बीबी खालरा: पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए 15 साल तक लड़ीं, अब चुनावी मैदान में हैं
पति एक्टिविस्ट थे, पंजाब पुलिस ने मार दिया था.

बीबी खालरा. पूरा नाम बीबी परमजीत कौर खालरा. चुनाव लड़ रही हैं. पंजाब के खडूर साहिब लोकसभा सीट से. पंजाब में कुल 13 लोकसभा सीटें हैं. पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस, यानी PDA ने बीबी खालरा को टिकट दिया है. इस सीट पर सातवें चरण के तहत, 19 मई को वोटिंग होगी.
पंजाबी एकता पार्टी (PEP) के लीडर सुखपाल सिंह खैरा ने ही पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस (PDA) बनाया है, 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के मकसद से. इस अलायंस में कुल 6 पार्टियां हैं. जो पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में उम्मीदवार उतार रही हैं. इन 13 में से तीन सीटों में PEP ने उम्मीदवार उतारे हैं. बीबी खालरा को भी पंजाबी एकता पार्टी ने ही टिकट दिया है. खडूर साहिब सीट पर बीबी खालरा का मुकाबला कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल 'डिम्पा' और शिरोमणि अकाली दल (SAD) की बीबी जागीर कौर से होगा.
बीबी खालरा. पूरा नाम बीबी परमजीत कौर खालरा. चुनाव लड़ रही हैं. फोटो- फेसबुक
कौन हैं बीबी खालरा?
पंजाब में एक एक्टिविस्ट हुआ करते थे. नाम था जसवंत सिंह खालरा. बीबी खालरा, जसवंत की ही पत्नी हैं. वो खुद एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. और खालरा मिशन ऑर्गेनाइजेशन की फाउंडर हैं. ये ऑर्गेनाइजेशन इन्होंने 1995 में खोला था.
कैसे बनीं सामाजिक कार्यकर्ता?
इसकी शुरुआत होती है जसवंत सिंह से. जसवंत पेशे से अमृतसर के एक बैंक के डायरेक्टर थे. लेकिन वो सामाजिक कार्यों में भी काफी एक्टिव थे. वो अपना काम कर रहे थे. इसी बीच ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ, फिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई, जिसके बाद साल 1984 में सिख विरोधी दंगे हुए. उसके बाद पंजाब का माहौल खौफनाक हो गया.
बीबी कालरा, एक्टिविस्ट जसवंत सिंह खालरा की पत्नी हैं. खुद भी सामाजिक कार्यकर्ता हैं. फोटो- फेसबुक
पुलिस को विशेष अधिकार मिल गए. वो किसी भी व्यक्ति को शक के आधार पर हिरासत में ले सकती थी. अगर पुलिस को किसी व्यक्ति पर आतंकवादी होने का शक होता, तो वो उन्हें गिरफ्तार कर लेती. ऐसे ही धीरे-धीरे पंजाब के बहुत सारे नौजवान गायब होने लगे. अचानक ही किसी गांव से कोई व्यक्ति गायब हो जाता, और कुछ दिन बाद किसी दूसरी जगह पर उसकी लाश नहर में बहती हुई पाई जाती.
पुलिस के अधिकारी बेगुनाह नौजवानों को घर से उठाकर, उनको आतंकवादी बताकर मौत के घाट उतारने लगे थे. जसवंत सिंह इन मामलों पर कड़ी नजर रख रहे थे. उनका एक करीबी भी ऐसे ही अचानक गायब हो गया था. उसके बाद जसवंत ने छानबीन करनी शुरू की. 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद जसवंत ने गायब हुए 25,000 (25 हजार) नौजवानों के बारे में पता लगाया.
उसके बाद जसवंत इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने बहुत से पुलिस अधिकारियों पर फर्जी एनकाउंटर करने के आरोप लगाए. साथ ही ये बात भी कही कि फर्जी एनकाउंटर्स की संख्या 25 हजार से भी ज्यादा हो सकती है. वो गायब हुए लोगों के लिए लड़ रहे थे. उनकी लड़ाई अभी चल ही रही थी, कि अचानक एक दिन जसवंत सिंह खालरा खुद गायब हो गए.
जसवंत सिंह खालरा ने पंजाब में गायब हुए नौजवानों के लिए काम किया था. फोटो- फेसबुक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जसवंत तरनतारन में अपने घर के सामने अपनी कार को साफ कर रहे थे, तभी पुलिस ने उनको घर से उठा लिया, और मौत के घाट उतार दिया. जसवंत की पत्नी बीबी परमजीत कौर खालरा ने, उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की. 8 सितंबर 1995 के दिन बीबी खालरा की याचिका कोर्ट पहुंची. मामला लंबा चला.
करीब 10 साल तक बीबी खालरा ने केस लड़ा. फिर साल 2005 में 6 पुलिस अधिकारियों को जसवंत सिंह के मर्डर के मामले में दोषी करार दिया गया. कुछ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. कुछ पुलिस अधिकारियों ने तो आत्महत्या कर ली, जिसमें तरनतारन के SSP अजीत सिंह संधू का नाम भी शामिल है. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला बरकरार रखा.
पति की हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए बीबी खालरा ने खालरा मिशन ऑर्गेनाइजेशन खोला था. ये मिशन आज भी काम कर रहा है. वहीं बीबी खालरा भी आज भी सोशल वर्क कर रही हैं. वो पंजाब के लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण हैं.
अब वो चुनावी मैदान में हैं. नतीजा क्या होगा, ये तो 23 मई को ही पता चलेगा.
इसे भी पढ़ें- क्या होता है बैकअप कैंडिडेट? कोई महिला 37 साल से तो कोई पहली बार ये रोल निभा रही हैं
लगातार ऑडनारी खबरों की सप्लाई के लिए फेसबुक पर लाइक करे