मैदान में थीं, बीजेपी की ही टिकट पर. इनका मुकाबला कांग्रेस के के.सी. पाडवी से हुआ. और इस बार भी हिना ने जीत हासिल कर ली. नंदुरबार सीट पर चौथे चरण के तहत 29 अप्रैल के दिन वोटिंग हुई थी.
बीजेपी की युवा नेता हिना पेशे से डॉक्टर हैं. साल 2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए, तब वो चुनाव के साथ-साथ एमडी की परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही थीं. एमडी, MBBS के बाद किया जाता है. माने डॉक्टरों का पोस्ट ग्रेजुएशन. जिस दिन वोटों की काउंटिंग हो रही थी उसके दूसरे दिन हिना की परीक्षा थी. खैर, उन्होंने किसी तरह चुनाव और अपनी परीक्षाएं दोनों मैनेज की.
अब सवाल आता है कि डॉक्टर हिना राजनीति में कैसे आ गईं?
शुरुआत होती है उनके सोशल वर्क से. नंदुरबार आता तो महाराष्ट्र में है, लेकिन गुजरात की बॉर्डर से सटा हुआ है. लोकसभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में हिना ने बताया था कि वो सोशल वर्क करती थीं. राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपने जिले के लोगों के लिए बहुत काम किया. उसी दौरान वहां के लोग उनसे कहते कि वो राजनीति में क्यों नहीं चली जातीं... चुनाव क्यों नहीं लड़तीं? लोगों की बातें हिना के दिमाग में घुस गईं. फिर उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया.
पेशे से डॉक्टर हैं हिना गावित. राजनीति में आने के पहले से ही सोशल वर्क करती थीं. फोटो- फेसबुक
अब एक इंटरेस्टिंग बात. उनके पिता विजयकुमार कृष्णाराव गावित उस वक्त महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे. और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के सदस्य थे. लेकिन हिना अपने पिता की पार्टी में शामिल नहीं होना चाहती थीं. उन्होंने इसी इंटरव्यू में बताया कि उस वक्त वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फॉलो करती थीं. इसलिए उन्होंने बीजेपी में जाने का फैसला लिया. पहले तो पिता ने मना किया, लेकिन बाद में मान गए. हिना ने बीजेपी जॉइन कर ली, और उन्हें नंदुरबार से लोकसभा चुनाव का टिकट भी मिल गया.
नंदुरबार सीट पर हिना के सामने थे कांग्रेस के माणिकराव होदल्या गावित. जो इस सीट पर 9 बार सांसद रह चुके थे. चुनाव के वक्त मौजूदा सांसद थे. नंदुरबार सीट पर 1967 से कांग्रेस का कब्जा था. माणिकराव ने सांसद के लिए पहली बार नंदुरबार से चुनाव 1981 में लड़ा था. उसके बाद 8 बार और इलेक्शन हुए. माणिकराव सभी इलेक्शन जीते. फिर आया 2014 का चुनाव.
हिना का पहला चुनाव. प्रचार-प्रसार हुआ. चुनाव हुए. लोगों ने वोट डाले. नतीजा आया चौंकाने वाला. क्योंकि 9 बार के सांसद माणिकराव पहली बारी चुनाव लड़ रही हिना से हार गए थे. 1 लाख से भी ज्यादा वोटों से हिना जीत गई थीं. वो संसद पहुंच चुकी थीं. इस जीत के साथ ही हिना 16वीं लोकसभा यानी 2014 में जो लोकसभा बनी उसमें सबसे कम उम्र की सांसद थीं. यानी सबसे युवा सांसद थीं.
पीएम के शपथ ग्रहण में सारे सांसद मौजूद थे, केवल हिना नहीं पहुंची थीं. फोटो- फेसबुक
पीएम के शपथ ग्रहण में सारे सांसद मौजूद थे, केवल हिना नहीं पहुंची थीं.
26 मई 2014 को बीजेपी को केंद्र में सरकार बनाना था. यानी नरेंद्र मोदी पीएम पद की शपथ लेना था. सभी सांसद दिल्ली पहुंचे. हिना नहीं गईं. क्यों? क्योंकि उनकी एमडी की परीक्षाएं चल रही थीं. इस वजह से वो उस समारोह में नहीं पहुंची थीं.
पिता को NCP छोड़नी पड़ी.
जब हिना ने चुनाव लड़ने का फैसला किया, तभी सवाल खड़ा हो गया था कि बाप-बेटी अलग-अलग पार्टी में कैसे. फिर नतीजे आए, हिना सांसद बनीं, तब विजयकुमार को एनसीपी छोड़नी पड़ी. उसके बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन की.
हिना जिस कार में बैठी थीं, उसमें हमला भी हुआ था.
साल था 2018. महीना था अगस्त. महाराष्ट्र के कई इलाकों में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन हो रहे थे. हिना उस वक्त महाराष्ट्र के धुले में थीं. वो अपनी कार से कहीं जा रही थीं. उसी वक्त प्रदर्शनकारियों ने हिना की कार पर हमला बोल दिया. कई प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार को घेर लिया. कार के ऊपर चढ़ गए. सुरक्षाकर्मियों ने किसी तरह हिना को बचाते हुए कार से बाहर निकाला था. हमला खतरनाक था, हिना भाग्यशाली थीं, जो उन्हें कुछ नहीं हुआ.
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